आयुष्मान योजना: सेहत संग बचत की संजीवनी, निम्न आय वर्ग के लोगों को मिल रही राहत
आयुष्मान भारत योजना के आंकड़ों और तथ्यों के आधार पर समझिए कैसे यह योजना भारत के करोड़ों कम आय वर्ग वाले लोगों को जीवन को स्वास्थ्य का वरदान देने के साथ उनकी आर्थिकी भी मजबूत कर रही है

नेशनल डेस्क, नई दिल्ली। भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में स्वास्थ्य सेवा का सशक्त और सुलभ होना नितांत आवश्यक है। इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने वर्ष 2018 में महत्वाकांक्षी ‘आयुष्मान भारत-पीएम जन आरोग्य योजना’ आरंभ की थी। इसका उद्देश्य देश की निम्य आय वर्ग वाली जनसंख्या को बीमारियों के उपचार में आर्थिक सहायता देना था। लगभग 50 करोड़ लोगों को लक्षित करती यह योजना अपने आरंभ से ही चर्चा का विषय रही है।
पंजीकरण में मप्र रहा सबसे आगे
- केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा बीते वर्ष जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार आयुष्मान योजना को लागू करने में मध्य प्रदेश सबसे आगे है। वहां 2,47,91,352 करोड़ से अधिक पंजीकरण आयुष्मान भारत योजना में हुए। इसके बाद तमिलनाडु का नंबर है जहां 2,47,27,508 लोगों ने इस योजना में पंजीकरण कराया। इसके बाद उत्तर प्रदेश (1.4 करोड़ से अधिक). छत्तीसगढ़ (1.32 करोड़), कर्नाटक (97 लाख) और झारखंड (89 लाख) और गुजरात (76 लाख) हैं।
- इस योजना की सफलता राज्यों पर निर्भर करती है और मध्य प्रदेश ने इसमें नवाचार किया है। वहां सूचीबद्ध अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड बनाने के लिए लोक सेवा केंद्र और मित्र कियोस्क को आनलाइन प्रशिक्षण पर काम हो रहा है। मध्य प्रदेश ने निम्नआय वर्ग के छूट गए लोगों को आयुष्मान योजना से जोड़ने के लिए भी विशेष प्रयास किया है। उसने अन्य सरकारी योजनाओं से वंचित परिवारों की जानकारी एकत्र की ताकि उन्हें आयुष्मान में जोड़ा जा सके।
- आयुष्मान योजना के अंतर्गत अस्पताल में भर्ती कर उपचार करने के मामले में तमिलनाडु देश में सबसे आगे है। वहां 3,800 करोड़ रुपये से अधिक कीमत के लाभ इस मद में दिए गए हैं। 3,600 करोड़ के साथ गुजरात इस मामले में नंबर दो स्थान पर है।
- आंध्र प्रदेश में यह राशि 3,500 करोड़ है जबकि केरल में 1,900 करोड़, कर्नाटक में 1,700 करोड़, छत्तीसगढ़ में 1,500 करोड़ और महाराष्ट्र में 1,200 करोड़ रुपये लाभार्थियों के अस्पताल में भर्ती होने व उपचार पर खर्च किए गए। मध्य प्रदेश में भी 1,200 करोड़ रुपये से अधिक की राशि आयुष्मान योजना के लाभार्थियों के अस्पताल में भर्ती होने और उपचार पर खर्च की गई है।
करीब आधी आबादी को लाभ
- रांची से करीब चार वर्ष पूर्व पीएम नरेन्द्र मोदी द्वारा लांच की गई आयुष्मान भारत योजना कोरोना महामारी के बावजूद देश की आर्थिकी के निचले पायदान पर मौजूद निम्न आय वर्ग के करोड़ों लोगों के जीवन में स्वास्थ्य और बचत की संजीवनी की भूमिका निभा रही है।
- वर्ष 2020 में योजना के दो वर्ष पूरे होने के समय तक आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इस योजना से देश के निम्न आय वर्ग के लोगों को लगभग 30,000 करोड़ रुपये की बचत हो चुकी थी। कोरोना काल में थोड़ी शिथिलता के बाद एक बार फिर यह सिलसिला चल पड़ा है।
- यह योजना इस समय देश के 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू है और इससे 23,000 से अधिक सरकारी व निजी अस्पताल जुड़ चुके हैं।
योजना को रुचिकर बनाने की पहल
- केंद्र सरकार ने एक और पहल के तहत योजना से जुड़े सरकारी अस्पतालों को भी निजी अस्पतालों के बराबर ही प्रतिपूर्ति की व्यवस्था की है। इससे सरकारी अस्पताल अतिरिक्त राशि का प्रयोग अपने यहां स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर करने में कर सकेंगे।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) ने भारतीय गुणवत्ता परिषद (क्यूसीआइ) के साथ मिलकर योजना से जुड़े अस्पतालों को गुणवत्ता प्रमाणपत्र देने पर भी काम आरंभ किया है। स्वर्ण, रजत व कांस्य श्रेणी के इन प्रमाणपत्रों के आधार पर अस्पताल पैकेज प्रतिपूर्ति में क्रमश: 15, 10 व पांच प्रतिशत की वृद्धि के अधिकारी होंगे।
कोरोना काल में आवागमन व सामान्य उपचारों में शिथिलता के कारण आयुष्मान योजना के क्रियान्वयन व लाभ पर प्रभाव पड़ा, लेकिन इससे लोगों को जोड़ने का काम निरंतर जारी रहा। अब तक योजना से करीब 18 करोड़ लोग जुड़ चुके हैं।
उपचार पर होने वाले खर्च में 21 प्रतिशत कमी
- आयुष्मान भारत योजना के शुभारंभ के बाद और कोरोना महामारी से ठीक पहले के आंकड़ों पर आधारित एक रिपोर्ट कहती है कि जिन राज्यों में यह योजना लागू है, वहां इसके लाभार्थियों का स्वयं द्वारा उपचार पर किया जाने वाले खर्च (आउट आफ पाकेट हेल्थ एक्सपेंडीचर यानी ओओपीएचई) लगभग 21 प्रतिशत कम हो गया है।
- शोध कार्य और रिसर्च पेपर जारी करने वाली संस्था एसएसआइएन की वेबसाइट पर इंडियन स्कूल आफ र्बैंंकग के सहायक प्रोफेसर प्रसन्ना तंत्री द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट के अनुसार आयुष्मान भारत ने बीमारी की स्थिति में लिए जाने वाले आकस्मिक कर्ज में भी लगभग आठ प्रतिशत की कमी की है।
- कई राज्यों में पहले से ही स्वास्थ्य योजनाएं चल रही हैं, ऐसे में यह आकलन करना काफी कठिन था कि निम्न आयवर्ग के लोगों के उपचार व्यय और कर्ज लेने की प्रवृत्ति में कमी किस योजना के कारण है। इसके लिए एसएसआरएन में प्रस्तुत रिपोर्ट में ऐसे सीमांत क्षेत्रों का अध्ययन शामिल किया गया जहां एक स्थान पर आयुष्मान भारत योजना लागू थी और उससे जुड़े दूसरे राज्य के क्षेत्र में यह योजना नहीं थी। दोनों क्षेत्रों के अध्ययन में मिले अंतर से स्पष्ट हो गया कि निम्न आय वर्ग को हो रहे लाभ आयुष्मान भारत योजना के कारण ही हैं।
- जिन जिलों में आयुष्मान योजना में पंजीकृत परिवारों के बीच अध्ययन किया गया, उनमें उपचार के लिए स्वयं किए जाने वाले खर्च में एक प्रतिशत की कमी देखी गई। वहीं, उनसे सटे आयुष्मान योजना लागू न करने वाले राज्य के जिलों में इस प्रकार के व्यय में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई। इसके आधार पर कहा गया है कि आयुष्मान योजना के लाभार्थियों में उपचार पर स्वयं द्वारा किए जाने वाले खर्च में 21 प्रतिशत की कमी आई है।
जम्मू-कश्मीर का सांबा दिखा रहा राह
- जम्मू-कश्मीर का सांबा आयुष्मान भारत योजना में 100 प्रतिशत घरों को कवर करने वाला देश का पहला जिला बन गया है।
- आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, सांबा जिले में कुल 62,641 परिवार हैं, जिनमें 3,04,510 लोग उक्त गोल्डन कार्ड के योग्य हैं।
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