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    श्रीमद्भगवद् गीता और भरत मुनि का नाट्यशास्त्र UNESCO के ‘मेमोरी आफ वर्ल्ड रजिस्टर’ में शामिल, PM मोदी ने दी बधाई

    Updated: Fri, 18 Apr 2025 12:33 PM (IST)

    श्रीमद्भगवद् गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को यूनेस्को के मेमोरी ऑफ वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल किया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर की है। प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा-ये दुनिया भर में हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण है। उन्होंने आगे कहा- धर्मग्रंथों को शामिल करना सदाबहार ज्ञान और समृद्ध संस्कृति की वैश्विक मान्यता है।

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    नाट्यशास्त्र एवं भगवद्गीता की पांडुलिपियां। फोटो- एक्स

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। महाभारत में भगवान कृष्ण के उपदेश पर आधारित धर्मग्रंथ श्रीमद्भगवद् गीता और भारत की ललित कलाओं का मूलग्रंथ कहे जाने वाले भरत मुनि रचित नाट्यशास्त्र को यूनेस्को ने अपनी ‘मेमोरी आफ वर्ल्ड रजिस्टर’ में शामिल किया है।

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    पीएम मोदी ने शेयर किया पोस्ट

    विश्व धरोहर दिवस पर यूनेस्को के स्मृतिकोष में दर्ज होने की घोषणा पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुशी जाहिर की और दुनिया भर में रहने वाले हरेक भारतीय के लिए इसे गर्व का पल बताया। उन्होंने कहा,दोनों महाग्रंथों को यूनेस्को के विश्व स्मृति रजिस्टर में शामिल किया जाना हमारे शाश्वत ज्ञान व समृद्ध संस्कृति की वैश्विक मान्यता है। उनकी अंतर्दृष्टि दुनिया को प्रेरित करती रहती है।

    यूनेस्को का ‘मेमोरी आफ वर्ल्ड रजिस्टर’

    यूनेस्को के ‘मेमोरी आफ वर्ल्ड रजिस्टर’ का मकसद विश्व के महत्वपूर्ण दस्तावेजी विरासत को संरक्षित करना और उन्हें दुनिया के सामने लाना है। अब तक इस रजिस्टर में 72 देशों और चार अंतरराष्ट्रीय संगठनों से जुड़े शोधों व उपलब्धियों सहित 570 पांडुलिपियों को जगह दी जा चुकी है।

    ऋग्वेद भी शामिल

    यूनेस्को ने 74 पांडुलिपियों को विश्व धरोहर दिवस के दिन मेमोरी रजिस्टर में शामिल किया है। इस रजिस्टर में ऋग्वेद सहित देश के करीब दर्जनभर प्राचीन ग्रंथों और पांडुलिपियों को पहले से ही शामिल किया जा चुका है।

    कब हुई थी शुरुआत?

    यूनेस्को का “मेमोरी आफ द वर्ल्ड” रजिस्टर 1992 में स्थापित किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य दुनिया के दस्तावेजी विरासत को सुरक्षित करना, सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करना व दस्तावेजी विरासत के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।

    अमित शाह ने जताई खुशी

    श्रीमद्भगवद् गीता व नाट्यशास्त्र को यूनेस्को की मेमोरी आफ द वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल होने पर गृह मंत्री अमित शाह ने एक्स के जरिये खुशी जताई और कहा, यह दुनिया भारत के ज्ञान को संजोकर रखती है। गीता व नाट्यशास्त्र को मिला यह सम्मान प्रत्येक भारतीय का सम्मान है। ये शास्त्र भारत के प्राचीन ज्ञान को दर्शाते हैं। इसमें अनादि काल से ही दुनिया को मानवता की बेहतरी व जीवन को सुंदर बनाने की राह दिखाई जा रही है। पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत अपने सांस्कृतिक ज्ञान को वैश्विक कल्याण के लिए स्थापित करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। यह इन प्रयासों को मिली एक बड़ी मान्यता है।

    गजेंद्र शेखावत ने किया ट्वीट

    केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस पल को भारत की सभ्यतागत विरासत के लिए ऐतिहासिक क्षण बताया और कहा,यह भारत की शाश्वत मेधा और कलात्मक प्रतिभा का सम्मान है। उन्होंने एक्स पर इन दोनों ग्रंथों के चित्र भी साझा किए हैं।

    भरत मुनि का नाट्यशास्त्र

    भरत मुनि रचित यह प्राचीन ग्रंथ भारतीय कलाओं का मूल ग्रंथ माना जाता है। नाट्यशास्त्र में लिखा है कि बिना रस के शब्दों को भाव और अर्थ नहीं मिलते है। नाटक का मंचन अभिनय, रस, भाव, संगीत आदि के जरिये होता है जिससे भारतीय नाट्यकला, काव्य, नृत्य व संगीत आदि की रचना होती है। भरतनाट्यम जैसे शास्त्रीय नृत्य की उत्पत्ति इस ग्रंथ से हुई। इन रचनात्मक कलाओं के 36 हजार श्लोकों को मौखिक रूप से कंठस्थ किया जाता था। इसकी 1874-75 की हस्तलिखित पांडुलिपि को यूनेस्को में भेजा गया है।

    श्रीमद्भगवद् गीता

    महाभारत के भीष्मपर्व में शामिल हिंदुओं के इस पवित्र ग्रंथ के 18 अध्यायों में 700 से अधिक श्लोक हैं। महाभारत के रणक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण ने वीर योद्धा अर्जुन को जो उपदेश दिए हैं, वही ‘श्रीमद्भगवद् गीता’ है। इस प्राचीन हिंदू ग्रंथ को दुनिया भर में बड़ी श्रद्धा से देखा जाता है और देश-विदेश की अनेक भाषाओं में इसका अनुवाद भी किया गया है। यूनेस्को में गीता की 1875-76 की टीका को भेजा गया है। राजानकराम की लिखी यह पांडुलिपि शारदा लिपि में है।

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