सनातनी जीवन शैली का विरोध करने का एजेंडा चला रही हैं भारत विरोधी ताकतें : बाबा रामदेव
योग गुरु बाबा रामदेव ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने की मांग को भारत विरोधी ताकतों का एजेंडा बताया है। उन्होंने सनातनी जीवन शैली के विरोध और जातिगत भेदभाव की आलोचना की। रामदेव ने बिहार चुनाव में एनडीए की जीत की भविष्यवाणी की और डोनल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति को 'आर्थिक आतंकवाद' करार दिया। उन्होंने स्वदेशी अपनाने पर जोर दिया, जिसे आत्मनिर्भरता का मूल मंत्र बताया।

योग गुरु बाबा रामदेव।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर कांग्रेस पार्टी और आरएसएस के बीच चल रही बयानबाजी के बीच योग गुरु एवं पतंजलि आयुर्वेद के सह-संस्थापक बाबा रामदेव ने कहा कि ''भारत-विरोधी ताकतें'' और ''सनातन-विरोधी ताकतें'' अपने गुप्त एजेंडे और स्वार्थ को पूरा करने के लिए इस संगठन पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रही हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि भारत विरोधी ताकतें देश में सनातनी जीवन शैली और हिंदू संगठनों का विरोध करने का एजेंडा चला रही हैं। उन्होंने सनातन धर्म के नाम पर जातिगत भेदभाव की प्रथा की आलोचना करते हुए कहा कि यह ''सनातनी संस्कृति'' नहीं बल्कि ''तनातनी संस्कृति'' है।
'बिहार में होगी एनडीए की जीत'
उन्होंने आगामी बिहार विधानसभा चुनावों में राजग की जीत पर भरोसा जताया और कहा कि विरोधी राजनीतिक पार्टियों के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जैसे विराट व्यक्तित्व के सामने टिकना मुश्किल होगा। बाबा रामदेव ने रविवार को एक विशेष साक्षात्कार में अलग-अलग देशों पर टैरिफ लगाने की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आर्थिक नीति की भी आलोचना की।
उन्होंने कहा कि टैरिफ लगाना किसी देश के खिलाफ आतंकवाद फैलाने जैसा है और उन्होंने ''आर्थिक युद्ध'' के इस तरीके की तुलना तीसरे विश्व युद्ध जैसी स्थिति से की। उन्होंने कहा, ''टैरिफ आतंकवाद है, यह बहुत खतरनाक है। अगर तीसरा विश्व युद्ध होता है तो वह यही आर्थिक युद्ध होगा। इसमें कम से कम गरीब एवं विकासशील देशों का खयाल रखा जाना चाहिए।''
बाबा रामदेव ने स्वदेशी अपनाने पर दिया जोर
स्वदेशी अपनाने पर जोर देते हुए योग गुरु ने कहा, ''स्वदेशी आत्मनिर्भरता और पंक्ति में खड़े आखिरी व्यक्ति के उत्थान का सिद्धांत है। महर्षि दयानंद से लेकर स्वामी विवेकानंद जैसे कई महान लोगों ने इसकी वकालत की है। इन सभी ने कहा है कि सभी लोगों का उत्थान होना चाहिए। समर्पित रहें, और अपने साथ-साथ अपने आस-पास के लोगों और अपने माहौल का भी उत्थान करें। यही स्वदेशी का मूल है।''

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