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जम्मू-कश्मीर में चुनावी मुद्दा नहीं बनेगा अनुच्छेद 370

जम्मू-कश्मीर में ताकत बढ़ाने के बजाय भाजपा सत्ता की लड़ाई जीतने के लक्ष्य से आगे बढ़ रही है। इसलिए पार्टी जहां पूरी ताकत झोंक रही है, वहीं एक-एक कदम बेहद नाप-तौल कर उठा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पहले मिशन कश्मीर फतेह की जमीन तैयार करने का जिम्मा गृह

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Thu, 20 Nov 2014 04:15 AM (IST)Updated: Thu, 20 Nov 2014 04:17 AM (IST)
जम्मू-कश्मीर में चुनावी मुद्दा नहीं बनेगा अनुच्छेद 370

किश्तवाड़/डोडा, [राजकिशोर]। जम्मू-कश्मीर में ताकत बढ़ाने के बजाय भाजपा सत्ता की लड़ाई जीतने के लक्ष्य से आगे बढ़ रही है। इसलिए पार्टी जहां पूरी ताकत झोंक रही है, वहीं एक-एक कदम बेहद नाप-तौल कर उठा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पहले मिशन कश्मीर फतेह की जमीन तैयार करने का जिम्मा गृह मंत्री राजनाथ सिंह के कंधों पर है। बुधवार से उन्होंने मिशन की शुरुआत की तो अनुच्छेद 370 जैसे विवादित मुद्दे को चतुराई से राष्ट्रीय बहस का विषय बता पीछे छोड़ दिया। चुनाव एजेंडे को विकास और सुशासन के मुद्दे पर लाने के साथ कश्मीरी पंडितों और गुलाम कश्मीर से आए विस्थापितों के पुनर्वास पर सबसे ज्यादा जोर दिया। आतंकवाद और पाकिस्तान के नापाक इरादों पर हमला बोला तो कांग्रेस, नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी पर तीखे प्रहार किए।

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मोदी सरकार के सबसे वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री राजनाथ ने बुधवार को किश्तवाड़ के पद्दर और डोडा के भद्रवाह क्षेत्र में दो रैलियां कीं। संपर्क के लिहाज से बेहद जटिल इन दोनों इलाकों में इससे पहले भाजपा की ऐसी सभाएं नहीं हुई थीं। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ये सीटें जीत भी नहीं सकी थी, लेकिन इस दफा पार्टी खासे उत्साह में है। राजनाथ के बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी जम्मू पहुंच गए हैं, लेकिन वह एक ही रैली करेंगे। राजनाथ बृहस्पतिवार को फिर लेह में रैली करने जाएंगे। जम्मू-कश्मीर में सबसे ज्यादा मांग भी मोदी और राजनाथ की है। भाजपा के शीर्ष नेताओं में इन्हीं दोनों की सबसे ज्यादा रैलियां होंगी।

370 नहीं विकास पर करें बात

चुनाव का एजेंडा स्थापित करते हुए राजनाथ ने अनुच्छेद 370 का मुद्दा उठा रहे दलों पर तीखा तंज किया। उन्होंने कहा, कुछ राजनीतिक दल अनुच्छेद 370 पर लोगों को भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं। यह विधानसभा चुनाव है, इसमें सुशासन व विकास पर चर्चा होनी चाहिए। 370 राष्ट्रीय मुद्दा है इस पर बहस होनी ही चाहिए। लेकिन, जम्मू-कश्मीर की जनता का भारत से रिश्ता 370 का नहीं, बल्कि ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और अध्यात्मिक है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में लोगों में भरोसा बना है। जम्मू-कश्मीर की तकदीर बदलने का माद्दा सिर्फ भाजपा में ही है। अलगाववादियों का बदलता रुख इसका सुबूत है। सज्जाद लोन का खुलकर आना इसी दिशा में एक कदम है।

पाकिस्तान को आना होगा बाज

जम्मू-कश्मीर में सैलाब के समय को याद करते हुए राजनाथ ने कहा, हमारे प्रधानमंत्री ने तो इंसानियत के नाते गुलाम कश्मीर में भी मदद की पेशकश की, लेकिन उन्होंने न सिर्फ मदद लेने से मना किया, बल्कि राहत की पेशकश के बदले सीमा पर गोलियां बरसाईं और गोले दागे। हमने फ्लैग दिखाना बंद किया और जवाब दिया तो वे यूएन में त्राहिमाम करने लगे। पाकिस्तान, कश्मीर का अंतरराष्ट्रीयकरण करना चाहता है, लेकिन पहले अपने कब्जे वाले कश्मीर की हालत तो देखे।

कश्मीरी पंडितों को दिलाएंगे हक

राजनाथ ने शरणार्थियों की जिंदगी गुजार रहे कश्मीरी पंडितों को उनका हक दिलाने की हुंकार भी भरी। साथ ही गुलाम कश्मीर से आए शरणार्थियों को भी समान हक देने के लिए राष्ट्रीय शरणार्थी पुनर्वास नीति बनाने का एलान किया। श्रीनगर में सरपंचों की हत्या का मुद्दा उठाया और एक साल में महंगाई काबू करने का वादा भी किया।

तीन मुस्लिम नेता भाजपा में शामिल

घाटी में अपनी स्थिति मजबूत करने के प्रयासों में जुटी भाजपा को बड़ी सफलता मिली है। भाजपा के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह के सामने बुधवार को किश्तवाड़ के पद्दर में तीन मुस्लिम नेता पार्टी में शामिल हो गए। सूबे में पहले दौर का मतदान 25 नवंबर को है।

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