बिहार SIR मामले में EC को राहत, वोटर लिस्ट के प्रकाशन पर भी विपक्ष को झटका; सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
बिहार में विशेष सघन मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने चुनाव आयोग को राहत देते हुए मतदाता सूची के प्रारूप प्रकाशन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि आयोग एसआईआर अभ्यास के लिए आधार और मतदाता पहचान पत्र स्वीकार करना जारी रखे। मामले पर अंतिम निर्णय कल लिया जा सकता है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में आज SIR से जुड़े मामले में सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने विपक्ष को एक और झटका दिया है।
शीर्ष न्यायालय ने चुनावी राज्य बिहार में मसौदा मतदाता सूची के प्रकाशन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और कहा कि वह निर्वाचन आयोग की मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के खिलाफ याचिकाओं पर एक बार निर्णय करेगा।
दरअसल, इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ कर रही है। पीठ ने कहा कि वह 29 जुलाई को मामले की अंतिम सुनवाई के लिए समय तय करेगी।
वोटर लिस्ट के प्रकाशन पर रोक से इनकार
जानकारी दें कि एक गैर सरकारी संगठन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील ने गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि मतदाता सूचियों को अंतरिम रूप से अंतिम रूप नहीं दिया जाना चाहिए और मसौदा सूचियों के प्रकाशन पर अंतरिम रोक लगा दी जानी चाहिए।
इसके बाद मामले की सुनवाई कर रही पीठ ने कोर्ट के पूराने आदेश पर गौर किया। जिसमें कहा गया था कि याचिकाकर्ता अंतरिम राहत के लिए दबाव नहीं डाल रहे हैं और इसलिए अभी ऐसा नहीं किया जा सकता और मामले की एक बार में ही व्याख्या की जाएगी।
आधार को भी किया जाए शामिल
इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार और मतदाता पहचान पत्रों को डॉक्यूमेंटेशन की लिस्ट में शामिल करें। वहीं, राशन कार्ड को लेकर कोर्ट ने कहा कि जहां तक राशन कार्डों का सवाल है, हम कह सकते हैं कि उन्हें आसानी से जाली बनाया जा सकता है, लेकिन आधार और मतदाता पहचान पत्रों की कुछ सत्यता होती होती है और उनकी असली होने की धारणा होती है। आप इन दस्तावेजों को स्वीकार करना जारी रखें। (इनपुट पीटीआई के साथ)
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