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    North East में उम्मीद की नई रोशनी, हर महीने अप्रेंटिसशिप करने के लिए मिलेगी 1500 रुपये

    Updated: Tue, 20 May 2025 09:04 PM (IST)

    युवाओं को कुशल बनाने के लिए केंद्र सरकार अप्रेंटिसशिप को बढ़ावा दे रही है। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय प्रशिक्षुता प्रोत्साहन योजना (पीएम-एनएपीएस) में पूर्वोत्तर राज्यों का प्रदर्शन कमजोर रहा है जिसका कारण औद्योगिकीकरण में पिछड़ापन है। अब सरकार राइजिंग नार्थ-ईस्ट इन्वेस्टर्स समिट 2025 आयोजित करने जा रही है। कौशल विकास मंत्रालय ने पूर्वोत्तर के युवाओं के लिए अतिरिक्त वित्तीय सहायता का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है।

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    केंद्र सरकार उद्योगों को आकर्षित करने के लिए "राइजिंग नार्थ-ईस्ट इन्वेस्टर्स समिट 2025" आयोजित करने जा रही है।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। युवाओं को कुशल बनाने के लिए चल रहे तमाम प्रयासों के साथ ही केंद्र सरकार का जोर है कि ऑन जॉब ट्रेनिंग देने के लिए अप्रेंटिसशिप को बढ़ावा दिया जाए। इसके लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय प्रशिक्षुता प्रोत्साहन योजना (पीएम-एनएपीएस) तो वर्ष 2016 से चल रही है, लेकिन इसमें वर्ष 2022 से अधिकतम 1500 रुपये प्रतिमाह की डीबीटी भी जोड़ दिया गया। इसका असर देश के अन्य हिस्सों में तो पड़ा, लेकिन अप्रेंटिसशिप का आंकड़ा पूर्वोत्तर के पहाड़ नहीं चढ़ सका। चूंकि, इसका कारण औद्योगिकीकरण में अंचल के आठ राज्यों का पिछड़ना माना जा रहा है।

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    अब सुधार की दिशा में प्रयास तेज हुए हैं। केंद्र सरकार उद्योगों को आकर्षित करने के लिए "राइजिंग नार्थ-ईस्ट इन्वेस्टर्स समिट 2025" आयोजित करने जा रही है तो कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय ने भी पूर्वोत्तर के युवाओं की अप्रेंटिसशिप के लिए अतिरिक्त वित्तीय सहायता के लिए पायलट प्रोजेक्ट मंगलवार को शुरू किया। कौशल प्रशिक्षण के बाद अप्रेंटिसशिप में औद्योगिक विकास का सीधा असर कैसे पड़ता है, इसे हम आंकड़ों से समझ सकते हैं।

    क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े?

    सरकार के आंकड़े के मुताबिक, पीएम-एनएपीएस में पंजीकृत युवाओं की संख्या सबसे अधिक महाराष्ट्र में 1413356 है। दूसरे स्थान पर उत्तर प्रदेश में 1153947 तो तीसरे स्थान पर गुजरात में 700054 है। अब यदि सबसे निम्न प्रदर्शन वाले लद्दाख और लक्षद्वीप जैसे छोटे प्रदेशों के साथ ही पूर्वोत्तर के राज्यों की स्थिति काफी खराब है। उदाहरण के तौर पर मिजोरम में 1470, नगालैंड में 2233, सिक्किम में 2247, अरुणाचल प्रदेश में 2587, मेघालय में 3408, मणिपुर में 5555 और त्रिपुरा में 18489 है। तुलनात्मक रूप से सिर्फ असम की स्थिति ठीक है, जहां पंजीयन की संख्या 137646 है।

    इन स्थितियों की समीक्षा करने पर कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय ने पाया कि पूर्वोत्तर में अब तक औद्योगिक विकास जो पिछड़ापन रहा है, यह उसका ही असर है। लिहाजा, अब इस अंचल के चहुंमुखी विकास पर केंद्र सरकार ने जोर लगा दिया है। एक तरफ तो वहां औद्योगिक विकास के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अष्ट लक्ष्मी परिकल्पना के तहत कई विकास योजनाओं को वहां लागू करा रहा है, इसके साथ ही 23-24 मई को नई दिल्ली में "राइजिंग नार्थ-ईस्ट इन्वेस्टर्स समिट 2025" आयोजित की जा रही है।

    ढाई से तीन करोड़ रुपये का निवेश आएगा

    सरकार को उम्मीद है कि इससे ढाई से तीन करोड़ रुपये का निवेश आएगा और इन राज्यों में औद्योगिक विकास होगा। इसके साथ ही कौशल विकास मंत्रालय ने प्रत्यक्ष रूप से अप्रेंटिसशिप को प्रोत्साहन देने के लिए मंगलवार को मिजोरम के आइजॉल में पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया। केंद्रीय मंत्री जयन्त चौधरी ने घोषणा की कि इस क्षेत्र के 26,000 से अधिक युवाओं को पायलट के तहत एक वर्ष के लिए प्रति माह अतिरिक्त 1,500 रुपये मिलेंगे।

    यह वित्तीय सहायता राष्ट्रीय प्रशिक्षुता संवर्धन योजना के माध्यम से मिलने वाले नियमित वजीफे के अलावा होगी। अभी केंद्र सरकार नियोक्ता द्वारा दिए जाने वाले वजीफा का 25 प्रतिशत या अधिकतम 1500 रुपये प्रत्येक अभ्यर्थी को देती है। इस तरह पूर्वोत्तर के युवा इन आठ राज्यों या उसके अलावा देश के किसी भी राज्य में अप्रेंटिसशिप के लिए जाएंगे तो उन्हें तीन हजार रुपये मिलेंगे।

    पायलट प्रोजेक्ट के लिए केंद्र सरकार ने कुल 43.94 करोड़ रुपये निर्धारित किए हैं। उल्लेखनीय है कि अप्रेंटिसशिप करने वाले युवाओं के खातों में केंद्र सरकार 2022 से अब तक सीधे 870 करोड़ रुपये भेज चुकी है।

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