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    Andhra Pradesh: कौशल विकास घोटाला मामले में नायडू को नहीं मिली राहत, 1 नवंबर तक बढ़ी रिमांड

    By Siddharth ChaurasiyaEdited By: Siddharth Chaurasiya
    Updated: Thu, 19 Oct 2023 04:26 PM (IST)

    एसीबी अदालत ने गुरुवार को कथित करोड़ों रुपये के कौशल विकास घोटाला मामले में तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू की रिमांड 1 नवंबर तक बढ़ा दी है। चंद्रबाबू नायडू को राजमुंदरी केंद्रीय कारागार से अदालत के समक्ष वर्चुअली पेश किया गया। टीडीपी प्रमुख को करोड़ों रुपये के कौशल विकास घोटाला मामले में आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) ने 9 सितंबर को गिरफ्तार किया था।

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    द्रबाबू नायडू को राजमुंदरी केंद्रीय कारागार से अदालत के समक्ष वर्चुअली पेश किया गया।

    एएनआई, विजयवाड़ा। एसीबी अदालत ने गुरुवार को कथित करोड़ों रुपये के कौशल विकास घोटाला मामले में तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू की रिमांड 1 नवंबर तक बढ़ा दी है। चंद्रबाबू नायडू को राजमुंदरी केंद्रीय कारागार से अदालत के समक्ष वर्चुअली पेश किया गया।

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    आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और टीडीपी प्रमुख को करोड़ों रुपये के कौशल विकास घोटाला मामले में आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) ने 9 सितंबर को गिरफ्तार किया था, जिससे राज्य में अराजनीतिक उथल-पुथल मच गई और कई टीडीपी नेताओं ने गिरफ्तारी पर आरोप लगाया। टीडीपी नेताओं ने आरोप लगाते हुए कहा था कि यह एक राजनीतिक 'विच-हंट' के अलावा और कुछ नहीं है और नायडू को झूठे आरोपों के आधार पर पकड़ा गया।

    इससे पहले मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कौशल विकास घोटाला मामले में उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग करने वाली चंद्रबाबू नायडू की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। नायडू ने एफआईआर को रद्द करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

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    उन्होंने शीर्ष अदालत में कौशल विकास घोटाले में आंध्र प्रदेश पुलिस की सीआईडी द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने के लिए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17 ए का हवाला दिया था। उन्होंने एफआईआर रद्द करने की याचिका खारिज करने के हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। नायडू फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।

    नायडू ने कथित 371 करोड़ रुपये के कौशल विकास घोटाले में एपी-सीआईडी द्वारा दर्ज की गई एफआईआर को इस आधार पर रद्द करने की मांग की है कि पुलिस ने भ्रष्टाचार निवारण (पीसी) अधिनियम के तहत अनिवार्य राज्यपाल से पूर्व मंजूरी नहीं ली थी।

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