क्या AI बन गया आतंकियों का नया हथियार, खुफिया एजेंसियों ने चेतावनी में क्या कहा?
AI in Terrorism: एआई के आने से जिंदगी बदल गई है, लेकिन अब यह तकनीक आतंक का हथियार बन रही है। खुफिया एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि एआई आतंकवाद को घातक ...और पढ़ें

AI कैसे बन रहा आतंक का सबसे सस्ता और बड़ा हथियार? एआई इमेज
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एआई के आने से आम इंसान की जिंदगी में पूरी तरह बदल गई। एआई दुनिया में कामकाज, शिक्षा और स्वास्थ्य को बदल रहा है, लेकिन अब इसी तकनीक की एक डरावनी तस्वीर सामने आ रही है। जिस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से तरक्की की उम्मीद थी, वही AI आतंक और हिंसा का नया हथियार बनता जा रहा है। अमेरिका समेत अन्य देशों की खुफिया एजेंसियोंकीचेतावनी दी है कि आने वाले समय में एआई आतंकवाद को और घातक बना सकता है।
आतंकवादी AI का इस्तेमाल कैसे कर रहे हैं?
तकनीक के जानकारों की मानें तो आतंकी संगठन एआई का इस्तेमाल लोगों का ब्रेन वॉश करने, नए लड़कों की भर्ती करने, ऑनलाइन प्रचार प्रसार करने, डीपफेक तस्वीरें और वीडियो बनाने, लोगों के बीच भ्रम फैलाने, साइबर हमलों को तेज और सस्ता बनाने के लिए कर रहे हैं।
आतंकी संगठन आईएस से जुड़ी एक समर्थक वेबसाइट पर हाल ही में अपने अनुयायियों से खुली अपील की गई कि एआई को अपने अभियानों का हथियार बनाओ ताकि दुश्मनों के मन में पैदा किया गया डर सिर्फ कल्पना न रहे, बल्कि सच्चाई बन जाए।
अब सवाल यह है कि एआई आतंकियों के लिए असरदार क्यों है?
साइबर एक्सपर्ट्स का कहना है कि एआई ने ताकत का संतुलन बदल दिया है। यह तकनीक छोटे और सीमित संसाधनों वाले समूहों को भी ऐसा प्रभाव पैदा करने की क्षमता देती है, जो पहले सिर्फ बड़े संगठनों के पास होती थी।
एआई की मदद से बेहद कम लागत में बड़ी मात्रा में प्रचार सामग्री तैयार की जा सकती है। असली जैसी दिखने वाली फर्जी तस्वीरें, आवाजें और वीडियो मिनटों में बनाए जा सकते हैं, जो सच और झूठ के बीच की बारीक लकीर को ना के बराबर कर देते हैं। जब इस सामग्री को सोशल मीडिया के एल्गोरिद्म से जोड़ा जाता है, तो अफवाह, डर और नफरत पलक झपकते ही हजारों-लाखों लोगों तक पहुंच जाती है। यानी एआई अब सिर्फ तकनीक नहीं रहा, बल्कि गलत हाथों में पड़कर आतंक फैलाने का नया औजार भी बनता जा रहा है।
डीपफेक और फेक फोटोज से क्या खतरा हो सकता है?
डीपफेक और फेक फोटो के खतरों को उदाहरण के साथ समझिए, इजरायल हमास जंग के दौरान खून से सने बच्चों की फर्जी तस्वीरें वायरल कर दी गईं। इससे नफरत, डर और ध्रुवीकरण बढ़ गया। इन्हीं तस्वीरों का इस्तेमाल कर मिडिल ईस्ट और अमेरिका में भर्ती की गई। रूस में 2024 के एक आतंकी हमले के बाद भी एआई से बने प्रचार वीडियो वायरल हुए।
क्या एआई से बड़े हमलों का भी खतरा है?
एआई एक्सपर्ट्स की मानें तो हां। अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी चेतावनी दी है- एआई की मदद से आतंकी जैविक या रासायनिक हथियार बनाने की कोशिश कर सकते हैं। इसका उपयोग मालवेयर, फिशिंग और साइबर जासूसी में पहले से हो रहा है। आतंकवादी हमेशा नए हथियार ढूंढते हैं। ऐसे में एआई उनका पसंदीदा औजार हो सकता है।
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