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    उत्‍तराखंड में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, किसानों से आम के बगीचे में खाट पर बैठकर की चर्चा

    Updated: Fri, 06 Jun 2025 12:30 PM (IST)

    केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान देहरादून के पाववाला सोडा ग्राम में किसानों से संवाद करने पहुंचे। कार्यक्रम को साधारण रखते हुए उन्होंने आम के बग ...और पढ़ें

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    केंद्रीय कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान देहरादून में। जागरण

    जागरण संवाददाता, डोईवाला (देहरादून)। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को विकसित भारत संकल्प अभियान के तहत रायपुर प्रखंड के पाववाला सोडा गांव में किसानों के साथ संवाद किया। आम के बगीचे में खाट (चारपाई) पर खड़े होकर कृषि मंत्री ने किसानों के अनुभव पूछे। उन्होंने कहा की देवभूमि में आगमन से ही एक नई ऊर्जा का संचार होता है।

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    एक राष्ट्र, एक खेत, एक टीम थीम पर हुए कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार हार्टिकल्चर क्षेत्र में बेहतर कार्य कर रही है। जिसके परिणाम यहां दिखाई दे रहे है। उत्तराखंड फलों का हब बनने का सामर्थ्य रखता है। प्रदेश के फल जिनमें आम, लीची, सेब, आडू के अलावा धान, मंडवा, लैवेंडर की खेती यहां हो रही है। जो कि वाकई में अद्भुत है। संवाद कार्यक्रम में किसानों ने अपने सफल प्रयोग बताए है। उन्होंने कहा कि केंद्र और प्रदेश सरकार मिलकर उत्तराखंड की खेती को बहुत ऊंचाई पर ले जाएगी।

    यहां हार्टिकल्चर का हब बने और इसका लाभ भी हमारे किसान कमाएं और इस देवभूमि की पवित्र माटी पर पैदा फल व सब्जियां देश और दुनिया के बाजारों में जाएं इसकी योजना बनाई जा रही है। साथ ही इनकी प्रोसेसिंग भी यहां हो इसको लेकर हम कार्य कर रहे है। वही विकसित संकल्प अभियान भी इसी दिशा में कार्य करने के लिए चलाया जा रहा है। इस अवसर पर प्रदेश के कृषि मंत्री गणेश जोशी, विधायक बृजभूषण गैरोला, पंतनगर विश्वविद्यालय के कुलपति डा. मनमोहन सिंह चौहान, भरसार विश्वविद्यालय के कुलपति डा. परविंदर कौशल, कृषि सचिव एसएन पांडे, महानिदेशक कृषि रणवीर सिंह चौहान, डा. जितेंद्र, डा. अशोक कुमार शर्मा, कृषि वैज्ञानिक डा. संजय राठी, ग्राम प्रशासक राखी पंवार आदि मौजूद रहे।

    इन किसानों से किया संवाद

    किसानों के साथ संवाद कार्यक्रम में मुख्य रूप से उन्होंने पाववाला सौड़ा के किसान योगेश सोलंकी के पालीहाउस का निरीक्षण किया व उसमें ग्राफ्टिंग किए हुए विभिन्न प्रजातियों के पौधे देखे। इसके बाद रानीपोखरी निवासी हरिप्रसाद की लीची का स्वाद भी चखा। वहीं उनकी ओर से लीची के साथ ही शहद के उत्पादन पर भी चर्चा की।

    किसान ने बताया कि वह प्रतिवर्ष लीची के बगीचे से 2 लाख की लागत लगाकर 6 लाख का लाभ अर्जित करते है। वह लीची के बगीचे में ही शहद, हल्दी, अदरक, कटहल से यह कमाई करते है। रायपुर निवासी किसान आशीष ने बताया कि वह 10 हेक्टेयर खेती में देहरादून की बासमती का उत्पादन करते है और इसकी ब्रांडिंग भी कर रहे है।

    टिहरी के किसान अजय पाल तोमर ने बताया कि वह 382 लोगों के समूह के साथ लैवेंडर की खेती कर रहे है जिसकी प्रतिवर्ष इनकम 2 करोड रुपए है। रायपुर के किसान आशीष व्यास ने मसाले की खेती से प्रतिमाह लाखों रुपए की आय अर्जित करने की जानकारी दी। वही रानीपोखरी लिस्ट्राबाद के किसान प्रवीण ने लीची और कटहल के बगीचे से होने वाली आय के बारे में जानकारी दी। वही बड़ासी निवासी सरिता पंवार ने मोटे अनाज के उत्पादन से 6 महिलाओं को प्रतिमाह साठ हजार महीने की आय होने की बात कही।

    दस साल बाद फल तो क्या पेड़ भी दिखने होंगे मुश्किल

    केंद्रीय कृषि मंत्री के कृषि संवाद कार्यक्रम में रानीपोखरी के हार्टिकल्चर से जुड़े किसान हरी प्रसाद ने जब मंत्री को अपने बगीचे की लीची का स्वाद चखाया तो मंत्री ने उनसे चर्चा की। जिस पर 67 वर्षीय किसान हरी प्रसाद ने कहा कि यह फल का स्वाद आने वाले दस सालों के बाद नहीं मिल पाएगा। क्योंकि तब तक फल के पेड़ ही नहीं बचेगे। नई पीढ़ी लगातार हार्टिकल्चर विभाग से मिलकर लगातार पेड़ों को कटवा रही है और महंगी गाड़ियां खरीद कर अपना शौक पूरा कर रहे है। जिससे आने वाले समय में फलों के पेड़ व खेती दिखनी भी मुश्किल हो जाएंगी।

    मंडवे के स्वाद के आगे पत्नी ने गेहूं की रोटी छोड़ी

    केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान किसानों के साथ घुल मिलकर जहां हर विषय पर चर्चा करते नजर आए तो वही अपने खुशमिजाज स्वभाव के चलते वह उत्तराखंड के मंडवे की तारीफ करना भी नहीं भूले। बताया कि इससे पूर्व के दौरे में जब वह उत्तराखंड आए तो यहां से मंडवे का आटा लेकर गए। उसकी रोटी इतनी स्वाद बनी कि उनकी पत्नी ने गेहूं की रोटी ही खानी बंद कर दी और कहा कि मंडवा ही चाहिए। जिस पर उन्हें उत्तराखंड से मंडवा मंगवाना पड़ा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड का मोटा अनाज प्रदेश ही नहीं देश में भी अपनी पहचान रखता है।