मणिपुर में जातीय संकट के बीच 2027 जनगणना स्थगित करने की मांग, नागरिक समूह ने राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन
मणिपुर के एक प्रमुख नागरिक समाज अभियान ने चल रहे जातीय संकट और सुरक्षा चुनौतियों का हवाला देते हुए केंद्र सरकार से राज्य में 2027 की प्रस्तावित जनगणना ...और पढ़ें

मणिपुर में जातीय संकट के बीच 2027 जनगणना स्थगित करने की मांग (सांकेतिक तस्वीर)
डिजिटल डेस्क, इंफाल। मणिपुर के एक प्रमुख नागरिक समाज अभियान ने चल रहे जातीय संकट और सुरक्षा चुनौतियों का हवाला देते हुए केंद्र सरकार से राज्य में 2027 की प्रस्तावित जनगणना को स्थगित करने की मांग की है।
जस्ट एंड फेयर डिलिमिटेशन (जेएफडी) ने राज्यपाल ए.के. भल्ला को सौंपे ज्ञापन में कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में जनगणना का संचालन अव्यवहारिक और अविश्वसनीय होगा। ज्ञापन में उल्लेख किया गया कि कई जिलों में सुरक्षा चिंताएं, दुर्गम क्षेत्र और कानून-व्यवस्था की समस्याओं के कारण आवागमन प्रतिबंधित है, कर्फ्यू लगा हुआ है और कई बस्तियों तक पहुंच असंभव है।
जेएफडी संयोजक जीतेंद्र निंगोम्बा द्वारा हस्ताक्षरित ज्ञापन में चेतावनी दी गई कि ऐसी स्थिति में जनगणना कर्मियों की तैनाती उनकी सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा करेगी और डेटा संग्रह प्रभावित होगा।
जेएफडी ने ज्ञापन में कहा कि सशस्त्र अवैध अप्रवासियों और उनके संगठनों द्वारा उत्पन्न निरंतर संघर्ष और अशांति के साथ-साथ संबंधित घटनाओं के कारण जनसंख्या विस्थापन और प्रशासनिक गतिरोध ने बड़े पैमाने पर आंतरिक विस्थापन को जन्म दिया है।
इसमें कहा गया है कि कई लोग वर्तमान में अस्थायी राहत शिविरों में रह रहे हैं या अन्य क्षेत्रों में पलायन कर चुके हैं। साथ ही, राज्य के कई हिस्सों में प्रशासनिक तंत्र कम क्षमता से काम कर रहा है, जिससे जनगणना की योजना बनाना, समन्वय करना और उसकी निगरानी करना असंभव हो गया है।
जेएफडी ने आरोप लगाया कि कुछ जिलों में अवैध अप्रवासियों की उपस्थिति जनसांख्यिकीय सत्यापन की सटीकता के बारे में गंभीर चिंताएं पैदा करती है और जनसंख्या आंकड़ों को विकृत कर सकती है, जिससे संसाधन आवंटन, सुरक्षा और शासन के लिए दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकते हैं।

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