जबरन धर्मांतरण और मानव तस्करी मामले में फंसी केरल की 2 नन को मिली जमानत, बिलासपुर NIA कोर्ट ने सुनाया फैसला
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में एक विशेष अदालत ने जबरन धर्म परिवर्तन और मानव तस्करी के आरोप में गिरफ्तार दो ननों सहित तीन लोगों को जमानत दे दी है। बजरंग दल के एक पदाधिकारी ने शिकायत दर्ज कराई थी कि वे नारायणपुर की तीन लड़कियों को जबरदस्ती ईसाई धर्म में बदलने के लिए ले जा रहे थे।

पीटीआई, बिलासपुर: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में एक खास अदालत ने जबरन धर्मांतरण और मानव तस्करी के आरोप में गिरफ्तार की गईं दो ननों समेत तीन लोगों को जमानत दे दी है।
यह मामला 25 जुलाई को सामने आया था, जब इन लोगों को दुर्ग रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया गया था। अदालत ने शनिवार को इस मामले में जमानत का फैसला सुनाया है।
किसने की थी शिकायत?
दरअसल, केरल की दो कैथोलिक नन प्रीथि मेरी और वंदना फ्रांसिस और उनके साथ एक स्थानीय महिला सुकामन मंडावी को दुर्ग रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया गया था। बजरंग दल के एक स्थानीय पदाधिकारी ने इनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद इनकी गिरफ्तारी हुई थी।
क्या था आरोप?
बजरंग दल के स्थानीय पदाधिकारी का आरोप था कि ये तीनों लोग नारायणपुर की तीन लड़कियों को जबरदस्ती ईसाई धर्म में बदलवाने के लिए ले जा रहे थे। रेलवे पुलिस ने बताया कि आरोप मानव तस्करी और जबरन धर्मांतरण से जुड़ा है। पुलिस ने लड़कियों को वापस उनके घर भेज दिया है।
अदालत ने क्या फैसला सुनाया?
यह मामला NIA कोर्ट में गया और शुक्रवार को सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला शनिवार को सुनाया है। बिलासपुर के जिला एवं सत्र न्यायाधीश सिराजुद्दीन कुरैशी ने तीनों आरोपियों को शर्तों के साथ जमानत दी।
डिफेंस वकील अमृतो दास ने बताया कि सरकार ने इन तीनों की हिरासत की कोई मांह नहीं की और पीड़ित लड़कियों को उनके घर भेज दिया गया है।
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