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    'लालची डॉक्टर पैसों के लिए कर रहे सिजेरियन सर्जरी', सीएम चंद्रबाबू नायडू ने बताए आंकड़े

    Updated: Wed, 24 Sep 2025 03:17 PM (IST)

    आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने निजी स्वास्थ्य सेवा केंद्रों में सी-सेक्शन प्रसव की बढ़ती दर की आलोचना की है। उन्होंने लालची डॉक्टरों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया और कहा कि 90% सी-सेक्शन ऑपरेशन निजी अस्पतालों में होते हैं। नायडू ने इसे खतरनाक चलन बताया और स्वास्थ्य मंत्री को तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश दिया ताकि केवल चिकित्सकीय रूप से आवश्यक मामलों में ही सर्जरी की जाए।

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    मुख्यमंत्री नायडू ने स्वास्थ्य मंत्री को इस मुद्दे का सीधा समाधान करने का निर्देश दिया है। (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने निजी स्वास्थ्य सेवा केंद्रों की तीखी आलोचना की है और राज्य में सिजेरियन (सी-सेक्शन) प्रसव की बढ़ते आंकड़ों के लिए "लालची डॉक्टरों" को जिम्मेदार ठहराया है।

    राज्य विधानसभा में बोलते हुए नायडू ने इस चलन को खतरनाक और अनावश्यक बताया है, खासकर तब जब प्राकृतिक प्रसव एक व्यवहार्य और स्वास्थ्यवर्धक विकल्प है।

    मुख्यमंत्री की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब नए आंकड़ों से पता चलता है कि आंध्र प्रदेश देश में सबसे ज़्यादा सी-सेक्शन दरों वाले राज्यों में से एक है। राज्य में अब सभी प्रसवों में से 56.62% सर्जरी से किए जाते हैं।

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    नायडू ने इस बात पर जोर दिया कि निजी अस्पताल इस आंकड़े के एक बड़े हिस्से के लिए जिम्मेदार हैं और बताया गया है कि 90% सी-सेक्शन ऑपरेशन इन्हीं सेंटर्स में होते हैं।

    मुहूर्त तय कर कराते हैं डिलीवरी

    सीएम नायडू ने कहा, "वे मुहूर्त (निश्चित शुभ समय) तय कर रहे हैं और फिर प्रसव करा रहे हैं। यह गलत है।" उनका इशारा था कि कई सी-सेक्शन चिकित्सकीय जरूरत के बजाय सुविधा या अंधविश्वास के कारण किए जा रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि इंसानी शरीर की सर्जरी तब तक नहीं होनी चाहिए जब तक कि इसकी सख्त जरूरत न हो।

    नायडू ने आगे बताया कि राज्य की स्वास्थ्य योजना, डॉ. एनटीआर वैद्य सेवा ट्रस्ट का एक बड़ा हिस्सा सी-सेक्शन प्रक्रियाओं पर खर्च किया जा रहा है। इससे सरकारी खजाने की बर्बादी हो रही है।

    स्वास्थ्य मंत्री को निर्देश

    मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य मंत्री वाई सत्य कुमार यादव को इस मुद्दे का सीधा समाधान करने का निर्देश दिया है। सरकार निजी अस्पतालों के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करने की योजना बना रही है कि सर्जिकल प्रसव केवल चिकित्सकीय रूप से आवश्यक होने पर ही किए जाएं और प्राकृतिक प्रसव को प्राथमिकता दी जाए।

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