बंगाल की मतदाता सूची में 'खेला', चुनाव आयोग ने किया पर्दाफाश; 4 अधिकारियों पर गिरी गाज
चुनाव आयोग ने बंगाल में मतदाता सूची में गड़बड़ी के आरोप में चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया है जिनमें दो चुनाव पंजीकरण अधिकारी और दो सहायक चुनाव पंजीकरण अधिकारी शामिल हैं। आयोग ने मुख्य सचिव को उनके निलंबन की जानकारी दी और उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है। इसके अतिरिक्त एक डेटा एंट्री ऑपरेटर के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया गया है।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। केंद्रीय चुनाव आयोग ने बंगाल में मतदाता सूची में गड़बड़ी को लेकर चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। इनमें दो चुनाव पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) व दो सहायक चुनाव पंजीकरण अधिकारी (एईआरओ) शामिल हैं। उनके नाम देवोत्तम दत्त चौधरी, तथागत मंडल, बिप्लव सरकार व सुदीप्त दास हैं। चारों वेस्ट बंगाल सिविल सर्विसेज (डब्ल्यूबीसीएस) के अधिकारी हैं।
देवोत्तम व तथागत मंडल दक्षिण 24 परगना जिले के बारुईपुर पूर्व विधानसभा (विस) केंद्र में क्रमश: ईआरओ व एईआरओ के तौर पर काम कर रहे थे, वहीं बिप्लव सरकार व सुदीप्त दास पूर्व मेदिनीपुर जिले के मयना विस केंद्र में ईआरओ व एईआरओ का दायित्व संभाल रहे थे।
'चुनाव आयोग के निर्देश का करना होगा पूरी तरह से पालन'
चुनाव आयोग ने बंगाल के मुख्य सचिव मनोज पंत को पत्र लिखकर उनके निलंबन की जानकारी दी है। साथ ही उनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने का भी निर्देश दिया है। इनके अलावा सुरजीत हालदार नामक एक डेटा एंट्री आपरेटर के विरुद्ध भी मतदाता सूची में गड़बड़ी के आरोप में प्राथमिकी दर्ज करने को कहा गया है। पत्र में आगे लिखा है कि चुनाव आयोग के निर्देश का पूरी तरह से पालन करना होगा और क्रियान्यवन के बाद इसकी रिपोर्ट आयोग को भेजनी होगी।
मतदाता सूची गायब होने का मामला आया सामने
मालूम हो कि बंगाल के चार विधानसभा केंद्रों की वर्ष 2002 की मतदाता सूची 'गायब' होने का भी मामला सामने आया है। इनमें दक्षिण 24 परगना जिले के कुलपी व बीरभूम के मुराराई, राजनगर व रामपुरहाट विस केंद्र शामिल हैं। चुनाव आयोग ने बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) से पहले विभिन्न जिलों की 2002 की मतदाता सूची प्रकाशित करने का काम शुरू किया है।
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