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    'अरावली के संरक्षण के लिए हम प्रतिबद्ध...' बढ़ते विरोध के बाद पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने क्या कहा?

    Updated: Mon, 22 Dec 2025 11:30 PM (IST)

    केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने अरावली पर्वत श्रृंखला के संरक्षण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई है। उन्होंने ग्रीन अरावली प्रोजेक ...और पढ़ें

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    अभी सिर्फ 277 वर्ग किमी के क्षेत्र में ही खनन की अनुमति है

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अरावली पर्वत श्रृंखला को लेकर उठे विवाद पर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा है कि अरावली के संरक्षण के लिए हमारी सरकार प्रतिबद्ध है। इसके लिए ग्रीन अरावली प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है। रही बात अरावली पर्वत की नई परिभाषा की है तो यह सिर्फ भविष्य में खनन के लिए दी जाने वाली अनुमति के बनाई गई है। लेकिन इससे खनन बढ़ेगा नहीं बल्कि इस क्षेत्र में चल रहा अवैध खनन रूकेगा।

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    वैसे भी 1.44 लाख वर्ग किमी में फैली अरावली पर्वत श्रृंखला में अभी सिर्फ 277 वर्ग किमी के क्षेत्र में ही खनन की अनुमति है। जबकि एनसीआर में खनन पूरी तरह से प्रतिबंधित है। जो लेकर इसे लेकर भ्रम फैला रहे है, वह पूरी तरह से गलत व झूठ है। सरकार अवैध खनन पर पूरी तरह रोक लगाएगी और प्लान सिर्फ इसके लिए तैयार किया जा रहा है ताकि दुर्लभ खनिज की संभावना होने पर खनन किया जा सके। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री यादव सोमवार को अरावली पर्वत की नई परिभाषा को लेकर लेकर खड़े हुए विवाद के बाद पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे।

    सुप्रीम कोर्ट ने भी जताई सहमति

    उन्होंने कहा कि अरावली पर्वत की जो नई परिभाषा विशेषज्ञ समिति ने दी है, उनमें धरातल से 100 मीटर तक ऊंचाई वाली पहाड़ियों को अरावली पर्वत माना जाएगा। इसे सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने फैसले मे सहमति जताई है। साथ ही अरावली संरक्षण को लेकर चलाए जा रहे ग्रीन वाल प्रोजेक्ट को भी सराहा है। भूपेंद्र ने कहा कि इस सबके बावजूद यह अर्थ नहीं है कि सरकार कोई खनन करने जा रही है। उंचाई को लेकर उन्होंने स्पष्टीकरण दिया।

    कहा कि कोई भी पहाड़ी सीधी खड़ी नहीं होती है बल्कि वह नीचे से एक विस्तृत क्षेत्र तैयार करते हुए ऊपर की ओर से उठती है। जो ऋ़ंखला में आएगी वह उसका हिस्सा होगी। अगर कहीं उंचाई सौ से नीचे भी होगी तब भी वह संरक्षित ही होगी। उंचाई भी धरातल के निचले से हिस्से से गिनी जाएगी। वैसे भी इन नियमों की जरूरत तब पड़ेगी, जब भविष्य में इन क्षेत्रों में किसी तरह का दुर्लभ खनिज पाया जाता है। एक सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कांग्रेस के समय में राजस्थान में खूब अवैध होता रहा है। इसलिए उन्हीं को इससे सबसे ज्यादा दर्द हो रहा है।

    खनन को लेकर वैज्ञानिक प्लान तैयार होगा

    भूपेंद्र ने कहा कि वैसे भी अरावली क्षेत्र में खनन नहीं हो सकती है, क्योंकि मौजूदा समय में इसका 58 प्रतिशत क्षेत्र कृषि क्षेत्र है, 20 प्रतिशत संरक्षित वन क्षेत्र है, करीब 11 प्रतिशत बफर एरिया है। वहीं छह-सात प्रतिशत बसाहट वाले क्षेत्र भी है। संरक्षित वन क्षेत्र में भी चार टाइगर रिजर्व, 20 वाइल्ड लाइफ सेंचुरी व ग्रीन एरिया मिशन, कैंपा के तहत पौधरोपण वाले क्षेत्र शामिल है।

    एक सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अब पूरे अरावली क्षेत्र में खनन को लेकर एक वैज्ञानिक प्लान तैयार किया जाएगा। जिसमें खनन की अनुमति से पहले उस क्षेत्र में उससे पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन किया जाएगा। साथ ही इसके पर्यावरणीय प्रभावों को जांचने और उसकी भरपायी किए जाने के बाद ही उसकी अनुमति दी जाएगी।

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