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    AI सहित नई तकनीक से लैस होंगे इंजीनियरिंग संस्थान, मिलेगी 30-30 लाख की मदद; शिक्षा मंत्रालय ने बनाई योजना

    Updated: Fri, 06 Jun 2025 07:41 PM (IST)

    भारत में युवा पीढ़ी को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से जोड़ने के लिए इंजीनियरिंग संस्थानों को आधुनिक तकनीकों से लैस किया जाएगा। प्रत्येक संस्थान को 30-30 लाख रुपये की वित्तीय मदद मिलेगी जिससे वे एआई आधारित प्रयोगशालाएं विकसित कर सकेंगे। एआईसीटीई ने यह पहल ऐसे समय में शुरू की है जब देश 2025 को एआई वर्ष के रूप में मना रहा है।

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    शिक्षा और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद ( एआईसीटीई) ने यह पहल ऐसे समय शुरू की है

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रत्येक क्षेत्रों में जिस तरह से एआई (आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस) सहित नई तकनीक का इस्तेमाल बढ़ा है, उसे देखते हुए देश की युवा पीढ़ी को इससे जोड़ने की पहल तेज हुई है।

    इस कड़ी में देश भर के इंजीनियरिंग संस्थानों को एआई सहित सभी अत्याधुनिक तकनीकों से लैस करने का फैसला लिया गया है। इसके तहत प्रत्येक इंजीनियरिंग संस्थानों को 30- 30 लाख रुपए की वित्तीय मदद भी दी जाएगी। जिसमें वह अत्याधुनिक व एआई आधारित प्रयोगशालाओं के विकास व उद्योगों की मांग आधारित शिक्षा व्यवस्था को बढ़ावा देगी।

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    बाहरी तकनीक को हटाने की योजना में बदलाव भी किया

    शिक्षा और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद ( एआईसीटीई) ने यह पहल ऐसे समय शुरू की है, जब देश वर्ष 2025 को एआई वर्ष के रूप में मना रहा है। इस दौरान एआईसीटीई ने अपनी अत्याधुनिक व प्रचलन से बाहर हो चुकी तकनीक को हटाने की योजना में बदलाव भी किया है।

    इसमें कोर इंजीनियरिंग के साथ एआई को पढ़ाने वाले संस्थानों को प्राथमिकता के आधार पर यह मदद दी जाएगी। इसके साथ ही ग्रामीण व दूरदराज के क्षेत्रों को भी इस अभियान से जोड़ा जाएगा। पहले चरण में देश भर के पांच सौ इंजीनियरिंग संस्थानों को अत्याधुनिक बनाने के लिए यह मदद दी जाएगी। एआईसीटीई ने संस्थानों के इसके लिए आवेदन करने को कहा है।

    यह मिलेगा लाभ

    एआइसीटीई से जुड़े विशेषज्ञों के मुताबिक देश के अधिकांश इंजीनियरिंग संस्थानों की प्रयोगशालाएं और पढ़ाई पुराने पैटर्न व तकनीक से संचालित हो रही है। जहां उद्योगों की मौजूदा जरूरत की ओर ध्यान नहीं दिया जाता है। यहां मिलने वाली व्यावहारिक शिक्षा भी पुरानी तकनीक व मशीनों पर दी जाती है, जो लंबे समय से चलन से बाहर हो चुकी है।

    ऐसे में इन संस्थानों से पढ़कर निकलने वाले छात्रों के सामने रोजगार पाने की एक बड़ी चुनौती खड़ी हो जाती है। ऐसे में इन्हें एआई से लैस और अत्याधुनिक बनाने से यह समस्या खत्म होगी।

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