म्यांमार से PoK तक आतंकियों के खात्मे में 'थिंक टैंक' की भूमिका में NSA डोभाल
पीओके में सर्जिकल अॉपरेशन के बाद डोभाल ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि देश की सुरक्षा में दाग लगाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
नई दिल्ली, जेएनएन। पहले म्यांमार की सीमा में घुसकर उग्रवादियों का खात्मा और अब पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में धावा बोलकर आतंकियों को मौत की नींद सुलाकर उड़ी हमले के शहीदों का बदला लेने के भारतीय सेना के इस जज्बे को आज पूरे देश सलाम कर रहा है।
लेकिन, इस पूरे ऑपरेशन के पीछे जिस शख्स का दिमाग है वह हैं भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकर अजीत डोभाल। जिन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पद पर रहते हुए ना सिर्फ इस पद का मान बढ़ाया है बल्कि ऐसा कर उन्होंने पूरी दुनिया में एक सख्त संदेश दिया है।
डोभाल की बेहतरीन प्लानिंग और उनकी कार्यशैली के बारे में पूरा देश बखूबी वाकिफ है। पीओके में सर्जिकल अॉपरेशन के बाद डोभाल ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि देश की सुरक्षा में दाग लगाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। गौरतलब है कि पीओके में हुए इस पूरे ऑपरेशन की निगरानी रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, एनएसए अजीत डोभाल और डीजीएमओ ने ही की है।
म्यांमार की सीमा घुसकर मारे थे 100 उग्रवादी
जिस तरह से भारतीय सेना ने उरी में हुए आतंकी हमले के बाद जिस तरह से पीओके में घुसकर आतंकियों का सफाया किया है ठीक वैसे ही पिछले साल म्यांमार में किया था। बीते साल जून माह में मणिपुर के चंदेल जिले में उग्रवादियों ने हमला कर सेना के 18 जवानों की जान ले ली थी। उग्रवादियों की इस नापाक हरकत के बदले में ऑपरेशन की योजना तैयार की गई।
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इस योजना में एनएसए अजीत डोभाल ने मुख्य भूमिका निभाई थी। बता दें कि तब अजीत डोभाल ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ बांग्लादेश जाने का दौरा टाल दिया था। हमले के बाद डोभाल मणिपुर में ही टिके हुए थे। मणिपुर में वे इंटेलिजेंस के साथ मिलकर सभी पहलुओं को समझ रहे थे। सारी योजना तैयार करने के बाद जब आर्मी को पता चला कि उग्रवादी म्यांमार की सीमा में पनाह लिए हुए हैं तब म्यांमार की सीमा में भारतीय पैराकमांडो घुसे और उग्रवादियों के दो कैंप नष्ट कर दिए। इस ऑपरेशन में करीब 100 उग्रवादी मारे गए थे।
एक नजर में जानें डोभाल के बारे में
सेवानिवृत्त आईपीएस अजीत कुमार डोभाल भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं। वे 30 मई 2014 से इस पद पर हैं। डोभाल भारत के पांचवे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं। वे केरल कैडर से 1968 में आईपीएस के लिए चुनेे गए थे। 2005 में इंटेलिजेंस ब्यूरो यानी आईबी के चीफ के पद से रिटायर हुए हैं। वह सक्रिय रूप से मिजोरम, पंजाब और कश्मीर में उग्रवाद विरोधी अभियानों में शामिल रहे हैं। उनके बारे में एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि डोभाल तकरीबन सात साल तक पाकिस्तान में भी रहे हैं।
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