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    Annual Fastag: कॉमर्शियल गाड़ियों के लिए भी एनुअल फास्टैग लाने की तैयारी, नितिन गडकरी ने कर दिया एलान

    Updated: Mon, 15 Sep 2025 07:56 PM (IST)

    केंद्र सरकार सार्वजनिक परिवहन को सुविधाजनक बनाने के लिए राज्य परिवहन निगम की बसों और निजी व्यावसायिक वाहनों के लिए वार्षिक फास्टैग पास लाने पर विचार कर रही है। इसके साथ ही राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे निजी बस संचालकों के समूहों को रियायती दर पर भूमि उपलब्ध कराने की तैयारी है।

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    देश में 92 प्रतिशत बसें निजी क्षेत्र की हैं (फोटो: जागरण)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सार्वजनिक परिवहन को सुविधाजनक बनाने के लिए केंद्र सरकार राज्य परिवहन निगम की बसों और निजी व्यावसायिक वाहनों के लिए भी वार्षिक फास्टैग पास ला सकती है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने परिवहन सेवा के इस बड़े वर्ग के हित में विचार शुरू कर दिया है।

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    इसके साथ ही राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे सुविधाएं विकसित करने के लिए भी केंद्र सरकार निजी बस संचालकों के समूहों को रियायती दर पर भूमि उपलब्ध कराने के लिए तैयार है। सार्वजनिक परिवहन की बात करें तो देश में सबसे बड़ी भूमिका निजी बसों की है।

    देश में 92 प्रतिशत बसें निजी क्षेत्र की

    बस एंड कार ऑपरेटर्स कन्फेडरेशन ऑफ इंडिया का आंकड़ा कहता है कि देश में 92 प्रतिशत बसें निजी क्षेत्र की हैं, जिनकी संख्या लगभग बीस लाख है। दावा है कि प्रतिदिन पांच लाख यात्री हवाई सेवा का सफर करते हैं, 2.40 करोड़ यात्री रेलवे से, 1.15 करोड़ यात्री मेट्रो से, जबकि 40 करोड़ यात्री देशवासी बसों से सफर करते हैं। इसमें 32 करोड़ मुसाफिर निजी बसों में होते हैं।

    परिवहन का इतना बड़ा माध्यम होने के बावजूद पर्याप्त सुविधाएं न मिलने की शिकायत कन्फेडरेशन की ओर से मंत्रालय से की गई। इस पर केंद्रीय मंत्री गडकरी ने आश्वस्त किया है कि जिस तरह निजी कार चालकों के लिए तीन हजार रुपये का वार्षिक फास्टैग शुरू किया गया है, उसी तरह की सुविधा राज्य परिवहन व निजी बस और कैब चालकों को देने पर विचार किया है।

    त्रालय की ओर से कराया जा रहा अध्ययन

    इस पर संगठन की ओर से कहा गया कि परिवहन में लगे वाहनों के फेरे अधिक होते हैं, इसलिए उनकी राशि बड़ी होनी चाहिए। इस पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मंत्रालय की ओर से अध्ययन कराया जा रहा है कि इस सुविधा को किस तरह से दिया जा सकता है कि परिवहन सेवा के संचालकों को लाभ पहुंचे।

    इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री ने बताया कि व्यावसायिक वाहनों की अधिकतम गति सीमा कम और निजी वाहनों की अधिकतम गति सीमा अधिक होने की व्यवस्था से भी वह सहमत नहीं हैं। राज्यों के परिवहन मंत्रियों की बैठकों में केंद्र की ओर से कई बार कहा गया है कि गति सीमा को लेकर एकरूपता लाई जानी चाहिए। अभी राज्य सहमत नहीं हुए हैं, लेकिन प्रयास चल रहे हैं।

    इसी तरह निजी वाहनों के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर को लेकर भी गडकरी ने सुझाव दिया है कि निजी बस संचालक एफपीओ की तरह समूह बनाकर आवेदन करें तो रोड साइड एमेनिटीज के लिए परिवहन मंत्रालय राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे रियायती दरों पर भूमि उपलब्ध कराने के लिए तैयार है। यदि ऐसे प्रस्ताव सामने आते हैं तो मंत्रालय इस संबंध में नीति बनाएगा।

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