सुप्रीम कोर्ट में चल रही थी SIR पर बहस, तभी योगेंद्र यादव ने पेश किए दो 'मृत मतादाता'; EC ने क्या दी दलील?
बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। योगेंद्र यादव ने दो लोगों को पेश कर दावा किया कि उन्हें वोटर लिस्ट में मृत घोषित कर दिया गया है जिससे लाखों मतदाता प्रभावित हुए हैं। चुनाव आयोग ने इसे ड्रामा बताते हुए ऑनलाइन सुधार का सुझाव दिया। कोर्ट ने कहा कि नागरिकों का कोर्ट आना गर्व की बात है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण का मुद्दा देशभर में छाया हुआ है। सुप्रीम कोर्ट में भी मंगलवार को इस मामले पर सुनवाई हुई।
वहीं, सुनवाई के दौरान सोशल एक्टिविस्ट योगेंद्र यादव ने एक महिला और एक पुरुष को कोर्ट में पेश करते हुए दावा किया कि उन्हें बिहार में एसआईआर प्रक्रिया के बाद जारी ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में 'मृत' घोषित कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि एसआईआर की वजह से 65 लाख से ज्यादा मतदाता प्रभावित हुए हैं। चुनाव आयोग को विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान असफल रहा है।
योगेंद्र यादव की दलीलें सुनने के बाद चुनाव आयोग की ओर से पेश वकील ने कहा कि यह ड्रामा टीवी स्टूडियो में चल सकता है। आयोग ने कहा कि अगर ऐसी गलती हुई है, तो योगेंद्र यादव ऑनलाइन फॉर्म भरकर इसे सुधार सकते थे।
चुनाव आयोग की बात पर जस्टिस सूर्य कांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, हमें कम से कम इस बात पर गर्व है कि हमारे नागरिक इस कोर्ट में अपनी बात रखने आ रहे हैं। बता दें कि चुनाव आयोग ने ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने या हटाने के लिए 30 अगस्त तक का समय दिया है।
वोटर लिस्ट को पारदर्शी बनाने में मदद करें पार्टियां: EC
सुप्रीम कोर्ट ने एसआईआर को लेकर दोनों पक्षों की दलीलों को गंभीरता से सुना। चुनाव आयोग के वकील ने योगेंद्र यादव के कदम का विरोध जाहिर करते हुए कहा कि इस तरह की हरकतों के बजाय आप लोगों की मदद करें।
चुनाव आयोग ने आगे कहा कि हमने राजनीतिक दलों से अपने एजेंट नियुक्त करने को कहा था। यह कहकर कि लोकतंत्र खतरे में है, रोने के बजाय वोटर लिस्ट को पारदर्शी बनाने में हमारी मदद करें।
हाल ही में सीवान जिले से ताल्लुक रखने वाली 34 वर्षीय मिंता देवी के वोटर आईडी कार्ड में उनकी उम्र 124 वर्ष छप गई। वहीं, दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड को लेकर चुनाव आयोग के स्टैंड का समर्थन भी किया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आधार कार्ड को नागरिकता का अंतिम प्रमाण नहीं माना जा सकता है।
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