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    नलबाड़ी क्रिसमस मार्केट में तोड़फोड़, कांग्रेस ने असम सरकार को घेरा

    Updated: Fri, 26 Dec 2025 05:07 PM (IST)

    कांग्रेस नेता देबब्रत सैकिया ने नलबाड़ी में क्रिसमस बाजारों में बजरंग दल के सदस्यों द्वारा की गई तोड़फोड़ की निंदा की और भाजपा सरकार पर सांप्रदायिक रा ...और पढ़ें

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    देबब्रत सैकिया और सीएम हिमंता बिस्वा सरमा। (पीटीआई)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस नेता देबब्रत सैकिया ने नलबाड़ी में क्रिसमस बाजारों में बजरंग दल के सदस्यों द्वारा की गई तोड़फोड़ की कड़ी निंदी की गई और भाजपा के नेतृत्व वाली असम सरकार पर सांप्रदायिक राजनीति को बढ़ावा देने और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाया।

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    देबब्रत सैकिया ने कहा कि यह घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण थी और राज्य में धार्मिक सद्भाव की बिगड़ती स्थिति को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि नलबाड़ी में जो हुआ वह बेहद दुखद है। प्रधानमंत्री दिल्ली में सबको लगे लगा रहे हैं, सांता क्लॉल की टोपी पहले हुए हैं, जबकि उनके सहयोगी संगठनों से जुड़े हुए लोग जमीनी स्तप पर अस्पसंख्यकों को धमका रहे हैं।

    संविधान का अनुच्छेद 25 खतरे में - सैकिया

    उन्होंने आगे कहा, "संविधान का अनुच्छेद 25, जो धर्म के अधिकार की गारंटी देता है, यहां खतरे में है और असम सरकार कुछ नहीं कर रही है। वास्तव में, मुख्यमंत्री स्वयं धमकी भरे भाषण दे रहे हैं। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि सरकार विकास के मोर्चे पर अपनी विफलता के कारण समझौता कर रही है और जानबूझकर सांप्रदायिक राजनीति थोप रही है।"

    सैकिया ने आरोप लगाया कि शासन की विफलताओं से ध्यान हटाने के लिए विभाजनकारी राजनीति का इस्तेमाल किया जा रहा है और यह स्थिति असम के लिए बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।

    छह समुदायों को एसटी का दर्जा मिला चाहिए- सैकिया

    असम के छह समुदायों के लिए अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की लंबे समय से लंबित मांग को दोहराते हुए, सैकिया ने भाजपा पर राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “छह समुदायों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिलना चाहिए। भाजपा सरकार का इस मुद्दे को हल करने का कोई इरादा नहीं है और उसने चुनावी लाभ के लिए इसे केवल टाल दिया है।”

    उन्होंने अमराई प्रधान समिति की 1996 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि उस समय भी सभी सिफारिशें स्पष्ट रूप से बताई गई थीं। सैकिया ने यह भी बताया कि असम में भाजपा के दस साल के शासन के बावजूद, बाद की समिति रिपोर्टों के आधार पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।