जम्मू-कश्मीर, शिमला में स्थापित हो AFT पीठ, SC ने कहा- इससे लंबित मामलों में आएगी कमी
देश के सर्वोच्च न्यायालय ने रक्षा संबंधी लंबित मामलों की बढ़ती संख्या से निपटने के लिए जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (एएफटी) की पीठें स्थापित करने का सोमवार को आह्वान किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चंडीगढ़ स्थित सशस्त्र बल अधिकरण पर इन राज्यों के लंबित मामलों का भारी बोझ है। सर्किट पीठ स्थापित करने से मामलों के शीघ्र निपटान में मदद मिलेगी।

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने रक्षा संबंधी लंबित मामलों की बढ़ती संख्या से निपटने के लिए जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (एएफटी) की पीठें स्थापित करने का सोमवार को आह्वान किया। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि वर्तमान में चंडीगढ़ स्थित सशस्त्र बल अधिकरण पर इन राज्यों के लंबित मामलों का भारी बोझ है।
सुप्रीम कोर्ट ने की टिप्पणी
जम्मू-कश्मीर, शिमला तथा धर्मशाला में सर्किट पीठ स्थापित करने से मामलों के शीघ्र निपटान में मदद मिलेगी। एएफटी में खाली पदों को भरने में देरी के लिए केवल केंद्र को दोषी ठहराने से इनकार करते हुए पीठ ने अटार्नी जनरल आर. वेंकटरमणी से कहा कि वे सर्किट बेंच की स्थापना की संभावनाएं तलाशें।
पीठ ने क्या कहा?
शीर्ष अदालत उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें सशस्त्र बल न्यायाधिकरण के सदस्यों की शीघ्र नियुक्ति के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग की गई थी। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, हमें ऐसी प्रणाली विकसित करनी होगी, जिससे न्यायाधिकरण में संभावित रिक्तियां होने से छह महीने पहले ही रिक्तियों को भरने की प्रक्रिया शुरू हो जाए।
शीर्ष अदालत ने केंद्र से कहा कि वह न्यायाधिकरणों की कुल स्वीकृत संख्या और रिक्तियों के आंकड़े एकत्र करे तथा इन पदों को व्यवस्थित ढंग से भरने के लिए सुझाव दे। केंद्र को न्यायाधिकरणों में पदों को भरने के लिए चल रही प्रक्रियाओं का विवरण चार सप्ताह के भीतर पेश करने का निर्देश दिया गया है।
वेंकटरमणी ने कहा कि एएफटी, चंडीगढ़ के अध्यक्ष सर्किट बेंच की स्थापना पर निर्णय ले सकते हैं। उन्होंने बताया कि ट्रिब्यूनल में पदों को भरने की प्रक्रिया पूरे साल चलती रहती है। एएफटी, चंडीगढ़ में रिक्त पदों को जल्द भरा जाएगा।
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