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    MP में साइबर ठगी में उपयोग हुए 800 म्यूल खाते, धारकों पर शिकंजा कसने की तैयारी

    Updated: Sun, 28 Dec 2025 12:30 AM (IST)

    मध्य प्रदेश साइबर पुलिस मुख्यालय साइबर ठगी में इस्तेमाल होने वाले म्यूल खातों और उनके धारकों पर शिकंजा कसने की तैयारी में है। पहले चरण में 800 ऐसे खात ...और पढ़ें

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    साइबर क्राइम के खिलफ शिकंजा।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। साइबर ठगी की राशि जमा करवाने और ट्रांसफर में उपयोग होने वाले म्यूल (किराये के) खातों और खाताधारकों के विरुद्ध मध्य प्रदेश साइबर पुलिस मुख्यालय शिकंजा कसने की तैयारी कर रहा है। पहले चरण में 800 ऐसे खातों को चिह्नित किया गया है, जिनमें किसी भी ठगी की रकम सबसे पहले आई।

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    सभी जिलों में पुलिस इन खातों और खाताधारकों की कुंडली निकाल रही है। इसमें यह देखा जा रहा है कि खाताधारक की क्या भूमिका है। खाता ठगों को देने या बेचने में उसकी भूमिका है या नहीं। ठगों ने नया खाता खुलवाया या पहले से खोले गए खातों को बेचा या किराये पर दिया गया। बता दें, मध्य प्रदेश में लगभग तीन लाख म्यूल खातों का पता चला है। चरणबद्ध तरीके से सभी की पड़ताल की जाएगी। पुलिस ने इस अभियान का नाम आपरेशन मैट्रिक्स दिया है।

    450 करोड़ रुपये की हो चुकी है ठगी

    अकेले इस वर्ष अभी तक लगभग 450 करोड़ रुपये की साइबर ठगी मध्य प्रदेश के लोगों से हो चुकी है। इनमें उपयोग किए गए कुछ खाते मध्य प्रदेश में, कुछ दूसरे राज्यों या फिर विदेश में हैं। साइबर पुलिस ने इसके पहले फर्जी सिम बेचने वालों के विरुद्ध आपरेशन फास्ट चलाया था। फर्जी तरीके से सिम बेचने वाले 3824 विक्रेताओं को चिह्नित किया गया था। पूछताछ के बाद 50 एफआइआर दर्ज की गई।

    इसी अभियान में पता चला था कि फर्जी सिम कार्ड का उपयोग म्यूल खाते खोलने में भी किया जा रहा है। साइबर पुलिस ही नहीं एसटीएफ द्वारा पकड़े गए आर्थिक ठगी के आरोपितों से पूछताछ में भी म्यूल खातों का पता चला था।

    यह होता है म्यूल खाता

    यह खाता ठगी की राशि रखने के लिए उपयोग किया जाता है। इन्हें फर्जी दस्तावेज के आधार पर खुलवाया जाता है या फिर किसी को गुमराह कर उसके दस्तावेज लेकर ठग खाते खुलवाते हैं। ऐसे मामले भी सामने आए हैं कि खाताधारक ने कुछ रुपयों के लालच में या अज्ञानता के चलते अपना खाता ठगों को उपयोग करने के लिए दे दिया।

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