'हर परिवार में कम से कम तीन बच्चे होने चाहिए', चंद्रबाबू नायडू ने ऐसा क्यों कहा?
चंद्रबाबू नायडू ने भारत की जनसंख्या को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि हर परिवार में कम से कम तीन बच्चे पैदा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर आ ...और पढ़ें

चंद्रबाबू नायडू का बड़ा बयान (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने भारत की जनसंख्या और उससे देश को होने वाले फायदे को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि भारत की जनसंख्या में बढ़ोतरी और विदेशों में भारतीयों की सफलता वैश्विक प्रभुत्व की संभावना को दर्शाती है। यह तभी संभव है, जब पॉपुलेशन के रिप्लेसमेंट स्तर को बनाए रखा जाए।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने आगे कहा कि आप यहां देखें तो किसी को भी बड़ी आबादी का लाभ नहीं मिल पा रहा है। जबकि अमेरिका में यह 8%, यह आकलन 25 50 है कि इस बार देशों की जनसंख्या या तो घटेगी या बढ़ेगी। यूएसए प्लस 98, चीन 11% कम होने जा रहा है और जर्मनी भी घट रहा है। मुझे लगता है कि हर परिवार में कम से कम तीन बच्चे होने चाहिए।
चंद्रबाबू नायडू ने आगे कहा कि भारत ही एकमात्र ऐसा देश है, जो इस दौरान 148% जोड़ने जा रहा है। हम बहुत भाग्यशाली हैं और जापान 146 पर है, यूके भी इस तरह से घट रहा है। यदि आप इन सभी देशों को देखेंगे तो पाएंगे कि आज की तारीख में इस संबंध में उम्र बढ़ने और घटती जनसंख्या की एक बड़ी समस्या है।
अमेरिका से अधिक भारतीयों की औसत आय
अभी दूसरे देशों में लगभग चार से पांच करोड़ लोग भारतीय हैं। अगर आप आज किसी भी देश में जाते हैं तो वहां रहने वाले भारतीयों की प्रति व्यक्ति आय सबसे अधिक है। यहां तक कि अमेरिका में कोई भी पॉश इलाका है। अगर आप अमेरिका को देखें तो अमेरिका की औसत आय 55 हजार से 60000 डॉलर है, जबकि भारतीयों की औसत आय 130000 डॉलर है, जो दोगुनी से भी अधिक है। आप किसी अन्य देश में जाकर ये देख सकते हैं।
जनसंख्या को लेकर अपनी बात कहते हुए नायडू ने कहा कि बीते दिनों जनसंख्या को लेकर जो बात RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कही वो सही और महत्वपूर्ण भी है। उन्होंने कहा था कि हर परिवार को तीन बच्चे पैदा करने चाहिए।
धीरे-धीरे पार कर रहें रिप्लेसमेंट लेवल
सीएम नायडू ने कहा कि मैं भी कह रहा हूं कि हम अब धीरे-धीरे रिप्लेसमेंट लेवल को पार कर रहे हैं, हर कोई यही हमारी संस्कृति है। यदि हम सब मिलकर 2047 तक या 2047 शताब्दियों से आगे की जनसंख्या पर ध्यान केंद्रित करने के बारे में सोचेंगे तो यही भारत का समय है,जो वैश्विक परिदृश्य पर होने जा रहा है उस पर कोई भी हावी नहीं हो सकता है।

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