अरावली की नई परिभाषा पर छिड़ी जंग, कांग्रेस के आरोपों पर भाजपा का करारा पलटवार
अरावली की नई परिभाषा को लेकर छिड़ी जंग में सियासी पारा गरम है। पूर्व मंत्री जयराम रमेश के आरोपों पर भूपेंद्र यादव ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस स ...और पढ़ें

अरावली की परिभाषा पर सियासी घमासान जारी
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अरावली की नई परिभाषा पर छिड़ी जंग में सियासी पारा भी अब धीरे-धीरे गरम होने लगा है जिसकी झलक गुरूवार को सोशल मीडिया पर पूर्व पर्यावरण-वन मंत्री कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश और केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव के बीच शब्द युद्ध के रूप में दिखी।
सरकार की बुधवार को जारी अधिसूचना को भ्रामक तथा गलत बताने के जयराम के बयान को टैग करते हुए भूपेंद्र यादव ने एक्स पोस्ट में कहा , 'रमेश आपने दावा किया किया है उस बारे में एफएसआई ने कोई अध्ययन नहीं किया है लेकिन मुझे पता है कि एफएसआई के साफ इनकार के बावजूद आप ये झूठ क्यों फैला रहे हैं।
अरावली की परिभाषा पर सियासी घमासान जारी
मेरे ट्वीट के साथ अटैच सच्चाई की तस्वीरें देखें। शायद आपकी 'पर्यावरणवादी वाली बात' तब ज्यादा भरोसेमंद लगती जब अपनी पार्टी के साथी अशोक गहलोत से आप पूछते कि अरावली को किसने बर्बाद किया।
आप और आपके साथी घबराए हुए हैं क्योंकि हमने गुजरात से दिल्ली तक अरावली में माइनिंग पर पूरी तरह से बैन लगा दिया है। हम आपको, गहलोत या आपकी पार्टी के किसी और को पवित्र अरावली रेंज को फिर से लूटने नहीं देंगे। आपकी पार्टी ने जो बर्बाद किया है, उसे ठीक करने के लिए हम काम करते रहेंगे।
जयराम रमेश के आरोपों पर भूपेंद्र यादव का पलटवार
भूपेंद्र यादव के इस वार के बाद उनके एक्स पोस्ट को टैग करते हुए कांग्रेस महासचिव ने पलटवार करते हुए सरकार पर तीन सवाल दागे। जयराम रमेश ने कहा, 'पर्यावरण-वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री अरावली के बारे में लगातार गुमराह कर गलत जानकारी दे रहे हैं।
पहला एफएसआई अब मंत्रालय के एडीजी के अतिरिक्त प्रभार में है और वही कहेगा जो मंत्री चाहते हैं और उन्हें निर्देश दिया गया है। दूसरा एफएसआई के आंतरिक मूल्यांकन ने मंत्रालय को चेतावनी दी थी।
सरकार ने अरावली में माइनिंग पर लगाया बैन
क्या ऐसे मूल्यांकन से इनकार किया जा रहा है? तीसरा प्रारंभिक डाटा एफएसआई के पास ही है तो मंत्री एफएसआई से औपचारिक अध्ययन करने और राजस्थान के 15 जिलों में अरावली बनाने वाली अलग-अलग ऊंचाइयों की बहुत सारी पहाडि़यों का एलिवेशन चार्ट जारी करने के लिए क्यों नहीं कहते?

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