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जमात उद दावा सरगना हाफिज पर पाकिस्तान की कार्रवाई हकीकत या ढकोसला

पाक ने ना सिर्फ हाफिज को अचानक हाउस अरैस्ट किया है बल्कि उसके साथ ही 37 अन्य आतंकियों को भी देश से बाहर छोड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया है।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Thu, 02 Feb 2017 04:36 PM (IST)Updated: Fri, 03 Feb 2017 10:08 AM (IST)
जमात उद दावा सरगना हाफिज पर पाकिस्तान की कार्रवाई हकीकत या ढकोसला
जमात उद दावा सरगना हाफिज पर पाकिस्तान की कार्रवाई हकीकत या ढकोसला

नई दिल्ली, जेएनएन। मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद पर अचानक पाकिस्तान की तरफ से की गई कार्रवाई ना सिर्फ चौंकाता है बल्कि यह सोचने पर मजबूर कर रहा है कि आखिर आतंकी सरगना के खिलाफ ऐसी कार्रवाई करने को लेकर उसके रूख में ऐसा परिवर्तन कैसे हो गया। पाकिस्तान ने ना सिर्फ हाफिज को अचानक हाउस अरैस्ट किया है बल्कि उसके साथ ही 37 अन्य आतंकियों को भी देश से बाहर छोड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया है यानि उन सभी को ‘एग्जिट कंट्रोल’ लिस्ट में डाल दिया है।

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जाहिर तौर पर पाकिस्तान के इस रूख की चौतरफा चर्चा हो रही है। कई लोग इसे भारत की तरफ अमेरिका पर डाले गए दबाव का नतीजा मान रहे हैं तो कुछ लोग इसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से सात मुस्लिम देशों के लोगों के वीज़ा बैन और शरणार्थियों पर प्रतिबंध से जोड़कर देख रहे हैं। सवाल ये उठता है कि नवंबर 2011 में हुए मुंबई हमले के बाद जो बात भारत कहता रहा है और पाकिस्तान से हाफिज पर कार्रवाई की मांग करता रहा है उस पर अब पाकिस्तान इतनी गंभीरता क्यों दिखा रहा है। क्या पाकिस्तान को ये डर सता रहा है कि भविष्य में अमेरिका उसके नागरिकों के प्रवेश पर भी रोक लगा देगा?

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ऐसे कई सवाल हैं जो पाकिस्तान के ताज़ा कार्रवाई के बाद लोगों के जेहन में उठ रहे हैं। लेकिन, दूसरी तरफ पाकिस्तान की अगर मानें तो उसका ये कहना है कि हाफिज सईद की गिरफ्तारी का फैसला राष्ट्र हित को देखते हुए लिया गया है। इसके साथ ही भारत को हाफिज के खिलाफ पर्याप्त सबूत देने की मांग की गई है। हालांकि, भारत ने हाफिज पर ताज़ा कार्रवाई को अपर्याप्त करार देते हुए कहा कि ऐसा कदम पाकिस्तान ने पहले भी उठाया है। लेकिन, उसका नतीजा कुछ भी नहीं देखने को मिला और हाफिज कोर्ट से आसानी से छूट गया। इसलिए, पहले वह ऐसा कदम उठाकर दिखाए जो उसकी आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई की विश्वसनीयता को और पुख्ता करेगा।

बहरहाल, पाकिस्तान का ये कदम अंतरराष्ट्रीय दबाव का ही नतीजा माना जा रहा है। हर वक्त पाकिस्तान का साथ देनेवाले चीन के लिए भी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उसे बचाना आतंकियों के मामले में अब भारी पड़ा रहा है। तो वहीं, दूसरी तरफ अमेरिका से फंडों में कटौती और आतंकवाद विरोधी सख्त रूख के बाद ऐसा माना जा रहा है कि पाकिस्तान आनेवाले दिनों में ऐसे और कदम उठा सकता है। ऐसा यहां पर इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि हाफिज़ पर कार्रवाई के बाद बयान वहां की सेना की तरफ से दिया गया था जिससे यह जाहिर होता है कि इस मसले पर वहां की सेना और सरकार की राय अलग-अलग नहीं है।

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