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जलीकट्टू पर SC के आदेश आने तक कंबाला पर जारी रहेगा प्रतिबंध

तमिलनाडु के जलीकट्टू की तरह कर्नाटक में वार्षिक खेल कंबाला से बैन हटाने को लेकर मांग करते हुए लोगों का विरोध प्रदर्शन जारी है।

By Monika minalEdited By: Published: Mon, 30 Jan 2017 03:24 PM (IST)Updated: Mon, 30 Jan 2017 04:20 PM (IST)
जलीकट्टू पर SC के आदेश आने तक कंबाला पर जारी रहेगा प्रतिबंध
जलीकट्टू पर SC के आदेश आने तक कंबाला पर जारी रहेगा प्रतिबंध

बेंगलुरू (प्रेट्र)। कर्नाटक के कंबाला पर अंतरिम प्रतिबंध अगले दो हफ्तों के तक जारी रखते हुए हाई कोर्ट ने सोमवार को निर्णय लिया कि वह जलीकट्टू पर सुप्रीम कोर्ट के लंबित निर्णय का इंतजार करेगा और इसके बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा।

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बता दें कि 'कंबाला' तटीय क्षेत्र में वार्षिक तौर पर आयोजित होने वाला पारंपरिक भैंसा दौड़ है। यह दौड़ उत्तरी कर्नाटक और कंबाला उडुपी-दक्षिणी कर्नाटक का पारंपरिक खेल रहा है। तमिलनाडु में जल्लीकट्टू आंदोलन को सफलता मिलने के बाद सरकार पर दबाव बढ़ाते हुए छात्रों, कलाकारों और नेताओं ने विशाल प्रदर्शन करते हुए ‘कंबाला’ पर से बैन हटाने की मांग कर रहे हैं।

पढ़ें: केन्द्र ने जल्लीकट्टू की अधिसूचना वापस लेने की मांगी अनुमति

चीफ जस्टिस सुभ्रो कमल मुखर्जी ने बताया, ’हाई कोर्ट जलीकट्टू पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का इंतजार करेगी इसके बाद ही कंबाला पर निर्णय लिया जाएगा।‘ इसके बाद केस को दो हफ्ते के लिए स्थगित कर दिया गया है। मंगलवार को जलीकट्टू पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा।

कर्नाटक हाई कोर्ट के डिविजन बेंच ने नवंबर में कंबाला रेस पर प्रतिबंध के लिए अंतरिम आदेश पारित किया था। कोर्ट के इस आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए कंबाला कमिटी के अध्यक्ष अशोक पाई ने बताया कि जल्द ही वे राज्य व्यापी विरोध प्रदर्शन फिर से शुरू करेंगे।

पाई ने कहा, ‘हमें एकमात्र उम्मीद राज्य सरकार से है, हम अपना विरोध प्रदर्शन फिर से शुरू कर सकते हैं। हम आशा करते हैं कि यह अध्यादेश जारी करेगा जो कंबाला के लिए रास्ता बनाएगा।‘ इस अंतरिम आदेश से कंबाला आयोजकों को झटका लगा जिन्हें दक्षिण कन्नड़ और उडूपी जिलों में इवेंट के आयोजन की अनुमति नहीं दी गयी।

प्रतिबंध के खिलाफ जारी विरोध प्रदर्शनों के बीच कर्नाटक कैबिनेट ने 28 जनवरी को पेटा में संशोधन का निर्णय लिया ताकि कंबाला के लिए मार्ग प्रशस्त हो सके। विरोध प्रदर्शन करने वालों की ओर से अध्यादेश की मांग की जा रही है जैसा कि जलीकट्टू के मामले में हुआ।

यह वार्षिक खेल नवंबर से मार्च तक आयोजित किया जाता है कंबाला का समर्थन कर रहे लोगों ने 'पेटा' पर आरोप लगाया कि वह कंबाला को गलत रूप में पेश करते हुए दावा कर रही है कि भैंसों से निर्दयता बरती गई है जबकि उनके साथ अच्छा व्यवहार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कंबाला पर से बैन हटाए जाने तक प्रदर्शन जारी रहेगा।

दूसरी ओर कंबाला के लिए बढ़ती मांग को देखते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा है कि यदि जरूरत पड़ी तो अध्यादेश लाया जा सकता है। उन्होंने केंद्र से भी जलीकट्टू जैसा कंबाला के पक्ष में कार्रवाई करने को कहा है।

पढ़ें: कर्नाटक: केंद्र की हरी झंडी के बाद अब कंबाला को भी मिलेगी कानूनी मान्यता


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