बिहार मतदाता सूची: दावे-आपत्तियों के आंकड़ों ने खोली विपक्ष के दावों की पोल, देखें पूरा आंकड़ा
बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण के दौरान नाम काटे जाने के आरोपों की पोल खुल गई है। राजनीतिक दलों ने नाम हटवाने के लिए 119 आपत्तियां कीं जबकि जुड़वाने के लिए केवल 25। आम मतदाताओं ने लगभग तीन लाख आपत्तियां दर्ज कराईं जिनमें ढाई लाख नाम हटवाने के लिए थीं।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बिहार में मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) के दौरान मतदाताओं के नाम काटे जाने को लेकर कांग्रेस सहित दूसरे विपक्षी दल जिस तरह से सियासी मुद्दा बनाए हुए थे, उसकी पोल ड्राफ्ट सूची को लेकर की गई आपत्तियों और दावों ने खोल कर रख दी है।
राजनीतिक दलों की ओर से इस दौरान निर्धारित प्रारूप में सिर्फ 144 आपत्तियां ही की गई है, इनमें भी 119 आपत्तियां नाम हटवाने के लिए है। वहीं नाम जुड़वाने के लिए सिर्फ 25 आपत्तियां ही राजनीतिक दलों की ओर से की गई है।
कितनी आपत्तियां दर्ज कराई गई?
यह बात अलग है कि राजनीतिक दलों से अधिक आम मतदाता अपने लोकतंत्र को सशक्त बनाने को लेकर सतर्क दिखे। उनकी ओर से ड्राफ्ट सूची को लेकर करीब तीन लाख आपत्तियां दर्ज कराई गई। इनमें भी नाम हटवाने के लिए करीब ढाई लाख आपत्तियां आयी, जबकि नाम जुड़वाने के लिए करीब 40 हजार ही आयी।
यह स्थिति तब है जब ड्राफ्ट सूची पर दावे-आपत्तियों के लिए राजनीतिक दलों को एक महीने का समय दिया गया था। वहीं राज्य में इसके 12 मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के 1.60 लाख से अधिक बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) भी तैनात है।
'आरोप पूरी तरह झूठ'
चुनाव आयोग से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक दावे-आपत्तियों पर निर्धारित प्रारूप में की गई आपत्तियों से साफ है कि जो उन पर नाम काटे जाने का आरोप लगाया जा रहा है, वह पूरी तरह से झूठ था।
आयोग के मुताबिक कांग्रेस ने भी जिन 89 लाख नामों को लेकर आपत्ति दर्ज कराने की बात कही है, वह भी नाम हटाने के लिए की गई है। यह बात अलग है कि निर्धारित प्रारूप में उनकी ओर से आपत्तियां न दिए जाने से उस पर अभी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
कांग्रेस के जिलाध्यक्षों को नोटिस जारी
इस मामले पर अभी कांग्रेस पार्टी के सभी जिला अध्यक्षों को नोटिस जारी कर निर्धारित प्रारूप में ही इन आपत्तियों को देने के लिए कहा है। आयोग के मुताबिक जिन दलों ने आपत्ति दर्ज कराई है, उनमें भाजपा ने कुल 16 आपत्तियां दी है, यह सभी नाम हटाने के लिए है, जबकि सीपीआई(एम) ने कुल 118 आपत्तियां दर्ज कराई है, इनमें भी नाम हटाने के लिए 103 और नाम जुड़वाने के लिए 15 थी।
आरजेडी ने कुल 10 आपत्तियां दी है, जो नाम जुड़वाने के लिए है। गौरतलब है कि एसआइआर के शुरुआती चरण में ही मतदाता सूची से मृत हो चुके, दूसरी जगह स्थानांतरित हो चुके और दो जगहों से नाम दर्ज कराने वाले करीब 65 लाख लोगों के नाम काट दिए गए थे।
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