शहरों को स्लम मुक्त बनाने के लिए किराया कानून में संशोधन, प्रवासी मजदूरों को सस्ते किराए के मकान मुहैया कराएगी सरकार
देश के छोटे बड़े शहरों में स्लम पर काबू पाने की योजना पर तेजी से काम शुरू हो गया है। इसी क्रम में सरकार ने किराया कानून में संशोधन किया है। इसके तहत पहले चरण में प्रवासी मजदूरों को सस्ते किराए के मकान मुहैया कराए जाएंगे...

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। देश के छोटे बड़े शहरों में बढ़ते स्लम (झुग्गियों) पर काबू पाने और महानगरों को स्लम मुक्त कर सुंदर बनाने की योजना पर तेजी से काम शुरू हो गया है। इसके पहले चरण में प्रवासी मजदूरों को सस्ते किराए के मकान मुहैया कराए जाएंगे, जिसके लिए कई शहरों में ऐसे भवनों का निर्माण कार्य चालू हो गया है और योजना को अमली जामा पहनाना शुरू कर दिया है।
2047 तक स्लम मुक्त शहरों का लक्ष्य
इसी क्रम में सरकार ने किराया कानून में संशोधन कर उसे किराएदार और मकान मालिकों के हितों के अनुकूल बना दिया है। ताकि मकान को किराए पर देने में कोई दिक्कत न आए। वर्ष 2047 तक स्लम मुक्त शहर के सपने को पूरा करने के लक्ष्य है।
योजना पर आगे बढ़ा मंत्रालय
शहरों में हर एक को मूलभूत जरूरतों को पूरा करने वाला पक्का आवास देने के साथ उसे बेहतर जीवनयापन की सुविधा उपलब्ध कराना उद्देश्य है। आधुनिक शहरीकरण की यही बड़ी चुनौती है। केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय प्रत्येक शहरी परिवार को पक्का मकान देने की योजना पर आगे बढ़ा है।
1.13 करोड़ मकान बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी
इसके लिए अब तक कुल 1.13 करोड़ मकान बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिल चुकी है, जिसमें से 85 लाख मकान बनकर तैयार हो चुके हैं। जबकि 50 लाख मकानों में लोग रहने के लिए पहुंच गए हैं। इन मकानों में सभी तरह की मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं, जिसमें बिजली व पानी के कनेक्शन, रसोई गैस और शौचालय आदि प्रमुख हैं।
स्लम खत्म करने में मदद मिलेगी
पिछले दिनों एक समारोह में केंद्रीय शहरी विकास सचिव दुर्गाशंकर मिश्र ने कहा कि इन योजनाओं के लागू होने के बाद शहरों में जहां नए स्लम नहीं बनेंगे, वहीं पुराने स्लम खत्म करने में मदद मिलेगी। शहरीकरण में सुधार के लिए रियल एस्टेट रेगुलेशन एक्ट (रेरा) लागू किया गया, जिसे सभी राज्यों में लागू किया गया है।
डीडीए के पोर्टल पर 3.50 लाख लोगों ने कराए रजिस्ट्रेशन
स्लम एरिया को हटाने अथवा उसे वैधानिक बनाकर उसमें सुविधाएं बहाल करने की योजना के तहत दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के पोर्टल पर 3.50 लाख लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। सरकार की योजना लागू होने पर शहरी गरीबों के पास अपना पक्का मकान होगा।
पहले चरण में चार हजार से ज्यादा मकान तैयार
रियायती किराए के मकान बनाने के पहले चरण में सूरत, अहमदाबाद और चंडीगढ़ ने अब तक 4,000 से अधिक मकान बना लिए हैं। जबकि 7,000 मकान निर्माणाधीन हैं। केंद्र सरकार ने इस तरह के कुल 60 हजार से अधिक मकान बनाने को मंजूरी दी है, जिन्हें सरकारी व प्राइवेट एजेंसियां बना रही हैं। ऐसे मकानों के निर्माण में आधुनिक टेक्नोलाजी का उपयोग किया जा रहा है, जिससे बहुत कम समय में ज्यादा से ज्यादा मकान बनाए जा रहे हैं।
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