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...जब अपनी ही दुर्लभ खोज पर पछताए नोबेल, प्रतिष्ठित पुरस्‍कार के अनछुए पहलू

1864 को कारखाने में डाइनामाइट से भयंकर विस्फोट हुआ और पूरा का पूरा कारखाना तबाह हो गया। इस दुर्घटना में कई श्रमिकों के साथ साथ उनके भाई की भी मृत्यु हो गई।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Tue, 27 Nov 2018 10:14 AM (IST)Updated: Wed, 28 Nov 2018 08:13 AM (IST)
...जब अपनी ही दुर्लभ खोज पर पछताए नोबेल, प्रतिष्ठित पुरस्‍कार के अनछुए पहलू

नई दिल्‍ली [ जागरण स्‍पेशल ]। नोबेल पुरस्‍कार दुनिया का सबसे प्रतिठिष्‍त पुरस्‍कार है। यह पुरस्‍कार नोबेल फाउंडेशन द्वारा स्‍वीडन के महान वैज्ञानिक अल्‍फ्रेड बर्नार्ड नोबेल की याद में दिया जाता है। दिसंबर 1896 में मृत्‍यु के पूर्व अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्‍सा उन्‍होंनें एक ट्रस्‍ट के लिए सुरक्ष्‍ाित रख दिया था। उनकी इच्‍छा थी कि इस पैसे के ब्‍याज से हर साल उन लोगों का सम्‍मानित किया जाए, जिनका नाम मानव जाति के लिए सबसे कल्‍याणकारी पाया जाए।

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स्‍वीडिश बैंक में जमा इस राशि के ब्‍याज से नोबेल फाउंडेशन द्यारा हर वर्ष शांति, साहित्‍य, भौतिक, रसायन, चिकित्‍सा विज्ञान और अर्थशास्‍त्र में सर्वोत्‍कृष्‍ट योगदान के लिए दिया जाता है। विभिन्‍न क्षेत्रों में ये पुरस्‍कार एक अलग-अलग समितियों द्यारा निर्धारित और प्रदान किया जाता है। रॉयल स्‍वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेस भौतिक, अर्थशास्‍त्र और रसायन शास्‍त्र में द कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट चिकित्‍सा के क्षेत्र में नार्वेजियन नोबेल समिति शांति के क्षेत्र में पुरस्‍कार प्रदान करती है। प्रत्‍येक पुरस्‍कार विजेता को एक ऐडल अऐ डिप्‍लोमा एक मोनेटरी एवार्ड प्रदान किया जाता है। आइए, हम आपको बताते हैं नोबेल के कुछ अनछुए पहलुओं के बारे में।
स्‍वीडन की किंग ऑफ काउंसलिंग का रोल
नोबेल फाउंडेशन की स्‍थापना 29 जून, 1900 को हुई थी। इसका मकसद नोबेल पुरस्‍कारों का आर्थिक रूप से संचालन करना है। नोबेल फाउंडेशन में पांच लोगों की टीम है। इसका मुखिया स्‍वीडन की किंग ऑफ काउंसलिंग द्वारा तय किया जाता है। अन्‍य चार सदस्‍य पुरकार वितरक संस्‍थान के न्‍यासी द्वारा तय किए जाते हैं। स्‍टाकहोम में नोबेल पुरस्‍कार सम्‍मान समारोह का मुख्‍य आकर्षण यह होता है कि सम्‍मान प्राप्‍त व्‍यक्‍ित स्‍वीडन के राजा के हाथों पुरस्‍कार प्राप्‍त करते हैं। पुरस्‍कार के लिए बनी समिति और चयनकर्ता हर साल अक्‍टूबर में नोबेल पुरस्‍कार विजेता की घोषणा करते हैं, लेकिन पुरस्‍कारों का वितरण अल्‍फ्रेड नोबेल की पुण्‍य तिथि 19 दिसंबर को दिया जाता है।
जब डाइनामाइट की खोज पर नोबेल काे हुआ अफसोस
अल्‍फ्रेड बर्नार्ड नोबेल का जन्‍म 1833 में स्‍वीडन की राजधानी स्‍टाकहोम में हुआ था। नौ वर्ष की आयु में वह अपने परिवार के साथ रूस चले गए। नोबेल जब 18 साल के थे तो उन्‍हें रसायन की पढ़ाई के लिए अमेरिका भेजा गया। अल्‍फ्रेड ने 1867 में डाइनामाइट की खोज की। अल्फ्रेड बर्नार्ड नोबेल स्वीडन के निवासी थे। वह रसायनज्ञ तथा इंजीनियर थे। उनका जन्म स्टॉकहोम में हुआ था। विस्फोटक डाइनामाइट को तैयार करने में नोबेल ने काफी रिसर्च और मेहनत की थी। अपने पिता के कारखाने में वे इसका उत्पादन करते थे। इस कारखाने में अनेक लोगों के साथ उनके भाई भी कम करते थे। तीन सितंबर, 1864 को इस कारखाने में डाइनामाइट से भयंकर विस्फोट हुआ और पूरा कारखाना तबाह हो गया। इस हादसे में कई श्रमिकों के साथ साथ उनके भाई की भी मृत्यु हो गई।
नोबेल को अपने भाई से बेहद लगाव था। अनेक लोगों के साथ-साथ, भाई की मृत्यु ने उन्हें बुरी तरह झकझोर कर रख दिया। एक दिन उन्‍होंने अपनी पीड़ा अपने एक मित्र से कहा, 'काश मैं विध्वंस के साधन की जगह किसी रोग या महामारी से बचाने वाले जीवनरक्षक साधन के आविष्कार की पहल करता तो ज्यादा अच्छा रहता। ऐसे में मेरे भाई के साथ-साथ अनगिनत निर्दोष लोग भी असमय ही मौत का शिकार नहीं बनते।' वह कारखाने में हुई मौतों का दोषी स्वयं को ही समझने लगे थे। वे पश्चाताप की आग में जलते रहे। नोबेल ने अपनी पूरी जिंदगी में कुल 355 आविष्‍कार किए थे। लेकिन सबसे ज्‍यादा नाम और पैसा उन्‍होंने डाइनामाइट के अविष्‍कार से कमाया। अपनी जिंदगी में नोबेल ने शादी नहीं की। 10 दिसंबर 1896 में नोबेल का दिल का दौरा पड़ने से इटली में निधन हो गया।

नोबेल पुरस्कार: ये भी जानें 

  • भारत के राष्‍ट्रपिता महात्मा गांधी को नोबेल पुरस्कार नहीं मिल सका। उन्हें यह पुरस्कार न दिया जाना नोबेल पुरस्कार के इतिहास सबसे बड़ी भूल माना जाता है। हालांकि, गांधी को पांच बार इस पुरस्कार के लिए नामित किया गया था।
  • यह पुरस्‍कार केवल जीवित व्‍यक्तियों को ही दिया जा सकता है। लेकिन तीन व्यक्ति ऐसे हैं, जिन्हें मरणोपरांत यह पुरस्कार दिया गया। सबसे पहले 1931 में एरिक एक्सल कार्लफेल्ट को साहित्य के लिए, फिर तीस साल बाद 1961 में डाग हामरशोल्ड को शांति के लिए पुरस्कार दिया गया। इन दोनों की मौत नामांकन और पुरस्कार दिए जाने के बीच हुई। तीसरी बार 1974 में फिर एेसा हुआ तो उसके बाद से नियम ही बदल दिया गया था।
  • चार व्‍यक्तियाें को दो बार नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। अमेरिका के जॉन बारडेन को दो बार भौतिक के क्षेत्र में पुरस्कार मिला। पहली बार 1956 में ट्रांजिस्टर के आविष्कार के लिए और दूसरी बार 1972 में सुपरकंडक्टिविटी थ्योरी के लिए मिला। ब्रिटेन के फ्रेडेरिक सैंगर को रसायन के क्षेत्र में दो बार पुरस्कार मिला था। पहली बार 1958 में इंसुलिन की संरचना को समझने के लिए और दूसरी बार 1980 में।
  • मैरी क्यूरी एकमात्र महिला हैं जिन्हें दो बार ये पुरस्कार मिला। 1903 में रेडियोएक्टिविटी समझने के लिए भौतिक के क्षेत्र में और 1911 में पोलोनियम व रेडियम की खोज के लिए रसायन के क्षेत्र में मिला।
  • सबसे ज्यादा नोबेल पुरस्कार पाने वाले देशों में अमेरिका पहले नंबर पर है। दूसरे स्थान पर है जर्मनी। इसके बाद ब्रिटेन और फ्रांस का नंबर आता है।
  •  2014 में नोबेल पाने वाली मलाला युसूफजई इस पुरस्कार की अब तक की सबसे युवा विजेता हैं।

अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत
अल्फ्रेड नोबेल की मृत्यु 10 दिसंबर, 1896 में इटली शहर में हुई थी। उनकी मौत से पहले उन्होने 1895 में अपनी वसीयत में लिखा था कि वो करीब नौ मिलियन डॉलर की राशि से एक फंड बनाना चाहते हैं, जो भौतिकी, रसायन, साहित्य, फिजियोलोजी,एवं शांति आदि के क्षेत्रो में लिए सहायता देगा। मानव जाति की सेवा करने वालों के लिए इस पुरस्‍कार की व्यवस्था की गई। उनकी मृत्यु के पांच वर्ष बाद सन 1901 से प्रथम नोबेल पुरस्कार वितरित किए गए। नोबेल फाउंडेशन ने पुरस्कार वितरण का कार्य संभाला। तब से नोबेल पुरस्‍कार अपने आप में बहुत बड़े सम्मान का विषय माना जाता है।
अर्थशास्‍त्र के नोबेल की शुरुआत
जब नोबेल पुरस्‍कारों की शुरुआत हुई उसमें अर्थशास्‍त्र के क्षेत्र में योगदान के लिए किसी पुरस्‍कार का जिक्र नहीं था। लेकिन 1968 में स्‍वीडन के केंद्रीय बैंक ने अपनी 300वीं वर्षगांठ पर अल्‍फ्रेड नोबेल की याद में इस पुरस्‍कार को शुरू किया। अर्थशास्‍त्र का पहला नेाबेल 1969 में नार्वे के रैगनर एंथोन किटील फ्रशि और नीदरलैंड के यान टिरबेरगेन को दिया गया।


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