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    सीमा पार से धड़ल्ले से हो रही नशीले पदार्थों की तस्करी, पंजाब में 3 साल में ड्रोन गिराने की 53 घटनाएं

    By AgencyEdited By: Nidhi Avinash
    Updated: Wed, 02 Aug 2023 07:55 AM (IST)

    केंद्र ने मंगलवार को लोकसभा में बताया की सीमा पार से भारत में हथियार और ड्रग्स भेजने के लिए ड्रोन (Drone) का इस्तेमाल किया जा रहा है। गृह मंत्रालय ने एक रिपोर्ट जारी कर बताया की पिछले तीन साल में ऐसी 53 घटनाएं हुई है। मंत्री निसिथ प्रमाणिक ने संसद में बताया की ड्रोन खतरों से निपटने के लिए पंजाब के सीमावर्ती इलाकों में एंटी-ड्रोन सिस्टम तैनात किए गए हैं।

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    सीमा पार से धड़ल्ले से हो रही नशीले पदार्थों की तस्करी Representative Pic

    नई दिल्ली, एजेंसी। सीमा पार से राष्ट्र विरोधी तत्व और नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। गृह राज्य मंत्री निसिथ प्रमाणिक ने मंगलवार को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में जवाब दिया। उन्होंने लोकसभा में बताया की पिछले तीन वर्षों में और 30 जून, 2023 तक हथियारों/नशीले पदार्थों की तस्करी में शामिल ड्रोन की बरामदगी की 53 घटनाओं का पता चला है।

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    राज्य मंत्री निसिथ प्रमाणिक ने कहा कि इस संबंध में सरकार द्वारा कई कदम उठाए गए है। इसमें शामिल है..

    • बीएसएफ द्वारा सीमा पर चौबीसों घंटे निगरानी करके सीमाओं पर प्रभावी नियंत्रण किया जा रहा है, जैसे कि गश्त करना, नाका लगाना, अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर निगरानी चौकियों की निगरानी करना।
    • अंधेरे के दौरान क्षेत्र को रोशन करने के लिए सीमा सुरक्षा बाड़ के साथ बॉर्डर फ्लड लाइट की स्थापना की गई है।
    • खुफिया नेटवर्क को मजबूत करना और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के साथ समन्वय करना भी इसमें शामिल है। 
    • सीसीटीवी/पीटीजेड कैमरे, आईआर सेंसर और इन्फ्रारेड अलार्म से लैस वाहनों और अतिरिक्त विशेष निगरानी उपकरणों और एकीकृत निगरानी तकनीक को तैनात किया गया।
    • अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर कमांड एवं कंट्रोल सिस्टम भी स्थापित किया गया था।

    एंटी-ड्रोन सिस्टम तैनात किए गए

    ड्रोन खतरों से निपटने के लिए पंजाब के सीमावर्ती इलाकों में एंटी-ड्रोन सिस्टम तैनात किए गए हैं। इसके अलावा, एक एंटी-रॉग ड्रोन एसओपी तैयार किया गया है और इसे फील्ड यूनिट में प्रसारित किया गया है। इन सभी का सही से पालन भी किया जा रहा है।

    आंतरिक इलाकों में तलाशी के लिए ऐसे किसी भी ड्रोन की गतिविधि देखे जाने पर, स्थानीय पुलिस को तुरंत सूचित किया जाता है। ड्रोन गिराने के संदिग्ध क्षेत्रों में नियमित रूप से डेप्थ नाके लगाए जाते हैं।

    आम जनता को जागरूक किया जा रहा

    मंत्री प्रमाणिक ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में आम जनता को ऐसी यूएवी/ड्रोन गतिविधियों, उनके संभावित सुरक्षा के बारे में जागरूक किया गया है। आम नागरिकों को क्षेत्रों में ऐसी किसी भी गतिविधि के बारे में बीएसएफ के साथ-साथ स्थानीय पुलिस को सूचित करने के लिए भी कहा गया है। 

    गृह मंत्रालय ने डीजी बीएसएफ की देखरेख में एंटी रॉग ड्रोन टेक्नोलॉजी कमेटी (एआरडीटीसी) की स्थापना की है। इसका उद्देश्य ड्रोन का मुकाबला करने के लिए उपलब्ध तकनीक का मूल्यांकन करना और ड्रोन से निपटने में इसकी प्रभावशीलता को प्रमाणित करना है।