8 महीने के बच्चे के लिए फरिश्ता बना सेना का जवान, चलती ट्रेन में CPR देकर बचाई जान
ट्रेन में सफर कर रहे एक आठ महीने के बच्चे की सांस रुकने पर सेना के जवान सुनील ने सीपीआर और माउथ-टू-माउथ ऑक्सीजन देकर उसकी जान बचाई। डिब्रूगढ़ राजधानी एक्सप्रेस में हुई इस घटना के दौरान बच्चे की तबीयत अचानक खराब हो गई थी और वह बेहोश हो गया था। सुनील की सूझबूझ और त्वरित कार्रवाई से बच्चे को बचाया जा सका।

8 महीने के बच्चे की जान बचाने वाला सेना का जवान सुनील। फोटो- एएनआई
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ट्रेन से सफर कर रहे एक नवजात बच्चे की अचानक सांस फूलने लगी। ऐसे में सेना का एक जवान उसके लिए फरिश्ता बनकर आया और सीपीआर देकर बच्चे की जान बचा ली। इस घटना के बाद जवान की हर तरफ वाहवाही हो रही है।
रक्षा अधिकारियों के अनुसार, जवान घर से छुट्टी मनाकर ड्यूटी पर वापस लौट रहा था। तभी ट्रेन में अचानक आठ महीने के बच्चे की तबीयत खराब हो गई। जवान ने न सिर्फ उसे माउथ टू माउथ ऑक्सीजन दी, बल्कि CPR (cardiopulmonary resuscitation) देकर उसे बचा लिया।
ट्रेन में बेसुध हुआ बच्चा
यह घटना डिब्रूगढ़ राजधानी एक्सप्रेस की है। रक्षा अधिकारियों ने बयान जारी करते हुए बताया, "समय रहते जवान की सूझबूझ और एक्शन ने बच्चे को बचा लिया। वो भी एक ऐसी जगह, जहां कोई भी चिकित्सक सहायता उपलब्ध नहीं थी।"
रक्षा अधिकारियों के अनुसार,
ट्रेन में सफर के दौरान आठ महीने के बच्चे को अचानक सांस लेने में तकलीफ होने लगी। बच्चे पूरी तरह से अचेत हो गया था। उसी मां जोर-जोर से चिल्लाने लगी। पूरा परिवार परेशान हो उठा था।
Sepoy (Ambulance Assistant) Sunil of 456 Field Hospital saved the life of an eight-month-old infant who suffered a sudden medical emergency onboard the Rajdhani Express en route to Dibrugarh.
— ANI (@ANI) October 18, 2025
At approximately 4.30 pm, an infant reportedly went into sudden respiratory distress… pic.twitter.com/2sZHfm4ikh
कैसे बचाई जान?
सेना के जवान सुनील, जो 456 फील्ड हॉस्पिटल में एंबुलेंस असिस्टेंट के रूप में तैनात हैं, अपनी छुट्टी से ड्यूटी पर वापस लौट रहे थे। वो भी उसी कोच में मौजूद थे। शोर शराबा सुनकर सुनील बच्चे के पास पहुंचे और देखा तो बच्चे की धड़कन थमने लगी थीं। उसने सांस लेना भी बंद कर दिया था।
रक्षा अधिकारी ने बताया, "सुनील ने तुरंत बच्चे को CPR देना शुरू किया। उन्होंने अपनी 2 उंगलियां बच्चे के सीने पर रखी और मुंह से उसे ऑक्सीजन देने लगे। कुछ देर ऐसा करने के बाद बच्चे ने हल्की से हलचल की और वो होश में आ गया।"
अस्पताल में करवाया भर्ती
सुनील ने ट्रेन के स्टाफ और रेलवे स्टाफ से बात करके बच्चे को असम के रंगिया में भर्ती करवाया, जहां उसका इलाज जला। ऐसे में सुनील की छोटी सी कोशिश ने एक बच्चे की जान बचा ली। इसके लिए सुनील की हर तरफ तारीफ हो रही है।
(समाचार एजेंसी पीटीआई और एएनआई के इनपुट के साथ)
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