जेपी मॉर्गन इंडेक्स में भारत के शामिल होने से विदेशी निवेश बढ़ने की उम्मीद, रुपये को भी मिलेगी मजबूती
यह भारत की इकोनॉमी की बढ़ती मजबूती को दर्शाता है। इससे ग्लोबल मार्केट के साथ भारत के फाइनेंशियल मार्केट का इंटीग्रेशन बढ़ेगा। अरबों डॉलर का निवेश भारत आने की उम्मीद है। विदेशी निवेशक भारतीय करेंसी में ही सरकारी बांड में निवेश करेंगे। बांड यील्ड में कमी आएगी और रुपये को समर्थन मिलेगा। हालांकि शेयर बाजार पर इसका सीधा असर पड़ने की संभावना नहीं है।
प्राइम टीम, नई दिल्ली। दस साल पहले जब भारत के सामने भुगतान संतुलन का संकट आया था, तब भारत को ‘फ्रेजाइल फाइव’ देशों में से एक बताया गया था। एक दशक में आर्थिक सुधारों के चलते भारत का दबदबा बढ़ा है और अब यह ग्लोबल फाइनेंशियल सिस्टम में इंटीग्रेट होने के लिए तैयार है। पिछले शुक्रवार को जेपी मॉर्गन ने भारत सरकार के बांड को अपने गवर्नमेंट बांड इंडेक्स-इमर्जिंग मार्केट्स (GBI-EM) में शामिल करने का फैसला किया। भारत के बांड को जून 2024 से इस इंडेक्स में शामिल किया जाएगा। यह पहली बार होगा जब भारत सरकार का बांड ऐसे किसी ग्लोबल इंडेक्स में शामिल होगा। यह भारत की इकोनॉमी की बढ़ती मजबूती को दर्शाता है। इससे ग्लोबल मार्केट के साथ भारत के फाइनेंशियल मार्केट का इंटीग्रेशन बढ़ेगा। अरबों डॉलर का निवेश भारत आने की उम्मीद है। विदेशी निवेशक भारतीय करेंसी में ही सरकारी बांड में निवेश करेंगे। बांड यील्ड में कमी आएगी और रुपये को समर्थन मिलेगा। हालांकि शेयर बाजार पर इसका सीधा असर पड़ने की संभावना नहीं है।
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भारत सरकार ने पहली बार 2013 में ग्लोबल इंडेक्स में अपनी सिक्योरिटीज को शामिल करने के लिए बातचीत शुरू की थी, लेकिन उस समय घरेलू सिक्योरिटीज में विदेशी निवेश पर रेस्ट्रिक्शन थे। सरकार ने 2019 में फिर इसके लिए कोशिश की। तब अप्रैल 2020 में रिजर्व बैंक ने फुली एक्सेसिबल रूट (एफएआर) के तहत कुछ सिक्योरिटीज जारी किए। उनमें विदेशी निवेश पर किसी तरह की रोक नहीं है।
इंडेक्स में भारत सरकार के बांड को कब शामिल किया जाएगा?
जेपी मॉर्गन ने 21 सितंबर को एक नोट में कहा कि भारत सरकार के बांड को ग्लोबल बांड इंडेक्स-इमर्जिंग मार्केट में शामिल किया जाएगा। इन्हें जून 28 जून 2024 से 31 मार्च 2025 तक 10 महीने के अवधि में इंडेक्स में शामिल किया जाएगा। इस समय भारत सरकार के 23 बांड ऐसे हैं जो इंडेक्स में शामिल करने योग्य हैं। उनकी कुल नोशनल वैल्यू 330 अरब डॉलर के आसपास है। जेपी मॉर्गन का कहना है कि इसके बेंचमार्क इन्वेस्टर्स में से 73% ने इंडेक्स में भारत को शामिल करने के पक्ष में वोट डाले।
इंडेक्स में भारत सरकार के बांड को कितनी वेटेज मिलेगी?
इंडेक्स में भारतीय बांड की वेटेज 10% होगी। जून 2024 से हर महीने एक प्रतिशत वेटेज बढ़ती जाएगी। हालांकि भारत को 10% वेटेज मिलने का मतलब है दूसरे देशों की वेटेज में कमी आएगी। थाईलैंड को सबसे अधिक नुकसान होगा। उसकी वेटेज 1.65% कम हो जाएगी। दक्षिण अफ्रीका, पोलैंड, चेक गणराज्य और ब्राजील के वेटेज में भी 1% से 1.36% की कमी आएगी।
जेपी मॉर्गन के इस कदम से भारत में कितने निवेश की उम्मीद?
जेपी मॉर्गन ग्लोबल बांड इंडेक्स-इमर्जिंग मार्केट में शामिल फंड का एसेट अंडर मैनेजमेंट 236 अरब डॉलर है। भारत को 10% वेटेज मिलने का मतलब है कि जून 2024 से अप्रैल/मई 2025 तक 23.6 अरब डॉलर का इनफ्लो आएगा। कुछ विश्लेषकों का मत है कि वास्तविक इनफ्लो ज्यादा हो सकता है। तुलनात्मक रूप से देखें तो 2023 में विदेशी निवेशकों ने भारतीय बांड में अब तक 3.5 अरब डॉलर का निवेश किया है। एक्सिस म्यूचुअल फंड का आकलन है कि डेढ़ साल में 25 से 30 अरब डॉलर का निवेश आएगा। हालांकि, ऐसा नहीं कि इंडेक्स में शामिल किए जाने मात्र से भारत में निवेश होने लगेगा, निवेशक आर्थिक परिस्थितियां देखकर ही पैसा लगाएंगे। इस समय कुल बांड में विदेशी होल्डिंग 1.7% है, यह अप्रैल-मई 2025 तक 3.4% तक पहुंच जाने का अनुमान है। कुछ विश्लेषकों का मत है कि भारत के सरकारी बांड को इंडेक्स में भले ही जून 2024 में शामिल किया जाएगा, लेकिन फ्रंट लोडिंग के तहत निवेश अभी से शुरू हो जाने की उम्मीद है।
प्रत्यक्ष निवेश के अलावा अन्य फायदे क्या हो सकते हैं?
मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए भारत इन्फ्रास्ट्रक्चर पर फोकस कर रहा है। इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने के लिए सरकार को काफी पैसा चाहिए। लेकिन बचत की दर कम हो रही है और सरकार का कर्ज तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में इंडेक्स के जरिए सरकार को एक नया और लांग टर्म का स्रोत मिलेगा।
सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 5.9% राजकोषीय घाटे का लक्ष्य रखा है। सरकार रिकॉर्ड 15 लाख करोड़ रुपये कर्ज लेगी। अभी बैंक, बीमा कंपनियां और म्यूचुअल फंड सरकारी बांड के सबसे बड़े खरीदार होते हैं। विदेशी निवेशकों के आने से एक बड़ा स्रोत जुड़ जाएगा। इससे सरकार के कर्ज की लागत कम होगी। ट्रेडर्स का आकलन है कि अगले कुछ महीनों में बेंचमार्क बांड यील्ड 10 से 15 बेसिस प्वाइंट घटकर 7% रह जाएगी। कॉरपोरेट बांड की ब्याज दर के लिए सरकारी बांड को बेंचमार्क माना जाता है, इसलिए कॉर्पोरेट्स को भी फायदा मिलेगा। अभी बैंक काफी पैसा सरकारी बांड में निवेश करते हैं। उनका जो पैसा बचेगा, वह प्राइवेट सेक्टर को कर्ज के रूप में दे सकते हैं।
अन्य इंडेक्स में शामिल किए जाने की संभावना कितनी है?
इस समय तीन प्रमुख इमर्जिंग मार्केट बांड इंडेक्स हैं- जेपी मॉर्गन इमर्जिंग मार्केट बांड इंडेक्स, एफटीएसई इमर्जिंग मार्केट बांड इंडेक्स और ब्लूमबर्ग बार्कलेज इमर्जिंग मार्केट बांड इंडेक्स। जेपी मॉर्गन के इंडेक्स में भारत के बांड के शामिल होने के बाद बाकी दोनों इंडेक्स में भारत को शामिल करने का रास्ता खुल सकता है। अगर भारत के बांड को इन तीनों में शामिल कर लिया जाए तो साल भर में कम से कम 40 से 50 अरब डॉलर का इनफ्लो होगा। एफटीएसई अपने इमर्जिंग मार्केट गवर्नमेंट बांड इंडेक्स में भारत को शामिल करने पर 28 सितंबर को फैसला करेगा।
विश्लेषकों का आकलन है कि अगर ब्लूमबर्ग के इंडेक्स में भारत को शामिल किया जाता है और उसमें भारत को 0.6% से 0.8% वेटेज मिलती है, तो भारत में 15 से 20 अरब डॉलर का इनफ्लो आ सकता है। वेटेज कम होने से ब्लूमबर्ग इंडेक्स में भारत को एक बार में ही शामिल किया जा सकता है। इसमें धीरे-धीरे बढ़ोतरी होने की भी संभावना है।
इंडेक्स में शामिल किए जाने का कोई निगेटिव असर भी होगा?
ग्लोबल मैक्रो इकोनॉमिक हालात काफी अनिश्चित हैं। यूरोप में वहां की सबसे बड़ी इकोनॉमी जर्मनी समेत कई देशों के मंदी में जाने का डर है। जियो पॉलिटिकल स्थितियां भी अनिश्चितता को बढ़ाने वाली हैं। विदेशी मुद्रा का प्रवाह बढ़ने से बांड और करेंसी मार्केट में ज्यादा उतार-चढ़ाव देखने को मिलेंगे। तब रिजर्व बैंक को इसमें ज्यादा हस्तक्षेप करना पड़ सकता है।
अभी पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, फिर लोकसभा चुनाव होंगे। चुनावों से पहले सरकारें खर्च बढ़ा देती हैं। कच्चे तेल के दाम भी बढ़ रहे हैं। घरेलू घाटे की फंडिंग के लिए विदेशी फंड पर निर्भरता बढ़ी तो ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस जैसे मौकों पर जोखिम बढ़ जाएगा। उस समय विदेशी निवेशक अपना पैसा निकालेंगे तो बांड की कीमत पर दबाव बढ़ेगा।