Supreme Court Verdict: राजस्थान में 50 हजार खदानों की नीलामी का रास्ता साफ
Supreme Court Verdict सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को हाई कोर्ट के 2013 के फैसले को रद करते हुए राजस्थान में 50 हजार खदानों की नीलामी का मार्ग प्रशस्त कर दिया। यह अब तक तय हो चुका है कि सरकारी भूमि के पट्टे के लिए या किसी भी प्रकार की भूमि में मिट्टी के नीचे के खनिजों पर जिस पर सरकार का निहित अधिकार और नियामक नियंत्रण है।

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को हाई कोर्ट के 2013 के फैसले को रद करते हुए राजस्थान में 50 हजार खदानों की नीलामी का मार्ग प्रशस्त कर दिया। हाई कोर्ट ने पहले आओ पहले पाओ नीति (एफसीएफएस) के आधार पर पट्टे देने का निर्देश दिया था।
जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस एम एम सुंदरेश की पीठ ने राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष ¨सघवी की दलीलों पर ध्यान दिया कि प्रशासन नीलामी नीति में बदलाव करने का हकदार है और आवेदकों को एफसीएफएस नीति के आधार पर पट्टा प्राप्त करने का कोई निहित अधिकार नहीं है।
यह अब तक तय हो चुका है कि सरकारी भूमि के पट्टे के लिए या किसी भी प्रकार की भूमि में मिट्टी के नीचे के खनिजों पर, जिस पर सरकार का निहित अधिकार और नियामक नियंत्रण है, लंबित आवेदन पर कोई अधिकार निहित नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अधिकार के लिए वैधानिक मान्यता होनी चाहिए। आजादी के बाद से राजस्थान सरकार एफसीएफएस नीति के आधार पर खनन पट्टे आवंटित कर रही थी।
2013 में राज्य सरकार नीलामी के आधार पर पट्टा देने की नीति लेकर आई, जिसे विभिन्न खनिकों ने राजस्थान हाई कोर्ट में चुनौती दी, जिसने इसे रद कर दिया था। राज्य सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ 2013 में सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।
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