'राष्ट्रहित के लिए परिवार से समाज तक आचरणगत परिवर्तन जरूरी', सिलीगुड़ी में मोहन भागवत ने लोगों को किया संबोधित
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने सिलीगुड़ी में कहा कि राष्ट्रहित के लिए परिवार से समाज तक आचरणगत परिवर्तन जरूरी है। उन्हों ...और पढ़ें
-1766165475144.webp)
सिलीगुड़ी में मोहन भागवत ने लोगों को किया संबोधित (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा है कि राष्ट्रहित के लिए परिवार से समाज तक आचरणगत परिवर्तन जरूरी है। स्वस्थ, समृद्ध और सशक्त समाज के निर्माण के लिए सज्जन शक्तियों का परस्पर पूरक बनकर एक दिशा में कार्य करना अनिवार्य है।
समाज से जीवंत संबंध रखने वाले व्यक्तियों के माध्यम से ही चरित्र निर्माण संभव होता है। वह शुक्रवार को उत्तर बंगाल के सिलीगुड़ी में प्रबुद्ध नागरिक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। सरसंघचालक ने कहा कि प्रत्येक परिवार को अपनी कुल-परंपराओं, समयानुकूल रीति-रिवाजों तथा देशहित में सहायक आचरणों का नियमित अभ्यास करना चाहिए।
परिवार का अस्तित्व और सुरक्षा समाज पर निर्भर है, इसलिए इस बोध के साथ समाज की समृद्धि के लिए समय और सामर्थ्य के अनुसार योगदान देना आवश्यक है। संघ की शताब्दी पूर्ण होने के अवसर पर पंच परिवर्तन अभियान के तहत पांच आचरणगत परिवर्तनों का संदेश लेकर स्वयंसेवक घर-घर जाएंगे। यदि केवल आचरण के माध्यम से भी देशहित में योगदान दिया जा सके, तो वही शताब्दी उत्सव की वास्तविक सार्थकता होगी।
संघ जैसा संगठन और कोई नहीं है
डॉ. भागवत ने संघ को लेकर फैलाई जा रही भ्रांतियों का निराकरण करते हुए कहा कि संघ को किसी निश्चित पद्धति या पारंपरिक संगठनात्मक ढांचे में बांधकर नहीं समझा जा सकता। संघ जैसा संगठन और कोई नहीं है। इसकी स्थापना न तो किसी का विरोध करने के लिए हुई थी और न ही अपने लिए कुछ प्राप्त करने के उद्देश्य से।
समाज के सभी वर्गों में नि: स्वार्थ सेवा की भावना का विकास करना और प्रसिद्धि से दूर रहकर आत्मसंतोष के साथ समाजसेवा में लगे लोगों के बीच समन्वय स्थापित करना ही संघ का लक्ष्य है। शताब्दी वर्ष और पंच परिवर्तन अभियान का उल्लेख करते हुए कहा कि विश्व के प्रत्येक समृद्ध देश में आर्थिक उन्नति से पहले सामाजिक जागरण और एकात्मता का इतिहास रहा है।
संघ के संस्थापक डा. केशव बलिराम हेडगेवार का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि दारिद्रय और प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद डा. हेडगेवार ने बचपन से ही अध्ययन में एकाग्रता रखी और देशसेवा के कार्यों में उत्साहपूर्ण सहभागिता की। उन्होंने देश सेवा को सशक्त बनाने वाली एक प्रभावी कार्यपद्धति विकसित की।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।