नई शिक्षा नीति : पढ़ाई बीच में छोड़ने के बाद भी अब नहीं रहेंगे खाली हाथ, सरकार ने दिए विकल्प
New education policy नई शिक्षा नीति में इस बारे में भी विकल्प दिए गए हैं कि यदि किसी स्तर पर कोई पढ़ाई बीच में छोड़े तो खाली हाथ न रहे। जानें क्या मिलेंगे छात्रों को विकल्प...
नई दिल्ली, जेएनएन। नई शिक्षा नीति में शिक्षा को मजबूत बनाने के साथ उसे सरल भी किया गया है ताकि हर किसी की पहुंच रहे और किसी स्तर पर यदि कोई पढ़ाई बीच में छोड़े तो खाली हाथ न रहे। नीति में शिक्षा के क्षेत्र में पहली बार मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम को लागू किया गया है। इसके साथ ही तीन और चार साल के दो अलग-अलग तरह के डिग्री कोर्स भी शुरू किए जाएंगे। इनमें नौकरी करने वालों के लिए तीन साल का कोर्स होगा, जबकि शोध के क्षेत्र में रुचि रखने वालों को चार साल का डिग्री कोर्स करना होगा।
शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे ने नीति के प्रमुख बिंदुओं की जानकारी देते हुए मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम की खासियत गिनाईं। उनका कहना था कि मौजूदा व्यवस्था में यदि चार साल के बीटेक या इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाला छात्र किसी कारणवश यदि कोई आगे की पढ़ाई नहीं कर पाता है तो उसके पास कोई उपाय नहीं होता। उसकी पिछली पूरी मेहनत बेकार हो जाती थी। लेकिन नए सिस्टम में एक साल के बाद सíटफिकेट, दो साल के बाद डिप्लोमा और तीन-चार साल के बाद डिग्री मिल जाएगी। इससे ऐसे छात्रों को बहुत फायदा होगा जिनकी किसी कारणवश पढ़ाई बीच में छूट जाती है।
नीति में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में जो और भी अहम बदलाव किए गए हैं, उनमें तीन और चार साल के डिग्री कोर्स शामिल हैं। इसके तहत जो छात्र शोध के क्षेत्र में काम करना चाहते हैं उनके लिए चार साल का डिग्री प्रोग्राम होगा। जो लोग नौकरी में जाना चाहते हैं उनके लिए तीन साल का ही डिग्री प्रोग्राम होगा। इस दौरान जो रिसर्च में जाना चाहते हैं, वे इसके बाद सिर्फ एक साल का एमए करके चार साल के डिग्री प्रोग्राम के तहत सीधे पीएचडी कर सकते हैं। इसके साथ ही शोध को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रीय शोध फाउंडेशन भी गठित किया जाएगा। जिससे जुड़कर सभी उच्च शिक्षण संस्थान शोध के क्षेत्र में बेहतर कर सकेंगे।