CEO की शिकायत के बाद जागी कर्नाटक सरकार, बेंगलुरु में नवंबर तक सड़क के गड्ढे भरने के निर्देश
बेंगलुरु में सड़कों की ख़राब हालत पर आलोचना के बाद कर्नाटक सरकार हरकत में आई है। उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने ठेकेदारों को नवंबर तक गड्ढे भरने का समय दिया है। सरकार ने यह कदम सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक पोस्ट के बाद उठाया है जिसमें एक सीईओ ने ख़राब सड़कों के कारण कंपनी को स्थानांतरित करने की घोषणा की थी। सरकार नागरिक समस्याओं को हल करने के लिए प्रतिबद्ध।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बेंगलुरु में सड़कों की खराब हालत के कारण लगातार आलोचनाओं की शिकार हो रही कर्नाटक सरकार अब एक्शन में आ गई है। उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने शहर की बिगड़ती सड़कों की हालत और नागरिक बुनियादी ढांचे को लेकर बढ़ती आलोचना के बाद, ठेकेदारों के लिए बेंगलुरु में गड्ढे भरने के लिए नवंबर तक की समय सीमा तय की है।
सरकार ने यह कदम एक स्टार्ट-अप सीईओ द्वारा सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक पोस्ट के कुछ ही दिनों बाद आया है, जिसमें उन्होंने घोषणा की थी कि उनकी कंपनी अनकंट्रोल ट्रैफिक और खराब सड़क के कारण शहर के आउटर रिंग रोड एरिया में ट्रंसफर हो रही है।
नागरिक समस्याओं का समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध- डीके शिवकुमार
डीके शिवकुमार ने कहा कि सरकार लंबे समय से चली आ रही नागरिक समस्याओं का समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध है। समस्या के समाधान के लिए ठेकेदारों को नवंबर के भीतर गड्ढों को भरने की अंतिम समय-सीमा दी गई है। स्वच्छ बेंगलुरु और सुगम यातायात हमारा लक्ष्य है, इसलिए जल्द से जल्द गड्ढों से राहत मुक्ति मिलेगी।
सड़कों के विकास के लिए 1100 करोड़ का आवंटन
सरकार की ओर से यह आश्वासन 14 सितंबर को उनकी पिछली घोषणा के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि बेंगलुरु में सड़क विकास को बढ़ावा दिया जाएगा और मरम्मत एवं निर्माण परियोजनाओं के लिए 1,100 करोड़ रुपये आवंटित किए जाएंगे।
उसी दिन, बेंगलुरु सेंट्रल सिटी कॉर्पोरेशन के कमिश्नर राजेंद्र चोलन ने सीवी रमन नगर एरिया का निरीक्षण किया और टूटे फुटपाथ, गड्ढों से भरे रास्ते, बिखरे हुआ कचरा सहित कई मुद्दों को उजागर किया।
ब्लैकबक के सीईओ ने किया पोस्ट
सरकार की यह प्रतिबद्धता व्यापारिक समुदाय की बढ़ती निराशा के बाद आई है। लॉजिस्टिक्स स्टार्टअप ब्लैकबक के सीईओ और सह-संस्थापक राजेश याबाजी ने इस हफ्ते की शुरुआत में इस मुद्दे की ओर ध्यान आकर्षित किया जब उन्होंने कंपनी को बेंगलुरु से कहीं और ट्रांसफर करने की योजना की घोषणा की।
याबाजी ने एक्स पर लिखा, "अब यहां काम करना बहुत मुश्किल है। हमने यहां से जाने का फैसला किया है। जिसमें लंबी यात्राओं और सड़कों के खराब रखरखाव को मुख्य चिंता बताया गया। उन्होंने आगे कहा, "मेरे सहकर्मियों के लिए औसत यात्रा समय डेढ़ घंटे से ज्यादा (एक तरफ़) हो गया है। सड़कें गड्ढों और धूल से भरी हैं, और उन्हें ठीक करवाने की कोई खास इच्छा नहीं है। अगले पांच सालों में इसमें कोई बदलाव नहीं दिख रहा है।"
इस पोस्ट पर बेंगलुरु के लोगों ने व्यापक तौर पर प्रतिक्रियाएं दी, जिनमें से कई ने रोजाना आने-जाने की चुनौतियों, ट्रैफिक जाम और नागरिक उपेक्षा को लेकर अपनी निराशा व्यक्त की।
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