AIMIM प्रमुख ओवैसी ने बताया महिला आरक्षण बिल के विरोध का कारण, बोले- कांग्रेस और पूरे विपक्ष का असल चेहरा दिखा
AIMIM की ओर से महिला आरक्षण बिल के खिलाफ लोकसभा में दो वोट डाले गए हैं। इसके बाद से ही सांसद असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) पर लोगों की नजर है। इसी बीच ओवैसी ने जवाब देते हुए भाजपा और कांग्रेस दोनों पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और भाजपा एक साथ है वो अकेले हैं जो पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के खिलाफ लड़ रहे हैं।
हैदराबाद, एएनआई। लोकसभा में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) द्वारा महिला आरक्षण विधेयक के खिलाफ मतदान के कुछ दिनों बाद, पार्टी प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने रविवार को कहा कि नारी शक्ति वंदन अधिनियम का विरोध करने वाले दो वोटों ने संसद को हैरान कर दिया।
बिल के खिलाफ में पड़े दो वोट
अपने संसदीय क्षेत्र हैदराबाद में एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए सांसद ने कहा, "भाजपा नेता कहते रहे कि हमारे दो सांसदों ने महिला आरक्षण विधेयक के खिलाफ मतदान किया। लेकिन, हमने संसद को हैरान कर दिया है।"
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कांग्रेस और बीजेपी साथ है
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, एआईएमआईएम नेता ने कहा कि उन्होंने पूरे देश को दिखाया कि भाजपा और कांग्रेस एक साथ हैं और वह अकेले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा, "जब सभी ने कहा कि 450 सांसद मेरे खिलाफ हैं, तो मैंने पूरे देश को बताया कि कांग्रेस और बीजेपी एक साथ हैं और समाजवादी पार्टी और कांग्रेस भी एक साथ हैं। मैं अकेले पीएम मोदी के खिलाफ लड़ रहा हूं और आप सभी एक साथ हैं।"
गुरुवार को पार कर ली सारी बाधाएं
महिला आरक्षण बिल, जो लोकसभा के साथ-साथ राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करता है, उसे गुरुवार को 214 सदस्यों ने समर्थन दिया और किसी ने भी विरोध में मतदान नहीं किया। इसके साथ ही, विधेयक ने अपनी आखिरी बाधा भी पार कर ली।
मुस्लिम और पिछड़ा वर्ग के लिए उप-कोटा
विधेयक को लोकसभा की मंजूरी मिल गई, क्योंकि इसे पक्ष में 454 वोटों के भारी बहुमत के साथ पारित किया गया और सिर्फ 2, ओवैसी और उनकी पार्टी के सहयोगी इम्तियाज जलील ने इसके खिलाफ मतदान किया। एआईएमआईएम सांसद ने मसौदा कानून पर अपने विरोध का बचाव करते हुए कहा कि यह मुस्लिम और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की महिलाओं के लिए उप-कोटा प्रदान नहीं करता है।
2010 में राज्यसभा से हुआ था पारित
हालांकि, कुछ विपक्षी सदस्यों ने विधेयक के कार्यान्वयन में देरी पर चिंता व्यक्त की, केंद्र ने कहा कि इसे उचित प्रक्रिया के बाद लागू किया जाएगा। राज्यसभा ने इससे पहले 2010 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के दौरान महिला आरक्षण विधेयक पारित किया था, लेकिन इसे लोकसभा में नहीं लाया गया और बाद में निचले सदन में यह रद्द हो गया था।
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