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    इंटर रिलीजन लैंड ट्रांसफर के लिए असम सरकार ने SOP को दी मंजूरी, सीएम हिमंता बोले- हर रिकॉर्ड की होगी जांच

    असम सरकार ने अंतर-धर्मी जमीन हस्तांतरण के लिए नई मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) को मंजूरी दी है। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि हर हस्तांतरण की जांच सरकार करेगी ताकि सामाजिक ताने-बाने को नुकसान न हो। इस SOP का उद्देश्य जमीन हस्तांतरण को वैध बनाना और आदिवासी समुदायों की जमीन को अवैध कब्जे से बचाना है।

    By Digital Desk Edited By: Chandan Kumar Updated: Thu, 28 Aug 2025 10:44 AM (IST)
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    इस SOP के तहत, जमीन हस्तांतरण की हर प्रक्रिया को कड़े नियमों और जांच के दायरे में लाया जाएगा।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। असम सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए अंतर-धर्मी जमीन हस्तांतरण के लिए नई मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) को मंजूरी दे दी है।

    यह फैसला असम जैसे संवेदनशील राज्य में जमीन के हस्तांतरण को पारदर्शी और सुरक्षित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने इस फैसले की घोषणा करते हुए कहा कि अब हर अंतर-धर्मी जमीन हस्तांतरण की जांच सरकार करेगी। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि ऐसी कोई डील न हो जो सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाए या राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बने।

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    इस SOP के तहत, जमीन हस्तांतरण की हर प्रक्रिया को कड़े नियमों और जांच के दायरे में लाया जाएगा। यह कदम खासतौर पर स्थानीय आदिवासी समुदायों की जमीन को अवैध कब्जे से बचाने के लिए उठाया गया है।

    क्या है नई SOP और इसका मकसद?

    मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने बताया कि असम में जमीन ट्रांसफर एक संवेदनशील मसला है। इसीलिए सरकार ने यह तय किया है कि अंतर-धर्मी जमीन हस्तांतरण के हर प्रस्ताव को पहले सरकार के पास आना होगा। इसकी जांच होगी कि खरीदार के पास पैसे का स्रोत क्या है, क्या यह हस्तांतरण स्थानीय सामाजिक ढांचे को प्रभावित करेगा, और क्या इसमें कोई राष्ट्रीय सुरक्षा का खतरा तो नहीं।

    इस SOP का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जमीन का हस्तांतरण पूरी तरह से वैध हो और इसमें कोई धोखाधड़ी, दबाव या गैरकानूनी गतिविधि शामिल न हो। खासकर, यह कदम आदिवासी समुदायों की जमीन को अवैध कब्जे से बचाने के लिए उठाया गया है, जो असम में एक बड़ा मुद्दा रहा है।

    जमीन ट्रांसफर की प्रक्रिया क्या होगी?

    नई SOP के तहत, अंतर-धर्मी जमीन हस्तांतरण का प्रस्ताव सबसे पहले जिले के डिप्टी कमिश्नर (DC) के पास जमा होगा। डिप्टी कमिश्नर इसकी प्रारंभिक जांच करेंगे और फिर इसे राजस्व विभाग को भेजेंगे। वहां से एक नोडल अधिकारी इसे असम पुलिस की स्पेशल ब्रांच को सौंपेगा। स्पेशल ब्रांच इस प्रस्ताव की गहराई से जांच करेगी।

    इस जांच में कई बातों पर गौर किया जाएगा, जैसे- क्या हस्तांतरण में कोई धोखाधड़ी या दबाव शामिल है? खरीदार के पैसे का स्रोत क्या है? क्या यह डील स्थानीय सामाजिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाएगी? और क्या इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा को कोई खतरा है? जांच पूरी होने के बाद स्पेशल ब्रांच अपनी रिपोर्ट डिप्टी कमिश्नर को सौंपेगी, जो अंतिम फैसला लेंगे कि प्रस्ताव मंजूर करना है या नहीं।

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