डोमिसाइल के बाद अब बंगाल में जन्म व जाति प्रमाणपत्र भी जांच के घेरे में, बढ़ाई गई निगरानी
चुनाव आयोग ने बंगाल में डोमिसाइल प्रमाणपत्रों के बाद अब जन्म और जाति प्रमाणपत्रों की जांच तेज कर दी है। आयोग ने राज्य सरकार से 2011 के बाद रद्द किए गए ...और पढ़ें

बंगाल में चल रही प्रक्रिया। (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल में जारी डोमिसाइल (घोषणा-पत्र) प्रमाणपत्रों के बाद अब चुनाव आयोग की जांच के घेरे में जाति और जन्म प्रमाणपत्र भी आ गए हैं। आयोग ने जाति व जन्म प्रमाणपत्र जारी करने की प्रक्रिया पर निगरानी बढ़ा दी है।
मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय ने राज्य सरकार से वर्ष 2011 के बाद से रद किए गए ओबीसी प्रमाणपत्रों की सूची तलब करने के साथ ही अब जिला प्रशासनों को एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है। आयोग ने विशेष रूप से उन अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और जन्म प्रमाणपत्रों का ब्योरा मांगा है, जो बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की घोषणा के बाद से जारी किए गए हैं।
जिलाधिकारियों को दिया गया आदेश
24 जून से 25 दिसंबर के बीच जारी प्रमाणपत्रों का ब्योरा तलब आयोग ने सभी जिलाधिकारियों को लिखित आदेश दिया है कि इस वर्ष 24 जून से 25 दिसंबर के बीच जारी किए गए सभी दस्तावेजों का डाटा विधानसभा क्षेत्र, माह और तारीख के अनुसार तैयार करके उसे भेजा जाए। आयोग ने इस बात पर विशेष जोर दिया है कि जन्म प्रमाणपत्रों की जांच हाल में जन्मे बच्चों के लिए नहीं, बल्कि उन वयस्कों के लिए है जिन्होंने विलंबित पंजीकरण के माध्यम से प्रमाणपत्र प्राप्त किए हैं।
आयोग उन अधिकारियों की सूची भी चाहता है, जिन्होंने इन प्रमाणपत्रों पर हस्ताक्षर किए हैं। अब आयोग यह देखना चाहता है कि बिहार में एसआइआर के बाद बंगाल में प्रमाणपत्रों के लिए मची होड़ के बीच सरकारी नियमों और पारदर्शिता का पूर्णत: पालन किया गया है या नहीं।

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