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    'लाल आतंक के खात्मे के साथ सरकार बनाएगी विकास का विश्वास सेतु', अमित शाह का बड़ा बयान

    By JITENDRA SHARMAEdited By: Garima Singh
    Updated: Wed, 31 Dec 2025 08:30 PM (IST)

    केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मार्च 2026 तक देश को पूरी तरह नक्सल मुक्त करने का दावा किया है। इसके समानांतर, मोदी सरकार आदिवासी बहुल राज्यों में पेस ...और पढ़ें

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    केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 

    जितेंद्र शर्मा, नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का दावा है कि मार्च 2026 तक देश को पूरी तरह नक्सलमुक्त कर दिया जाएगा। इसके समानांतर ही मोदी सरकार ने आदिवासी बहुल उन राज्यों में विकास का 'विश्वास सेतु' मजबूत करने की प्रक्रिया को तेज कर दिया है, जो पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम, 1996 यानी पेसा कानून के दायरे में आते हैं।

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    यह कानून तो 1996 में ही बन गया था, लेकिन इसे लागू कराने में सबसे अधिक सक्रियता से वर्तमान केंद्र सरकार ने ही काम किया है। अब इसी दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए पंचायतीराज मंत्रालय ने कुल 100 अंकों के संकेतक तय कर दिए हैं, जिनके माध्यम से इन दस राज्यों में पेसा कानून का प्रभावी क्रियान्वयन करते हुए सुशासन को धरातल पर उतारा जाए।

    अमित शाह का लक्ष्य: मार्च 2026 तक देश नक्सल मुक्त

    आदिवासी वर्ग के जल, जंगल, जमीन के अधिकारों व उनकी परंपरा व संस्कृति के संरक्षण में कोई कमी न रहे, इसकी सीधी निगरानी राज्यों के सहयोग से केंद्र सरकार करेगी। पेसा के तहत दस राज्य आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और तेलंगाना आते हैं। मोदी सरकार ने इन क्षेत्रों के विकास और आदिवासी कल्याण पर भी सतत काम किया है, जिसे और तेजी देने की तैयारी है।

    इन्हीं प्रयासों का परिणाम है कि दस में से आठ राज्यों ने राज्य पेसा नियम अधिसूचित कर दिए हैं। हाल ही में झारखंड और ओडिशा ने भी इस प्रक्रिया में प्रगति की है। इसके बावजूद पंचायतीराज मंत्रालय मानता है कि जमीनी स्तर पर समान और प्रभावी रूप से पेसा कानून का क्रियान्वयन अभी भी चुनौती है। इसे देखते हुए ही पेसा संकेतक विकसित किए गए हैं।

    पेसा कानून के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु 100 संकेतक तय

    ये संकेतक पेसा राज्यों के प्रदर्शन का निष्पक्ष मूल्यांकन करेंगे। यह सुनिश्चित करेंगे किराज्य पंचायती राज अधिनियम और राज्य पेसा नियम केंद्रीय पेसा अधिनियम, 1996 के प्रविधानों के अनुरूप हों और उनकी मूल भावना को बनाए रखें।कार्यान्वयन में पारदर्शिता और जवाबदेही का आकलन सौ अंकों पर की जाएगी, जिनका डाटा अधिसूचित राज्य कानून या नियम, राज्यों के संबंधित आदेश, ई-ग्राम स्वराज पोर्टल, प्रशिक्षण प्रबंधन पोर्टल, राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान एमआइएस व अन्य माध्यमों से जुटाए जाएंगे।

    इसके अलावा जो भी सुधार आवश्यक हैं, उनकी पंचायत स्तर पर पहचान की जाएगी। कहां कितना सुधार हुआ, इसकी प्रतिस्पर्धा राष्ट्रीय स्तर पर होगी यानी प्रतिवर्ष रैकिंग जारी होगी। इसके अलावा धरातल पर विकास के लिए पंचायती राज मंत्रालय जो भी योजनाएं या कार्यक्रम चला रहा है, उनका समग्र मूल्यांकन किया जाएगा।

    आदिवासियों के जल, जंगल, जमीन अधिकारों का संरक्षण सुनिश्चित

    आदिवासियों के हाथ में सीधे अधिकारपेसा कानून ग्राम सभाओं को अधिकार देता है, जिनके माध्यम से आदिवासी समुदाय कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाने की बजाए ग्राम सभाओं के माध्यम से अपने पारंपरिक तरीकों से जल, जंगल, जमीन के अधिकार सहित संस्कृति व परंपरा का संरक्षण कर सकते हैं। इससे उन्हें लघु वनोपज, तेंदू पत्ता, बांस आदि के व्यापार में स्वायत्तता और आर्थिक लाभ मिलेगा।

    स्थानीय विवादों का पारंपरिक और सामुदायिक तरीके से त्वरित समाधान कर सकेंगे। विकास परियोजनाओं और भूमि अधिग्रहण में अनिवार्य परामर्श और सहमति का अधिकार मिलेगा। लघु खनिजों के प्रबंधन में निर्णायक भूमिका होगी। जल, जंगल और जमीन पर वास्तविक नियंत्रण और स्वामित्व सुनिश्चित होगा। शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य सेवाओं में सुधार किया जाएगा।