प्राचीन रोम साम्राज्य से रहा है तमिलनाडु की पहली बायाडाइवर्सिटी हेरिटेज साइट Arittapatti गांव का संबंध
तमिलनाडु की पहली बायोडाइवर्सिटी हेरिटेज साइट के रूप में Arittapatti और मीनाक्षीपुरम गांव को नाटिफाइड कर दिया गया है। ऐतिहासिक विरासतों को संजोता ये स्थल प्राकृतिक सुंदरता से भी परिपूर्ण दिखाई देता है। यह पहाडि़यों से घिरा हुआ है।

नई दिल्ली (आनलाइन डेस्क)। कुछ दिन पहले मदुरै के पहले बायोडाइवर्सिटी गांव की घोषणा की गई थी। इसका नाम था अरिट्टापट्टी गांव। इस घोषणा के पीछे इस गांव और इस जगह की वो प्राकृतिक सुंदरता है जिसकी वजह से इसको ये दर्जा दिया गया है। तमिलनाडु में स्थित मदुरै यूं भी बेहद खूबसूरत है, लेकिन इस गांव की कुछ अलग ही बात है। बता दें कि इस गांव को ये दर्जा जैव विविधता अधिनियम, 2002 की धारा 37 के मुताबिक दिया गया है। अब मदुरै जिले के अरिट्टापट्टी गांव एक बायोडायवर्सिटी हेरिटेज साइट यानी जैव विविधता विरासत स्थल है। इसको लेकर अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। इसकी जानकारी खुद पर्यावरण मुख्य सचिव प्रिया साहू ने अपने ट्विटर हैंडल से दी थी।
ऐतिहासिक विरासत
अरिट्टापट्टी दरअसल, हजारों वर्ष पुरानी एक ऐतिहासिक विरासत है। ये क्षेत्र करीब 193.21 हेक्टेयर में स्थित है। खास बात ये है कि यह दक्षिण के किसी राज्य का पहली बायोडाइवर्सिटी हेरिटेज साइट है। बायोडायवर्सिटी हेरिटेज साइट ऐसे क्षेत्र होते हैं जो अद्वितीय, पारिस्थितिक रूप से नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र में शामिल किए जाते हैं। मेलूर ब्लाक में आने वाला अरिट्टापट्टी गांव का करीब 139.63 हेक्टेयर और मीनाक्षीपुरम गांव का करीब 53.8 हेक्टेयर वाला क्षेत्र इसमें शामिल किया गया है।
ग्रेनाइट पहाडि़यों से घिरा
इस गांव के आस-पास करीब 7 ग्रेनाइट पहाड़ियों की एक श्रृंखला है। इतना ही नहीं यहां पर 72 झीलों, 200 प्राकृतिक झरने तीन बांध हैं जो इसकी खूबसरती को चार चांद लगा देते हैं। यहां पर तीन रैप्टर प्रजातियों समेत लगभग 250 पक्षी प्रजातियों की रहती हैं। इस साइट पर कई मेगालिथिक संरचनाएं, तमिल ब्राह्मी शिलालेख, जैन बेड और 2200 साल पुराने रॉक कट मंदिर स्थित हैं जो इसके कई ऐतिहासिक मूल्यों से इसको जोड़ते हैं। आपको बता दें कि जैव विविधता विरासत स्थल पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ उन सभी जीवों की रक्षा भी करता है जो उस पर निर्भर होते हैं। इसके अलावा यहां पर प्राचीन चट्टानें, कुदैवरा शिव मंदिर, दो हजार वर्ष पुराने जैन घाटियां भी स्थित हैं।
प्राचीनतम शहरों में से एक
मदुरै की ही बात करें तो ये भारतीय प्रायद्वीप के प्राचीनतम बसे शहरों में से एक है। इसे प्राचीन मंदिरों के लिये जाना जाता है। इसे कूडल मानगर, तुंगानगर (कभी ना सोने वाली नगरी), मल्लिगई मानगर (मोगरे की नगरी) था पूर्व का एथेंस भी कहा जाता है। वैगई नदी के किनारे पर स्थित लगभग ढाई हजार वर्ष पुराना ये स्थल तमिलनाडु के महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और व्यावसायिक केंद्र माना जाता है। यहां की एक प्रमुख पहचान यहां का मीनाक्षी मंदिर है। मदुरै को मंदिरों का शहर भी कहा जाता है। कभी ये तमिल शिक्षा का मुख्य केंद्र हुआ करता था। करीब 550 ईसा पूर्व इस शहर का संबंध प्राचीन यूनान एवं रोम की सभ्यताओं से भी था। दोनों के बीच व्यापारिक संबंध भी थे।
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