Ahmedabad Plane Crash: प्लेन की कौन-सी सीट सबसे ज्यादा सेफ? हवाई यात्रा करने से पहले इन बातों का रखें ध्यान
Plane Crash in Ahmedabad गुजरात के अहमदाबाद में एअर इंडिया विमान टेक ऑफ करते ही क्रैश हो गया। विमान मेडिकल कॉलेज के हॉस्टर की बिल्डिंग से टकराया और इस हादसे में अब तक 100 लोगों की मौत की जानकारी सामने आई है। इस हादसे के बाद से सवाल उठने लगे हैं कि हवाई यात्रा कितनी सुरक्षित है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। गुजरात के अहमदाबाद में हुए विमान हादसे ने पूरी दुनिया को सन्न कर दिया। विमान में 242 लोग सवार थे, जिनमें से 100 लोगों की मौत की खबर है। यह एअर इंडिया (Air India Plane Crash) का एआई 171 प्लेन था, जो अहमदाबाद से लंदन जा रहा था। इसमें गुजरात के पूर्व सीएम विजय रुपाणी भी सवार थे।
ये सवाल कुछ सवाल पैदा करते हैं। सवाल ये कि क्या हवाई यात्रा वाकई इतनी सुरक्षित है। सवाल ये भी आता है कि क्या प्लेन में कोई ऐसी सीट होती है, जिसे सुरक्षित कहा जा सकता है या जिस पर बैठकर हादसे के बाद भी सुरक्षित बचा जा सकता है? आज इन्हीं सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश करेंगे।
पीछे की सीटें ज्यादा सुरक्षित
पिछले साल दिसंबर में दक्षिण कोरिया और कजाखस्तान में हुए विमान हादसों की तस्वीरों और वीडियो पर गौर करें, तो पता चलता है कि जो जिंदा बचे, वह पीछे की सीटों पर बैठे थे। दक्षिण कोरिया में हुए हादसे के बाद पूरा विमान जलकर राख हो गया, केवल उसका पिछला हिस्सा ही पहचानने लायक बचा।
वहीं कजाखस्तान में हुए हादसे में भी विमान के पिछले हिस्से में बैठे लोगों को रेस्क्यू करते हुए वीडियो सामने आए। यही वह हिस्सा था, जो अपेक्षाकृत कम क्षतिग्रस्त था। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि विमान की पिछली हिस्से में मौजूद सीटें ज्यादा सुरक्षित होती हैं।
क्या और भी हैं ऐसे उदाहरण?
ऐसा नहीं है कि महज इन दो हादसों में विमान के पीछे की सीटों पर बैठे लोग सुरक्षित बचे हों। 2013 में सैन फ्रांसिस्को एयरपोर्ट पर एशियाना एयरलाइंस का विमान लैंडिंग के वक्त क्रैश हो गया था। इस हादसे में जो यात्री पीछे की सीटों पर बैठे थे, वह बच गए थे।
1989 में सिओक्स सिटी में भी एक विमान दुर्घटना हुई थी। इस हादसे में विमान में बैठे 269 यात्रियों में से 184 जिंदा बचे थे। इसमें से ज्यादातर इकोनॉमी क्लास के सामने वाले हिस्से में बैठे थे। ये हादसे दिखाते हैं कि प्लेन में आपकी सीट का स्थान भी सुरक्षा में अहम भूमिका निभाता है।
क्यों सेफ होती है पीछे की सीट?
- दरअसल ज्यादातर विमान दुर्घटनाएं ऐसी होती हैं, जिसमें हादसे का असर आगे के हिस्से पर पड़ता है।
- पीछे का हिस्सा अक्सर दुर्घटना के वक्त टक्कर से बच जाता है।
- लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि पीछे की सीटों पर लोग बैठना नहीं चाहते।
- इसकी वजह पीछे की तरफ वॉशरूम, लेगरूम कम होना और इमरजेंसी एग्जिट का होना है।
- विमान के क्रू मेंबर भी पीछे के हिस्से में मौजूद रहते हैं।
कौन-सी सीट सबसे असुरक्षित?
अब अगर पीछे की सीट सबसे सुरक्षित मानी जाती है, तो सवाल है कि क्या सबसे ज्यादा असुरक्षित आगे की सीटें होती हैं? जी नहीं। किसी प्लेन में सबसे ज्यादा असुरक्षित बीच की सीटों को माना जाता है।
दरअसल प्लेन में जिस जगह बीच की सीटें होती हैं, वहां विमान के पंखे भी होते हैं। इन पंखों में फ्यूल भरा होता है। हादसे के वक्त इनमें आग लगने का खतरा रहता है। प्लेन के पंखे के पास वाली सीटें भले ही स्नैप और इंस्टाग्राम के लिए कूल लगती हों, लेकिन ये सबसे असुरक्षित हैं।
ध्यान रखें यह बात
टाइम मैगजीन ने 35 साल में हुए विमान हादसों की स्टडी के बाद एक रिपोर्ट तैयार की थी। इसके मुताबिक, पीछे की सीटों पर मौत का खतरा केवल 28 फीसदी होता है, जबकि बीच की सीटों पर यह 44 फीसदी होता है।
हालांकि ध्यान रखने वाली बात ये भी है कि हर हादसा अलग होता है। हर हादसे के तरीके, परिस्थिति और पायलट की कुशलता पर भी निर्भर करता है कि कौन बचेगा और कौन नहीं। 1979 में न्यूजीलैंड का एक विमान दुर्घटना का शिकार हुआ था, जिसमें कोई जिंदा नहीं बचा था। वहीं 2009 में यूएस एयरवेज की फ्लाइट पक्षियों के झुंड से टकरा गई थी। लैंडिंग के बाद फ्लाइट में मौजूद सभी लोग सुरक्षित बच गए थे।
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