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    हफ्ते में दो दिन किसानों से मिलेंगे कृषि मंत्री, शिवराज सिंह चौहान बोले- दिल्ली में बैठकर नहीं बन सकती योजना

    Updated: Wed, 18 Jun 2025 08:33 PM (IST)

    केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विकसित कृषि संकल्प अभियान के बाद खेती की उन्नति के लिए सरकार के संकल्पों की जानकारी दी। कृषि विज्ञान केंद्र ...और पढ़ें

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    बीजों की नई किस्मों के साथ कीटनाशकों पर काम करने की जरूरत बताई (फोटो: पीटीआई)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने देश भर में दो सप्ताह चलाए गए 'विकसित कृषि संकल्प अभियान' के बाद रिपोर्ट पेश करते हुए खेती की उन्नति के लिए केंद्र सरकार के संकल्पों के बारे में बताया। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों को सप्ताह में तीन दिन अनिवार्य रूप से खेतों और किसानों के बीच जाने की हिदायत दी।

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    पहले दो दिन जाने की हिदायत थी। कृषि मंत्री स्वयं भी सप्ताह में दो दिन खेतों में जाएंगे और किसानों से संवाद करेंगे। 29 मई से 12 जून तक चले अभियान के दौरान कृषि विशेषज्ञों की 2170 टीमें 43 हजार गांवों में 1.34 करोड़ से ज्यादा किसानों से कृषि वैज्ञानिकों ने सीधे संवाद किया। चौहान ने बताया कि अभियान अभी खत्म नहीं हुआ है। जारी रहेगा। रबी मौसम में भी इसे शुरू किया जाएगा।

    किसानों के साथ समय बिताने के निर्देश

    कृषि मंत्री ने अधिक उत्पादन देने वाले बीजों की नई किस्मों के साथ कीटनाशकों पर काम करने की जरूरत बताई और कहा कि अमानक बीज एवं अमानक कीटनाशक बड़ी समस्या है। अभियान के दौरान कई किसानों ने ऐसी शिकायतें की हैं। चौहान ने सीड एवं पेस्टीसाइड एक्ट को सख्त बनाने की बात कही और आश्वासन दिया कि योजना और नीतियां बनाते समय किसानों के सुझावों को प्राथमिकता दी जाएगी।

    अभियान के बारे में मीडिया को बताते हुए कृषि मंत्री ने अधिकारियों को भी खेतों में जाकर किसानों के बीच ज्यादा से ज्यादा समय बिताने का निर्देश दिया। कहा कि असली काम तो खेतों में ही होना है। अब दिल्ली में बैठकर किसानों के लिए योजना नहीं बनाई जा सकती। उन्होंने विकसित भारत के लिए विकसित कृषि और किसान को जरूरी बताया और कहा कि इसे पूरा करने के लिए आईसीएआर के वैज्ञानिकों के साथ सरकार जुटी है।

    कृषि विज्ञानियों से की खास अपील

    कृषि मंत्री ने देश भर में फैले सभी कृषि विज्ञान केंद्रों के स्वरूप में भी समानता लाने की बात कही। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने पिछले ही वर्ष अगस्त में पूसा के परिसर में आकर 65 फसलों की 129 किस्मों का लोकार्पण किया था। उनसे ही प्रेरणा लेकर 'लैब टू लैंड' को आगे बढ़ाया और अभियान चलाया। सरकार अब कपास, गन्ना, तिलहन और दलहन के लिए अलग-अलग अभियान चलाएगी।

    कहा कि इंदौर में 26 जून को सोयाबीन फोकस बैठक होगी, जबकि इसके पहले 24 जून को पूसा में देशभर की समीक्षा होगी, जिसमें सभी वैज्ञानिक मौजूद रहेंगे। उनकी प्राथमिकताओं में कपास, गन्ना और तिलहन भी है। गन्ने में लगने वाले रोग रेड रॉट की वजह से किसानों को काफी नुकसान होता है। चौहान ने कृषि विज्ञानियों से गन्ने की रोग प्रतिरोधी किस्में विकसित करने का आग्रह किया। इसी तरह धान की सीधी बुआई के लिए उपयुक्त किस्में विकसित करने पर भी जोर दिया।

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