सड़क सुरक्षा की कसौटी पर भी परखी जाएंगी बड़ी परियोजनाएं, जानिए क्या है मोदी सरकार का प्लान
भारतमाला परियोजना-1 और अन्य महत्वपूर्ण सड़क परियोजनाओं के आर्थिक सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभावों का आकलन किया जाएगा। सड़क सुरक्षा की स्थिति का भी मूल्यांकन होगा। NHAI के प्रमुख और NHIDCL के एमडी आकलन के लिए जिम्मेदार होंगे। दुर्घटनाओं में अंतर और ड्राइविंग अनुभव का विश्लेषण किया जाएगा। परियोजनाओं से आर्थिक केंद्रों और बाजारों तक पहुंचने में लगने वाले समय की बचत का आकलन किया जाएगा।

मनीष तिवारी, नई दिल्ली। भारतमाला परियोजना-1 समेत प्राथमिकता वाली महत्वपूर्ण सड़क परियोजनाओं और कॉरिडोर के आर्थिक, सामाजिक, पर्यावरणीय प्रभाव के साथ ही सड़क सुरक्षा की स्थिति का भी आकलन किया जाएगा। यह आकलन मौजूदा प्रोजेक्टों के साथ ही आगामी परियोजनाओं के लिए भी किया जाएगा।
इनसे संबंधित आकलन के लिए एनएचएआइ के प्रमुख, एनएचआइडीसीएल के एमडी और किसी प्रोजेक्ट के लिए क्षेत्रीय अधिकारी जिम्मेदार होंगे। सड़क परिवहन मंत्रालय की ओर से राज्यों और केंद्रीय एजेंसियों के लिए जारी किए गए सर्कुलर के अनुसार सड़क सुरक्षा के लिहाज से होने वाले आकलन के तहत यह देखा जाएगा कि परियोजना में निर्माण से पहले और बाद में दुर्घटनाओं में क्या अंतर आया और वाहन चलाने का अनुभव कैसा है।
मंत्रालय के सर्कुलर में कहा गया है कि सड़क परियोजनाओं के मामले में यह देखना जरूरी है कि इनके निर्माण में जो पैसा खर्च किया जा रहा है, वह कितना उपयोगी है और उससे क्या-क्या लाभ हासिल होंगे। अहम सड़क परियोजनाओं और कॉरिडोर के लिए आउटकम पैरामीटर आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति की ओर से तय किए गए हैं।
आर्थिक प्रभाव के आकलन के लिए प्रोजेक्ट से 25 किलोमीटर के दायरे में आर्थिक केंद्रों, दस किलोमीटर के क्षेत्र में बड़े बाजार और मंडी तक पहुंचने के लिए समय में बचत, जिले की जीडीपी में वृद्धि की संभावना को देखने के लिए कहा गया है। इसके साथ ही उपभोक्ताओं के खर्च में बढ़ोतरी की संभावना भी देखी जाएगी।
प्रोजेक्ट के स्तर पर यह देखना होगा कि उसके प्रभाव के कारण दोपहिया और चार पहिया वाहनों की बिक्री में क्या अंतर आया या आने की संभावना है। इसी तरह लाजिस्टिक प्रभाव के आकलन को भी अहम पैमाने के रूप में रेखांकित किया गया है। इस कसौटी के तहत दूरी और समय की बचत के साथ ही यह भी देखा जाना है कि उस हाईवे या एक्सप्रेस वे के निर्माण से लाजिस्टिक लागत में कितना अंतर आ सकता है।
दस किलोमीटर के दायरे में एयरपोर्ट अथवा रेलवे स्टेशन तक पहुंचने के समय में कमी का भी आकलन किया जाएगा। पर्यावरण के प्रभाव के आकलन के लिए ईंधन में बचत का अध्ययन आवश्यक है, जबकि सामाजिक प्रभाव के लिए उच्च शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच में समय की बचत की रिपोर्ट देनी होगी। सीसीईए का एक और अहम पैमाना संबंधित जिले में लोगों की घरेलू आय में परिवर्तन के आकलन का है।
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