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    ट्रंप ने रेसिप्रोकल टैरिफ का किया एलान, क्या होता है Tariff और कैसे इससे ग्राहकों पर बढ़ेगा बोझ; जानें पूरी ABCD

    Updated: Sat, 15 Feb 2025 03:50 PM (IST)

    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पीएम मोदी से मुलाकात के 2 घंटे पहले भारत समेत सभी देशों पर जैसे को तैसा टैरिफ (रेसिप्रोकल टैरिफ) लगाने का ऐलान किया है। रेसिप्रोकल टैरिफ यानी जो देश अमेरिकी सामान पर जितना टैरिफ लगाएगा अमेरिका भी उस देश के सामान पर उतना ही टैरिफ लगाएगा। पीएम मोदी ने अपने अमेरिकी दौरे के दौरान ट्रंप के साथ गर्मजोशी के साथ मुलाकात की।

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    पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (फोटो सोर्स- पीटीआई)

    डिजिटस डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका के दौरे पर गए थे और इस दौरान उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात भी की। दोनों नेताओं की मुलाकात की बहुत सारी तस्वीरें सामने आई है। पीएम मोदी से मिलने से ठीक 2 घंटे पहले अमेरिका ने भारत समेत सभी देशों पर जैसे को तैसा टैरिफ (रेसिप्रोकल टैरिफ) लगाया है।

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    रेसिप्रोकल टैरिफ यानी जो देश अमेरिकी सामान पर जितना टैरिफ लगाएगा, अमेरिका भी उस देश के सामान पर उतना ही टैरिफ लगाएगा। ट्रंप ने इससे जुड़े नए टैरिफ पॉलिसी पर गुरुवार को हस्ताक्षर किए थे। ट्रंप ने भारत पर बहुत ज्यादा टैरिफ लगाने का आरोप भी लगाया है।

    इस आर्टिकल में जानेंगे कि आखिर टैरिफ लगाने की वजह से ग्राहकों पर कितना बोझ बढ़ेगा और आयातित चीजें कितनी महंगी हो जाएगा?...

    टैरिफ क्या होता है?

    अंतरराष्ट्रीय व्यापार में टैरिफ या कस्टम ड्यूटी का अर्थ है किसी वस्तु के आयात पर लगाया जाने वाला शुल्क। आयातक यह शुल्क सरकार को देते हैं। इसका बोझ आमतौर पर अंतिम उपभोक्ता पर डाला जाता है।

    उदाहरणः अगर किसी वस्तु की कीमत 100 है और उस पर 10% टैरिफ लगता है, तो उसकी कीमत 110 हो जाएगी। टैरिफ अप्रत्यक्ष टैक्स होते हैं। ये किसी देश की आय का स्रोत होते हैं। एंटी-डंपिंग ड्यूटी, काउंटरवेलिंग ड्यूटी और सेफगार्ड ड्यूटी भी टैरिफ ही हैं।

    रेसिप्रोकल और रिटैलिएटरी टैरिफ में क्या अंतर है?

    रेसिप्रोकल टैरिफ यानी पारस्परिक शुल्क और रिटैलिएटरी टैरिफ या प्रतिशोधात्मक शुल्क में कोई खास फर्क नहीं है। ये तब लगाए जाते हैं जब कोई देश ट्रेड पार्टनर द्वारा शुल्क बढ़ाने के जवाब में शुल्क लगाता है।

    टैरिफ लगाना कितना है जरूरी?

    घरेलू उद्योग को सस्ते आयात से बचाने के लिए, लोकल प्रोडक्ट्स को बढ़ावा देने और विदेशी प्रोडक्ट्स की बाजार प्रतिस्पर्धा कम करने के मकसद से देश टैरिफ लगाते हैं।

    टैरिफ किस तरह के प्रभाव डाल सकता है?

    ऊंची दरों पर टैरिफ लगाने से महंगाई बढ़ती है। घरेलू उद्योग के लिए इनपुट लागत भी बढ़ जाती है।

    ट्रंप ने भारत को कहा 'टैरिफ किंग', ये कितना है सही?

    ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव के मुताबिक, ट्रम्प का दावा गलत है। अमेरिका खुद कई प्रोडक्ट पर ऊंचे टैरिफ लगाता है। वहां डेयरी प्रोडक्टस पर 188%, फल-सब्जियों पर 132%, अनाज व फूड प्रोडक्ट्स पर 193%, तिलहन-तेल पर 164%, तंबाकू पर 150%, कॉफी, चाय, कोको और मसालों पर 53% टैरिफ है।

    भारत द्वारा लगाया गया टैरिफ है नियमों के अनुरूप

    विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों के मुताबिक, सदस्य देशों को टैरिफ शेड्यूल प्रस्तुत करने होते हैं। भारत द्वारा लगाए गए टैरिफ नियमों के अनुरूप हैं। लेकिन अमेरिकी टैरिफ कई मामलों में नियमों का उल्लंघन करते हैं।

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