पायलट महासंघ ने नागरिक उड्डयन मंत्री को लिखा पत्र, अहमदाबाद विमान दुर्घटना की न्यायिक जांच की मांग की
भारतीय पायलट महासंघ (एफआइपी) ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय से 12 जून 2025 को अहमदाबाद में हुई एअर इंडिया विमान दुर्घटना की न्यायिक जांच की मांग की है। एफआइपी ने विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआइबी) द्वारा की जा रही जांच में खामी का आरोप लगाया है। एफआइपी ने कहा कि एएआइबी का आचरण पक्षपातपूर्ण है और काकपिट वायस रिकार्डर की जानकारी लीक करना नियमों का उल्लंघन है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय पायलट महासंघ (एफआइपी) ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय को पत्र लिखकर 12 जून, 2025 को अहमदाबाद में हुई एअर इंडिया विमान दुर्घटना की न्यायिक जांच का आदेश देने की मांग की है।
इसने विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआइबी) द्वारा की जा रही मौजूदा जांच में खामी का आरोप लगाते हुए इसे रोकने की मांग की है। एफआइपी की यह मांग दुर्घटनाग्रस्त विमान के पायलटों में से एक कैप्टन सुमीत सभरवाल के पिता पुष्करराज सभरवाल द्वारा केंद्र सरकार से औपचारिक जांच की मांग के एक महीने से भी कम समय बाद आई है।
एफआइपी ने नायडू के लिखा पत्र
लगभग 5,500 पायलटों का प्रतिनिधित्व करने वाली एफआइपी ने 22 सितंबर को नागरिक उड्डयन मंत्री के. राममोहन नायडू को लिखे एक पत्र में कहा, ''विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआइबी) ने मौजूदा जांच की सत्यनिष्ठा, निष्पक्षता और वैधता से मौलिक एवं अपरिवर्तनीय रूप से समझौता किया है। एक दोषपूर्ण घरेलू जांच वैश्विक विमानन समुदाय में भारत की स्थिति को कमजोर करती है। इसलिए न्यायिक जांच न केवल न्याय का मामला है, बल्कि मंत्रालय के लिए इन गंभीर प्रक्रियागत खामियों को दूर करने और अपनी कानूनी तथा प्रतिष्ठा संबंधी जोखिम को कम करने के लिए एक आवश्यक तंत्र भी है।''
एफआइपी ने आरोप लगाया कि एएआइबी का आचरण ''मात्र प्रक्रियागत अनियमितता से आगे बढ़कर स्पष्ट पक्षपात और गैरकानूनी कार्रवाई के दायरे में पहुंच गया है। इसने वर्तमान जांच को अस्थिर बना दिया है और इसके संभावित निष्कर्षों से पायलटों के मनोबल पर असर पड़ने की संभावना है।''
काकपिट वायस रिकार्डर की जानकारी लीक होना नियमों का उल्लंघन
पत्र में एएआइबी पर संरक्षित काकपिट वायस रिकार्डर की जानकारी लीक करके अपने ही नियमों का ''घोर उल्लंघन'' करने का भी आरोप लगाया गया है। एफआइपी ने कहा, ''विमान (दुर्घटनाओं और घटनाओं की जांच) नियम, 2017 का नियम 17(5) स्पष्ट रूप से काकपिट वायस रिकार्डिंग (सीवीआर) की आडियो सामग्री के सार्वजनिक प्रकटीकरण पर रोक लगाता है। इस स्पष्ट कानूनी प्रतिबंध के बावजूद सीवीआर के चुनिंदा विवरण और व्याख्याएं व्यवस्थित रूप से मीडिया में लीक की गई हैं।''
इसके परिणामस्वरूप 30 साल के उड़ान अनुभव और 15,000 घंटे से ज्यादा सुरक्षित उड़ान अनुभव वाले ''एक प्रतिष्ठित पेशेवर का चरित्र हनन'' हुआ है। एफआइपी ने कहा कि 2017 के नियमों के नियम 3 के तहत, ''जांच का एकमात्र उद्देश्य दुर्घटनाओं और घटनाओं को रोकना होगा, न कि दोष या दायित्व का बंटवारा करना।''
एएआइबी की कार्रवाई इसका सीधा उल्लंघन है। एफआइपी ने चेतावनी दी कि यह आचरण ''अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (आइसीएओ) के अनुलग्नक 13 की भावना का उल्लंघन करता है, जो सदस्य देशों को स्वतंत्र एवं निष्पक्ष जांच करने के लिए बाध्य करता है। एक दोषपूर्ण घरेलू जांच वैश्विक विमानन समुदाय में भारत की स्थिति को खतरे में डालती है।''
(समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
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