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    'क्या बिहार में फर्जी वोट डालने दिए जाएं', तेजस्वी के चुनाव बहिष्कार की बात पर EC की दो टूक

    Updated: Thu, 24 Jul 2025 11:49 AM (IST)

    बिहार चुनाव से पहले मतदाता सूची पुनरीक्षण मामले पर चुनाव आयोग ने राजनीतिक पार्टियों के सवालों का जवाब दिया है। आयोग ने कहा कि भारत का संविधान भारतीय लोकतंत्र की जननी है। क्या निर्वाचन आयोग को कुछ लोगों के बहकावे में आकर संविधान के खिलाफ जाकर फर्जी वोट डालने का रास्ता बनाना चाहिए?

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    चुनाव आयोग ने अपने आलोचकों को जवाब दिया है। (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बिहार चुनाव से पहले मतदाता लिस्ट पुनरीक्षण मामले को लेकर चुनाव आयोग का जवाब सामने आया है। दरअसल चुनाव आयोग के इस फैसले को लेकर कई राजनीतिक पार्टियां सवाल खड़े कर रही थीं। बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने बुधवार को कहा था कि चुनाव के बहिष्कार पर विचार हो सकता है।

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    अब चुनाव आयोग ने अपने आलोचकों को जवाब दिया है। आयोग ने कहा, "भारत का संविधान भारतीय लोकतंत्र की जननी है....तो क्या इन बातों से डरकर, निर्वाचन आयोग को कुछ लोगों के बहकावे में आकर, संविधान के खिलाफ जाकर, पहले बिहार में, फिर पूरे देश में, मृतक मतदाताओं, स्थायी रूप से पलायन कर चुके मतदाताओं, दो स्थानों पर वोट दर्ज कराने वाले मतदाताओं, फर्जी मतदाताओं या विदेशी मतदाताओं के नाम पर फर्जी वोट डालने का रास्ता बनाना चाहिए?"

    आयोग ने सवालिया लहजे में कहा, "क्या निर्वाचन आयोग की ओर से पारदर्शी प्रक्रिया से तैयार की जा रही प्रामाणिक मतदाता सूची निष्पक्ष चुनाव और मजबूत लोकतंत्र की आधारशिला नहीं है? इन सवालों पर, कभी न कभी, हम सभी को और भारत के सभी नागरिकों को राजनीतिक विचारधाराओं से परे जाकर, गहराई से सोचना होगा। और शायद आप सभी के लिए इस आवश्यक चिंतन का सबसे उपयुक्त समय अब भारत में आ गया है।"

    22 साल बाद हो रहा वोटर लिस्ट का रिवीजन

    बिहार में बीते 22 सालों में ये पहली बार है, जब इस तरह से मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण किया जा रहा है।

    इसका मुख्य मकसद मतदाता सूची को दुरुस्त करना, साफ-सुथरा और पारदर्शी बनाना है। इसके माध्यम से अयोग्य, डुप्लिकेट/फर्जी या गैर-मौजूद प्रविष्टियों को हटाया जाना है, ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि केवल सभी पात्र नागरिक ही इसमें शामिल हों।

    (एएनआई इनपुट के साथ)

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