खराब हवा कैसे बनी 'साइलेंट किलर'? वायु प्रदूषण से देश में 20 लाख लोगों की मौत
Air Pollution Impact on India: भारत में वायु प्रदूषण एक 'साइलेंट किलर' बन गया है, जिससे हर साल लगभग 20 लाख लोगों की जान जा रही है। शहरों में स्थिति और भी खराब है, जहाँ वाहनों और उद्योगों से निकलने वाले धुएं से हवा जहरीली हो रही है। सांस की बीमारियों से लेकर कैंसर तक, वायु प्रदूषण लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल रहा है। सरकार प्रदूषण कम करने के लिए प्रयास कर रही है, लेकिन और तेजी लाने की आवश्यकता है।

वायु प्रदूषण पर चौंकाने वाले आंकड़े। फाइल फोटो
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सर्दियों के दस्तक देते ही वायु प्रदूषण (Air Pollution) एक बार फिर चर्चा में आ गया है। खासकर राजधानी दिल्ली समेत आसपास के इलाकों में सुबह की शुरुआत धुंध और दूषित हवा के साथ हो रही है, जिसके कारण लोगों का सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। बेशक बढ़ती ठंड के साथ दम घोटती हवा की कहानी कोई नई नहीं है, मगर यह कितनी खतरनाक हो सकती है, इसका शायद ही कोई अंदाजा लगा सकता है।
वायु प्रदूषण एक साइलेंट किलर बन चुका है, जो हर साल 79 लाख लोगों की मौत का कारण बन रहा है। भारत में प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानक से 10 गुना अधिक है। पिछले साल भारत चार बार दुनिया के सबसे प्रदूषित देशों की लिस्ट में टॉप 5 में आ चुका है।
प्रदूषण से कितनी मौतें?
प्रदूषित हवा के कारण दुनिया में हर साल 79 लाख से ज्यादा लोगों की जान जाती है। इनमें से भारत में कुल 20 लाख और चीन में भी 20 लाख लोगों की जान गई है। 2023 में हर 8 में से 1 मौत वायु प्रदूषण के कारण हुई है।
आंकड़ों के अनुसार, वायु प्रदूषण का स्तर 2.5 से अधिक होने के कारण 49 लाख लोगों की मौत हो गई। वहीं, घरेलू प्रदूषण से 28 लोगों ने जान गंवा दी। इसके अलावा 2 लाख लोगों की मौत ओजोन लेयर के एक्सपोजर के कारण हुई है।
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भारत में क्यों बढ़ रहा है वायु प्रदूषण?
भारत में वायु प्रदूषण में इजाफे की बड़ी वजह इंडस्ट्रियल वेस्ट है। औद्योगिक उत्सर्जन का वायु प्रदूषण में 51 प्रतिशत योगदान है। वहीं, गाड़ियों से निकलने वाले धुएं के कारण 27 प्रतिशत वायु प्रदूषण होता है। इसके अलावा पराली जलाने से 17 प्रतिशत हवा प्रदूषित होती है।
वायु प्रदूषण का हेल्थ पर क्या है असर?
खराब हवा में सांस लेने का असर पूरे शरीर पर पड़ता है। इससे कैंसर जैसी कई गंभीर बीमारियां होने का भी खतरा रहता है।
दिल की बीमारी - वायु प्रदूषण के कारण हार्ट स्ट्रोक, हार्ट फेल या हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है।
लिवर और डायबिटीज - खराब हवा में सांस लेने का सीधा असर लिवर और मेटाबॉलिज्म पर पड़ा है। इससे लिवर से जुड़ी बीमारियां और टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा रहता है।
प्रेग्नेंसी में खतरा - वायु प्रदूषण से सबसे अधिक खतरा गर्भवती महिलाओं को होता है। ऐसे में महिलाओं के गर्भपात से लेकर समय से पहले डिलीवरी, बच्चे की कमजोरी या गर्भ में ही बच्चे की मौत भी हो सकती है।
दिमाग पर असर - खराब हवा में मौजूद कण दिमाग को भी नुकसान पहुंचाते हैं। इससे सिरदर्द, तनाव, डिमेंशिया या अल्जाइमर की समस्या भी देखने को मिल सकती है।
कैंसर और सांस की बीमारी - वायु प्रदूषण का सीधा असर फेफड़ों पर होता है। इससे लंग कैंसर, निमोनिया, दमा, जलन और सूजन हो सकती है। वहीं, वायु प्रदूषण के कारण समय से पहले बुढ़ापा और त्वचा पर झुर्रियों का भी सामना करना पड़ सकता है।

वायु प्रदूषण से कितनी कम हो रही है लोगों की उम्र?
WHO के अनुसार, खराब हवा में सांस लेने से लोग कई गंभीर बीमारियों का शिकार हो जाते हैं, जिससे लोगों की औसत उम्र भी कम हो जाती है। खासकर दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण के कारण लोगों की उम्र 8.2 साल कम होने का अनुमान है। वहीं,पूरे भारत में यह आंकड़ा 3.5 वर्ष है।

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