ट्रंप की नई टैरिफ नीति से भारत पर कितना होगा असर? अमेरिका के साथ व्यापार समझौते से पहले हो रहा ये काम
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ ट्रंप ने दोनों देशों के बीच व्यापार को 500 अरब डॉलर तक ले जाने की घोषणा की। अभी यह व्यापार 190 अरब डॉलर का है। जानकारों का कहना है कि भारत के हक में यह अच्छी बात है। वाणिज्य मंत्रालय अमेरिका के साथ द्विपक्षीय वार्ता समझौता को लेकर अन्य मंत्रालयों के साथ विचार-विमर्श शुरू करने जा रहा है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारतीय विदेश व्यापार में पारदर्शिता होने से अमेरिका की शुल्क नीति से भारत कम प्रभावित होगा। हालांकि अभी अमेरिका की पारस्परिक शुल्क नीति और व्यापार को लेकर रोजाना आ रहे बयानों से भारत पर पड़ने वाले असर को लेकर कुछ भी स्पष्ट नहीं है।
उच्चपदस्थ सूत्रों का कहना है कि भारत के हक में अच्छी बात यह है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले एक माह में सिर्फ भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) की बात की है। यह भारत के प्रति अमेरिका का सकारात्मक रुख है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ ट्रंप ने दोनों देशों के बीच व्यापार को 500 अरब डॉलर तक ले जाने की घोषणा की। अभी यह व्यापार 190 अरब डॉलर का है।
पारस्परिक शुल्क को लेकर स्पष्टता नहीं
- सूत्रों के मुताबिक इससे साफ जाहिर है कि दोनों देश एक-दूसरे के विकास को समझते हुए आपसी व्यापार को बढ़ाना चाहते हैं। सूत्रों के मुताबिक ट्रंप का पारस्परिक शुल्क समान वस्तुओं के बीच होगा या फिर हरेक देश के लिए अलग-अलग होगा, इन सब चीजों को लेकर स्पष्टता नहीं है।
- लेकिन यह साफ है कि अमेरिका प्रशासन उन देशों के साथ शुल्क के मामले में अधिक सख्ती बरत सकता है, जो व्यापार बढ़ाने के लिए अप्राकृतिक तरीके से अपनी करेंसी के मूल्यांकन को घटाते-बढ़ाते रहते हैं, जो लागत कम करने के लिए विभिन्न प्रकार की सब्सिडी देते हैं और जिनका व्यापारिक तरीका पारदर्शी नहीं है।
- ऐसे में व्यापारिक पारदर्शिता अन्य देशों के मुकाबले अधिक होने से भारत अमेरिकी शुल्क नीति से कम प्रभावित होगा। इन सबके बीच वाणिज्य मंत्रालय अमेरिका के साथ द्विपक्षीय वार्ता समझौता (बीटीए) को लेकर अन्य मंत्रालयों के साथ बातचीत विचार-विमर्श शुरू करने जा रहा है। क्योंकि व्यापार समझौते से पहले सभी मंत्रालयों के बीच आपसी सहमति जरूरी है।
व्यापार समझौते पर शुरू होगी बातचीत
अमेरिका प्रशासन में सभी अधिकारियों की नियुक्ति के बाद व्यापार समझौते पर बातचीत शुरू हो जाएगी और साल के अंत तक समझौते का पहले चरण को पूरा कर लिया जाएगा। समझौते में वस्तुओं के साथ सेवाओं को भी शामिल किया जाएगा, इसलिए एच1बी वीजा से लेकर अन्य व्यावसायिक वीजा के मुद्दे को भारत समझौते में उठा सकता है।
उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक अमेरिका अगर अपने व्यापार घाटे को कम करने के लिए अमेरिका से पेट्रोलियम खरीदने पर जोर देता है, तो ऐसा किया जा सकता है। भारत अभी रूस से पेट्रोलियम ले रहा है, उसकी जगह अमेरिका से ले लेगा। लेकिन टैरिफ नीति से अपनी मैन्यूफैक्चरिंग को प्रभावित करने की स्थिति में भारत नहीं है, क्योंकि भारत की विकास गाथा अभी शुरू हुई है और मैन्यूफैक्चरिंग रोजगार का बड़ा साधन है।
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