अटल जी राष्ट्रनीति, सुशासन और समावेशी विकास का अद्वितीय प्रतीक : राधाकृष्णन
उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने अटल बिहारी वाजपेयी को राष्ट्रनीति, सुशासन का प्रतीक बताया। इंदौर में 'शून्य से शिखर तक' कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि ...और पढ़ें

उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी को राष्ट्रनीति, सुशासन और समावेशी विकास का अद्वितीय प्रतीक बताया। कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने पूरे राजनीतिक जीवन में सुशासन और राष्ट्र निर्माण को सर्वोपरि रखा। उनका व्यक्तित्व राजनीति तक सीमित नहीं था, बल्कि वह राष्ट्र निर्माण के एक विचार और मिशन का स्वरूप था। वह केवल अपने समय के नेता नहीं, बल्कि आने वाली पीढि़यों के लिए भी मार्गदर्शक प्रकाश स्तंभ हैं।
उन्होंने यह बातें इंदौर में अटल फाउंडेशन द्वारा रविवार को अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म शताब्दी के अवसर पर आयोजित 'शून्य से शिखर तक' कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा कि अटल जी भाषाई विविधता को भारत की शक्ति मानते थे और तमिलनाडु सहित पूरे देश में उनका सम्मान सर्वमान्य था। द्रविड़ हमेशा हिंदी का विरोध करते रहे, लेकिन अटल जी को संसद में बोलते हुए देखने के बाद तमिलनाडु के राजनेता अन्नादुरई ने कहा था कि यदि हिंदी अटल जी जैसे बोलते हैं, वैसे बोली जाती है, तो हम इसका विरोध नहीं करेंगे।
राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने क्या कहा?
राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि अटल जी का जीवन ऐसे ग्रंथ की भांति था, जिसका प्रत्येक पृष्ठ नैतिकता, उत्कृष्टता और राष्ट्र धर्म की राह दिखाता है। मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने कहा कि अटल जी राष्ट्रनीति के शिखर पुरुष, राजनीति के अजातशत्रु और भारतीय लोकतंत्र की मर्यादा के प्रतीक थे। 25 दिसंबर को ग्वालियर में दो लाख करोड़ रुपये से अधिक के औद्योगिक निवेश के भूमि-पूजन और लोकार्पण कार्यक्रम अटल जी को समर्पित किए जाएंगे।
कार्यक्रम में कौन-कौन लोग हुए शामिल?
कार्यक्रम में कवि सत्यनारायण सत्तन, पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्यनारायण जटिया, भारतीय क्रिकेट टीम चयन समिति के पूर्व चयनकर्ता संजय जगदाले और गौ एवं मानव सेवा के लिए चर्चित सागर के पारंग शुक्ला को अटल अलंकरण से सम्मानित किया गया। लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, प्रदेश के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, तुलसीराम सिलावट, सांसद शंकर लालवानी, महापौर पुष्यमित्र भार्गव भी उपस्थित रहे।

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