Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Supreme Court: मनी लांड्रिग मामलों में भी जमानत नियम और जेल अपवाद, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया महत्वपूर्ण फैसला

    Updated: Thu, 29 Aug 2024 12:23 AM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने संविधान में मिले व्यक्तिगत स्वतंत्रता के सिद्धांत को महत्व देते हुए लंबे समय से पीएमएलए के तहत जेल में बंद आरोपितों के लिए जमानत के दरवाजे खोलने वाला महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। शीर्ष अदालत ने हेमंत सोरेन के सहयोगी प्रेम प्रकाश को मनी लांड्रिंग मामले में जमानत देते हुए कहा कि जमानत नियम है और जेल अपवाद का सिद्धांत मनीलांड्रिंग के मामले में भी लागू होगा।

    Hero Image
    मनी लांड्रिग मामलों में भी जमानत नियम और जेल अपवाद- सुप्रीम कोर्ट

     माला दीक्षित, नई दिल्ली। प्रिवेंशन आफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) में जमानत के कठोर प्रविधानों की गांठें धीरे-धीरे खुलने लगी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने संविधान में मिले व्यक्तिगत स्वतंत्रता के सिद्धांत को महत्व देते हुए लंबे समय से पीएमएलए के तहत जेल में बंद आरोपितों के लिए जमानत के दरवाजे खोलने वाला महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    शीर्ष अदालत ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सहयोगी प्रेम प्रकाश को मनी लांड्रिंग मामले में जमानत देते हुए कहा कि जमानत नियम है और जेल अपवाद का सिद्धांत मनीलांड्रिंग के मामले में भी लागू होगा। कोर्ट ने कहा कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता सदैव नियम है और उससे वंचित रखना अपवाद है। व्यक्तिगत स्वतंत्रता से सिर्फ कानून में तय प्रक्रिया से ही वंचित रखा जा सकता है और प्रक्रिया तर्कसंगत व वैध होनी चाहिए।

    कोर्ट ने कहा कि पीएमएलए की धारा-45 जिसमें जमानत के लिए दोहरी शर्तें लगाई गई हैं, वह इस सिद्धांत को खत्म नहीं करती। इसका यह मतलब नहीं है कि स्वतंत्रता से वंचित रखना नियम है और स्वतंत्रता अपवाद। जमानत के लिए दो शर्तों का मतलब सिर्फ इतना है कि वे शर्तें संतुष्ट होनी चाहिए।यह फैसला न्यायमूर्ति बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने जमीन खरीद मामले में फर्जीवाड़ा और मनीलां¨ड्रग के आरोपित प्रेम प्रकाश को जमानत देते हुए सुनाया है।

    इसी पीठ ने मंगलवार को बीआरएस नेता के. कविता को दिल्ली आबकारी नीति घोटाले में भ्रष्टाचार और मनीलां¨ड्रग के आरोपों में जमानत देते हुए भी कहा था कि जमानत नियम है और जेल अपवाद। इतना ही नहीं, उस फैसले में कोर्ट ने यह भी कहा था कि संविधान के अनुच्छेद-21 में मिला व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार, विधायी प्रतिबंधों से ऊपर (श्रेष्ठ) है।

    साथ ही पीएमएलए की धारा-45(1) की व्याख्या करते हुए कहा था कि इसमें महिला को जमानत के मामले में विशेष ट्रीटमेंट पाने का अधिकार है। ये ही दो मामले नहीं हैं, जिनमें सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएलए में आरोपितों को जमानत देते वक्त व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार को महत्व दिया हो। दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को आबकारी नीति घोटाले में जमानत देते हुए भी सुप्रीम कोर्ट ने यही बात कही थी।

    कोर्ट ने यह भी कहा था कि दोषी ठहराए जाने से पहले लंबे समय तक जेल में रखने की इजाजत नहीं दी जा सकती, जो कि बिना ट्रायल के सजा बन जाए।बुधवार को प्रेम प्रकाश को जमानत देते हुए कोर्ट ने पीएमएल के विभिन्न प्रविधानों की व्याख्या की।

    पीठ ने फैसले में यह भी कहा कि हिरासत के दौरान दर्ज किया गया पीएमएलए की धारा-50 का बयान अभियुक्त के विरुद्ध स्वीकार नहीं किया जा सकता।

    पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता प्रेम प्रकाश एक अन्य मामले में ईडी की ही कस्टडी में था। इससे फर्क नहीं पड़ता कि वह किस मामले में हिरासत में था, लेकिन जांच एजेंसी वही थी। ऐसे में ईडी द्वारा पीएमएलए की धारा-50 के तहत दर्ज किया गया उसका बयान उसके ही विरुद्ध स्वीकार नहीं किया जा सकता क्योंकि यह नहीं कहा जा सकता कि वह व्यक्ति एक स्वतंत्र इच्छाशक्ति का व्यक्ति था।

    ऐसे बयान को याचिकाकर्ता के विरुद्ध स्वीकार करना न्याय का मखौल बनाना होगा। पीठ ने कहा कि ऐसे मामले में साक्ष्य अधिनियम की धारा-25 (पुराना साक्ष्य अधिनिमय) लागू होती है जो कहती है कि पुलिस अधिकारी के समक्ष दिया अपराध स्वीकारोक्ति का बयान व्यक्ति के विरुद्ध साबित नहीं किया जा सकता।

    हालांकि पीठ ने विजय मदनलाल चौधरी मामले में तीन न्यायाधीशों की पीठ के फैसले में कही गई इस बात का उल्लेख किया कि पीएमएलए के मामले में साक्ष्य अधिनियम की धारा-25 लागू होगी या नहीं, यह प्रत्येक केस के आधार पर तय होगा।

    पीठ ने प्रेम प्रकाश को जमानत देते हुए आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता और अन्य के बयानों को देखकर उन्हें इस बात का कोई संकेत नहीं मिलता कि याचिकाकर्ता फर्जी डीड या सेल डीड बनाने में शामिल था या उसे उसकी जानकारी थी।

    कोर्ट ने कहा कि प्रथम ²ष्टया याचिकाकर्ता के विरुद्ध मनीलां¨ड्रग का केस नहीं बनता। हालांकि कोर्ट ने साफ किया है कि आदेश में की गई टिप्पणियां सिर्फ जमानत के संदर्भ में हैं। कोर्ट ने प्रेम प्रकाश की जमानत खारिज करने का हाई कोर्ट का 23 मार्च, 2024 का आदेश रद कर दिया है।------

    जमानत की शर्तें

    शीर्ष कोर्ट ने प्रेम प्रकाश को पांच लाख का जमानती बंधपत्र देने और इतनी ही राशि के दो जमानती पेश करने पर जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है। शर्त लगाई है कि अभियुक्त अपना पासपोर्ट ट्रायल कोर्ट में जमा कराएगा और प्रत्येक सोमवार और गुरुवार को सुबह 10 से 11 बजे के बीच जांच अधिकारी को रिपोर्ट करेगा। अभियुक्त गवाहों के प्रभावित करने और साक्ष्यों से छेड़छाड़ की कोशिश नहीं करेगा।

    पीएमएलए की धारा-45 के तहत दो शर्तें

    पीएमएलए की धारा-45 के तहत जमानत के लिए दो शर्तें पूरी होनी जरूरी हैं। पहली, अदालत इस बात के प्रति आश्वस्त होनी चाहिए कि यह मानने के तार्किक आधार हैं कि आरोपित दोषी नहीं है। दूसरी, अदालत इस बात के प्रति भी आश्वस्त होनी चाहिए कि जमानत मांगने वाले आरोपित द्वारा जमानत पर रहने के दौरान कोई अपराध करने की संभावना नहीं है।